Asaduddin Owaisi
Asaduddin Owaisi

Asaduddin Owaisi big statement: लोकसभा में शनिवार को राम मंदिर निर्माण पर चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से एक दूसरे पर करारे जुबानी प्रहार किए गए. एक तरफ बीजेपी के सांसदों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘युगपुरुष’ की संज्ञा दी. वहीं विपक्ष के नेताओं ने मोदी सरकार पर हिंदुत्व की सरकार होने का आरोप जड़ा. AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने तो यहां तक कह दिया कि भारत के मुस्लिम देश में अजनबी महसूस कर रहे हैं. ओवैसी ने मोदी सरकार से पूछा है कि क्या मोदी सरकार एक मजहब की सरकार है या पूरे देश की सरकार है.

केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने कहा कि वह भगवान राम की इज्जत करते हैं लेकिन उन्हें महात्मा गांधी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे से नफरत है. औवेसी ने कहा कि उनका मानना है देश का कोई मजहब नहीं है. उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर को देश में दंगे हुए, जिसके बाद नौजवानों को जेल में टाडा में डाला गया जो अब बूढ़े होकर बाहर निकले हैं. हम पर इल्जाम लगा दिया गया. औवेसी ने सरकार से पूछा है कि क्या मैं बाबर का प्रवक्ता हूं.

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औवेसी ने दावा किया है कि भारत के 17 करोड़ मुस्लिम आज अपने आपको अजनबी महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार मुसलमानों को पैगाम दे रही है कि जान बचानी है या इंसाफ चाहते हो. मैं कहता हूं कि मैं भीख नहीं मागूंगा. मैं अपनी शिनाख्त नहीं मिटने दूंगा और न ही वो काम करूंगा जो बीजेपी और यहां की सेक्युलर पार्टियां चाहती है. उन्होंने बीजेपी को चुनौती दी कि मैं वह काम करूंगा जो आपको पसंद नहीं है जोकि संविधान के दायरे में रहकर है.

राम मंदिर बनते देखना सौभाग्य की बात –

इधर, बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह ने पीएम मोदी को ‘युगपुरुष’ कहकर संबोधित करते हुए कहा कि राम मंदिर बनते देखना और प्राण प्रतिष्ठा होना ऐतिहासिक एवं सौभाग्य की बात है. बीजेपी सांसद ने कहा कि राम विभिन्न धर्मों और भौगोलिक सीमाओं से परे सबके हैं. मेरा अहोभाग्य है कि मुझे राम मंदिर के बारे में सदन में प्रस्ताव रखने का अवसर मिला. इस कालखंड में मंदिर बनते देखना और प्राण प्रतिष्ठा होना अपने में ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि भगवान राम सांप्रदायिक विषय नहीं हैं. श्रीराम केवल हिंदुओं के लिए नहीं, वो हम सबके पूर्वज और प्रेरणा हैं. राम के समय में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई अलग-अलग मत, पंथ नहीं थे.

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