Wednesday, January 22, 2025
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क्या नीतीश कुमार को चुकानी पड़ रही है विपक्षी एकता के सूत्रधार बनने की बड़ी कीमत?

विपक्षी एकता का झंडा उठाना बिहार सीएम नीतीश कुमार को पड़ रहा भारी, अब बीजेपी के प्रमुख निशाने पर चल रहे हैं जदयू प्रमुख, अब बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और नीतीश के काफी अच्छे दोस्त ने भी साधा नीतीश कुमार पर निशाना, कहा- हिम्मत है तो संसद भवन की कार्यवाही में कभी न भाग लेने का निर्णय लें विपक्षी दल

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बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार विपक्षी एकता के सूत्रधार बन रहे हैं. जिन राज्यों में कांग्रेस की पैठ कमजोर है या जहां कांग्रेस का वोट बैंक थोड़ा कम है, वहां नीतीश बीजेपी को कमजोर करने के लिए अन्य राजनीतिक पार्टियों को यूपीए में लाने के लिए दिन रात पसीना बहा रहे हैं. ममता बनर्जी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक को नीतीश अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा काफी गर्म है कि जल्दी ही नीतीश को यूपीए में एक बड़े पद से सुशोभित किया जाएगा. हालांकि विपक्षी एकता का झंडा बुलंद करने के लिए नीतीश को काफी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ रही है. अब वे बीजेपी के उतने ही प्रमुख निशाने पर आने वाले हैं, जितने की राहुल गांधी. इसी क्रम में संसद के नए भवन के उदघाटन समारोह का बहिष्कार करने और यूपीए का साथ देने के लिए बिहार के पूर्व डिप्टी सीए और बीजेपी से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने जेडीयू और खासकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर उनकी ही पुरानी बात को याद दिलाकर हमला बोला है.

सुशील मोदी ने कहा कि यदि हिम्मत है तो विपक्ष घोषणा करें कि वह भारतीय अस्मिता और गौरव के प्रतीक नये संसद भवन की कार्यवाही में कभी भाग नहीं लेगा. सुशील मोदी ने आगे कहा कि जिन लोगों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का विरोध किया और अपशब्द तक कहे थे, उन्हें आज आदिवासी सम्मान की बड़ी चिंता हो रही है.

यह भी पढ़ेंः नीतीश कुमार की केजरीवाल से मुलाकात ने बढ़ाई बीजेपी सांसदों की चिंता, भड़के मनोज तिवारी

राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि नये संसद भवन के शुभारम्भ पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईर्ष्या-द्वेष की राजनीति करने वाले नीतीश कुमार बताएं कि 17 साल में उन्होंने कितने सरकारी भवनों का शिलान्यास और उद्घाटन राज्यपाल से कराया. मोदी ने कहा कि पटना में विधानमंडल के नये भवन का उद्घाटन भी मुख्यमंत्री ने किया था और किसी ने उस कार्यक्रम का बहिष्कार नहीं किया था.

नए संसद भवन पर नहीं होनी चाहिए राजनीति

बीजेपी नेता ने कहा कि जो लोग नये संसद भवन के विरोध में सुप्रीम कोर्ट तक गए और पराजित हो कर लौटे, वे अब केवल इसलिए विरोध में हैं कि इस भवन के उद्घाटन का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को मिलते नहीं देख सकते. आधुनिक सुविधाओं से लैस नये संसद भवन का उद्घाटन महान स्वाधीनता सेनानी वीर सावरकर की जयंती पर हो रहा है. इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.

इंदिरा गांधी का नाम लेकर कांग्रेस पर कसा तंज

राज्यसभा सांसद ने कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पुराने संसद भवन की एनेक्सी का उद्घाटन किया था. तत्कालीन सांसद राहुल गांधी ने संसद के पुस्तकालय का शिलान्यास किया. उस समय कांग्रेस को कभी राष्ट्रपति की याद क्यों नहीं आयी. यूपीए सरकार के समय जयराम रमेश नया संसद भवन बनाने की जरूरत बता रहे थे. जब एनडीए सरकार ने सेंट्रल विस्टा बनाने का निर्णय किया, तब कांग्रेस विरोध में खड़ी हो गई थी.

19 विपक्षी दलों ने बनाई उदघाटन समारोह से दूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्धघाटन करने वाले हैं. इसकी सारी तैयारियां जोरों से चल रही है, वहीं विपक्ष के बयान और प्लान से नए संसद भवन के उद्धघाटन के कार्यक्रम पर विवाद शुरू हो गया है. अब तक कांग्रेस समेत 19 राजनीतिक दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. इसमें कांग्रेस के अलावा, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, आरजेडी, जदयू, तृणमूल कांग्रेस, ठाकरे गुट की शिवसेना और एआईएमआईएम सहित अन्य राजनीतक दल शामिल हैं. इन सभी ने इस कार्यक्रम से किनारा करने और एक सुर में कहा है कि उद्धघाटन का बहिष्कार करेंगे. आने वाले समय में ये लिस्ट और बढ़ सकती है.

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