HimachalAssemblyElection. हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रचार का आज आखिरी दिन है. शाम 5बजे बाद रैली और सभाओं पर रोक लग जाएगी, हां प्रत्याशी घर-घर जाकर मनुहार कर सकेंगे. परसों यानी 12 नवंबर को मतदान होगा और जिसके परिणाम 8 दिसम्बर को घोषित किए जाएंगे. ऐसे में अब हिमाचल विधानसभा की सभी 68 सीटों पर सियासी गोटियां फिट हो चुकी हैं और अब बकेवल मतदान का इंतजार किया जा रहा है. आज बात करें हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की तो, हिमाचल की किन्नौर विधानसभा सीट खासी सियासी महत्व रखती है. किन्नौर जिले में केवल एक विधानसभा सीट है और जिले की इकलौती विस सीट पर कांग्रेस के साथ बीजेपी, दोनों की ही नजरें गढ़ी हुई हैं.
यहां आपको बता दें कि किन्नौर विधानसभा सीट पर आदिवासी (ST) वर्ग की एक आरक्षित सीट है, जहां मतदाताओं की संख्या 58,836 है. यहां मैदान में 10 से अधिक उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं. आइए, समझते हैं किन्नौर विधानसभा सीट का सियासी गणित…
किन्नौर विस: नए उम्मीदवार पर दांव खेल रही बीजेपी
किन्नौर विधानसभा सीट प्रदेश की खास विस सीटों में शुमार है. यह किन्नौर जिले और मंडी लोकसभा में आती है जहां पर कांग्रेस और भाजपा का वर्चस्व रहा है. हालांकि कई बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी यहां पर जीत का परचम लहराया है. पिछले दो चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने दोनों बार भाजपा के तेजवंत सिंह नेगी को हराकर फतह हासिल की है.
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पिछले विधानसभा चुनावों में दोनों के बीच बेहद कांटे की टक्कर हुई और दोनों के बीच जीत हार का अंतर केवल 120 वोट रहा. 2017 के चुनावों में कांग्रेस के जगत सिंह नेगी को 20,029 वोट जबकि भाजपा के तेजवन्त सिंह नेगी को 19,909 मत हासिल हुए. कांग्रेस के नेगी ने भाजपा के तेजवंत को मात्र 120 वोटों के मार्जिन से ही शिकस्त दी.
2012 के चुनावों में किन्नौर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने बीजेपी के तेजवन्त सिंह नेगी को 6,288 वोटों से मात दी थी. जगत सिंह नेगी को 20,722 वोट मिले. वैसे इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही बराबर विजयश्री हासिल हुई है. 1990, 1998 और 2007 के चुनावों में बीजेपी को इस सीट पर फतह मिली है. इसी तरह, कांग्रेस ने 1985, 1993, 2003, 2012 और 2017 के चुनाव जीते हैं.
इस सीट पर 1972 को चुनाव एलआरपी के टिकट पर ठाकुर सेन नेगी ने कांग्रेस के ज्ञान सिंह को हराकर जीता था. इसके बाद लगातार दो बार ठाकुर सेन नेगी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 1977 और 1982 के चुनावों में रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की थी.
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इस बार कांग्रेस पार्टी ने जगत सिंह नेगी को एक बार फिर मैदान में उतार कर जीत की हैट्रिक लगाने का मौका दिया है. बीजेपी ने नए चेहरे के रूप में सूरत नेगी पर दांव खेला है. आम आदमी पार्टी ने तरसेम सिंह को उतारा है. पिछले बार की तरह इस बार भी किन्नौर विस सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.