Himachal Pradesh Assembly Election/Aanand Sharma. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आज शाम से चुनाव प्रचार का दौर थम जाएगा. अब प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर 12 दिसंबर को मतदान होना है. ऐसे में सभी सियासी दल अब डोर टू डोर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. सूबे के दो प्रमुख सियासी दल कांग्रेस और बीजेपी लगातार अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं लेकिन असल नतीजा तो 8 दिसंबर को सामने आएगा. इस बीच मतदान से ठीक दो दिन पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता आनंद शर्मा ने अपनी ही पार्टी के प्रचार अभियान पर सवाल उठाते हुए बड़ा बयान दिया. आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं का सही से इस्तेमाल नहीं किया.’ वहीं शर्मा ने कांग्रेस की जीत को लेकर उम्मीद तो जाहिर की लेकिन जहां कांग्रेस OPS को सबसे बड़े चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है वहीं लगे हाथ आनंद शर्मा ने ‘न्यू पेंशन सिस्टम’ के लिए भी अपनी पार्टी को ही कसूरवार ठहराया है.
हिमाचल विधानसभा चुनाव में BJP ‘रिवाज बदलने’ और ‘मिशन रिपीट’ पर निकली है तो वहीं कांग्रेस लोगों से हिमाचल की परंपरा कायम रखने की अपील कर रही है. इस बीच पहाड़ों पर बर्फबारी होने से मौसम का मिजाज बेशक कुछ ठंडा हो गया हो लेकिन चुनावी माहौल खासा गर्म रहा. वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता आनंद शर्मा के बयान से प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. न्यूज़ एजेंसी PTI को दिए अपने एक इंटरव्यू में आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की ओर से प्रचार में वरिष्ठ नेताओं को शामिल नहीं किया. उनका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता था. यही नहीं पार्टी ने मेरी सेवाएं भी पूरी तरह नहीं लीं. लेकिन मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि कांग्रेस चुनाव जीतेगी और पार्टी को यहां स्थिर बहुमत मिलने वाला है.’
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आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही नई पेंशन योजना के प्रभावों का आकलन नहीं करने के लिए जिम्मेदार हैं.’ इस दौरान शर्मा ने कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान लाई गई इस योजना को गलत फैसला बताया. आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से हमने 2012 में राज्य में फिर सरकार बनाने पर इसे सही नहीं किया, जिस समय पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. यह राष्ट्रीय मुद्दा है और केंद्र के साथ-साथ राज्यों को साथ बैठकर मामले को सुलझाना चाहिए.’ वहीं चुनाव प्रचार से जुड़े सवाल पर आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘कांग्रेस उम्मीदवारों ने जहां भी मुझे आमंत्रित किया, वहां मैंने अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के हिसाब से प्रचार किया, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की ओर से उनके प्रचार की कोई योजना ही नहीं थी. लेकिन इस बार के चुनाव में हमारी स्थिति 2017 से बेहतर है, क्योंकि हम विशेष महत्व वाले मुद्दों को लेकर जनता तक गए हैं, जिनमें बेरोजगारी, महंगाई, पुरानी पेंशन योजना या अग्निपथ भर्ती योजना शामिल हैं.’
वहीं भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव प्रचार में शामिल ना होने की रणनीति को लेकर आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी राज्य में बीजेपी के तेज प्रचार अभियान के बावजूद अच्छा प्रदर्शन करेगी. राहुल का ध्यान फिलहाल पूरी तरह से यात्रा पर है और जाहिर है कि प्रियंका गांधी के मुख्य प्रचारकर्ता होने का फैसला सोच-समझकर ही लिया गया है. प्रियंका गांधी ने जोरदार अभियान चलाया, लेकिन शायद हम उपलब्ध वरिष्ठ नेताओं को शामिल करके इस प्रचार अभियान को बेहतर बना सकते थे.’ वहीं कांग्रेस द्वारा जारी किये चुनावी घोषणापत्र से जुड़े एक सवाल के जवाब में आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘पार्टी ने कभी मुझे प्रचार की रणनीति बनाने में शामिल नहीं किया और न ही चुनाव के लिए घोषणापत्र बनाने में उनके सुझाव मांगे गए.’
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वहीं अगस्त में राज्य में पार्टी की संचालन समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा देकर आनंद शर्मा ने क्या किसी तरह की नाखुशी जताई थी? इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हां, मैं नाखुश था, क्योंकि मैं संचालन समिति का अध्यक्ष था, लेकिन सलाह-मशविरे में मुझे शामिल नहीं किया गया, मुझे किसी बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया और पार्टी के प्रचार की रणनीतिक योजना बनाने में भी मुझे नहीं जोड़ा गया. मुझसे सलाह नहीं ली गई, तब भी मैंने प्रचार किया.’ वहीं पार्टी में छिड़ी सियासी बगावत से जुड़े सवाल पर आनंद शर्मा ने कहा कि, ‘कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही बगावत से आहत हुए हैं और भाजपा को इस मामले में कांग्रेस से ज्यादा चोट पहुंची है. मुझे यह कहते हुए कोई संकोच नहीं हो रहा कि हमने कुछ विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों का चयन करने में गलती की है.’