Manoj Tiwari’s big attack on Kejriwal: विपक्ष के राजनीतिक दलों का एक साथ आना केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए एक चिंता की बात तो है. ऐसे में विरोधी सोच वाले दल भी विपक्षी दल में शामिल हो रहे हैं या भविष्य में हो सकते हैं, उससे बीजेपी के नेता बैचेन होने लगे हैं. दिल्ली की राजनीति में भी ऐसा देखने को मिल रहा है जब विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश कुमार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने पहुंचे. हालांकि मुलाकात किसी अन्य कारणों से थी लेकिन इसके पीछे की वजह विपक्षी एकता ही थी. इस मुलाकात का सुखद परिणाम आना तय है जिससे दिल्ली के बीजेपी सांसद कुछ सदमें में दिख रहे हैं. यही वजह है कि मीडिया के समक्ष मनोज तिवारी समेत अन्य सांसदों ने केजरीवाल को सबसे भ्रष्ट नेता कह दिया. वहीं मनोज तिवारी ने तो यहां तक कह दिया कि जो-जो अरविंद केजरीवाल से सटा है, उसका कद घटा है.
एक प्रेस काॅन्फ्रेंस में मनोज तिवारी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम अरविंद केजरीवाल पर जोरदार हमला बोला. बीजेपी सांसद ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केजरीवाल की मुलाकात पर तंज कसते हुए तिवारी ने कहा कि जिन लोगों को केजरीवाल कभी भ्रष्टाचार की प्रतिमूर्ति मानते थे, आज उन्हीं के साथ खड़े हुए दिखाई देते हैं. लोगों को समझ आ गया है कि दूसरों को भ्रष्टाचारी बताने वाले अरविंद केजरीवाल खुद सबसे बड़े भ्रष्टाचारी निकले.
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तिवारी ने चुटकी लेते हुए कहा कि जब किसी ने पूछा कि आप जिन पर आरोप लगाते थे उनसे क्यों मिल रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि अभी मोदी-शाह को हराना है. केजरीवाल ने कहा यही हमारी प्राथमिकता है. अभी-अभी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव इनसे मिलकर गए हैं. जिस व्यक्ति के कुछ कहने का कोई मतलब नहीं रहे, वो किसी भी पद पर कितना खतरनाक साबित होता है.
केजरीवाल का आना दिल्ली का दुर्भाग्य
मीडिया से रूबरू होते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद हर्षवर्धन ने कहा कि ये दिल्ली का दुर्भाग्य है. मैंने दिल्ली में चार सीएम को देखा, बीस साल को खंगाल कर देखा कि यही कानून था. उसी आधार पर सरकारें चलीं, लेकिन ये नहीं याद आता कि सीएम और एलजी के बीच इस प्रकार की कोई बातचीत हुई हो. एक दूसरे के प्रति आदर होता था. किस मंत्रालय में कौन अफसर रहेगा इस पर झगड़ा नहीं हुआ. ये सब केजरीवाल के आने से पहले तक था.
बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आते ही अरविंद केजरीवाल ने उन अधिकारियों जो कि दिल्ली सरकार की ओर से किए गए भ्रष्टाचार की जांच कर रहे थे, उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. अरविंद केजरीवाल का व्यवहार बहुत ही निम्न स्तर का है. उन्होंने राजनीति का स्तर गिरा दिया है.
एक अध्यादेश को लेकर केजरीवाल और केंद्र सरकार में चल रही ठनक
दरअसल, आम आदमी पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार के बीच एक अध्यादेश को लेकर फिर से ठन गई है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि दिल्ली सरकार के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और जमीन को छोड़कर सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं. केंद्र ने अब कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया है. इसी को लेकर केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है. इस अध्यादेश के जरिये अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को दिए गए हैं. यह अध्यादेश राज्यसभा में पारित न हो, इसके लिए केजरीवाल अन्य विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं.
नीतीश कुमार जब केजरीवाल से मिलने पहुंचे, उस वक्त आप संयोजक ने इस बात का जिक्र किया. इस पर नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल को यूपीए में शामिल सभी दलों के समर्थन दिए जाने का वायदा किया है. इस बात को दिल्ली सीएम ने मीडिया के समक्ष भी जाहिर किया है कि नीतीश कुमार ने इस अध्यादेश के खिलाफ समर्थन देने को कहा है.