राहुल गांधी की लगाई चिंगारी में सुलग रही संसद की नई बिल्डिंग, उदघाटन कौन करें, मूर्मू, मोदी या कोई और ?

विपक्षी एकता से पहले ही एक हुआ विपक्ष, विपक्षी दलों ने बताया इसे लोकतंत्र का अपमान, 19 राजनीतिक पार्टियों ने किया समारोह का बहिष्कार तो ओवैसी ने उदघाटन के लिए सुझाया तीसरे व्यक्तित्व का नाम, राहुल गांधी ने उठाया था सबसे पहले ये मुद्दा, अब मोदी एंड पार्टी के लिए बन गया है नाक का सवाल

rahul gandhi
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 New Parliament Inauguration: संसद की नई बिल्डिंग जिसका उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है, उस पर अब बवाल शुरू हो चुका है. कहना गलत न होगा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के द्वारा सुलगाई गई एक चिंगारी ने अब हवा पकड़ ली है और विपक्षी दलों की ओट से निकलकर सत्ताधारी पार्टी के हाथ भी जला रही है. हालांकि पीएम मोदी की आड़ में भारतीय जनता पार्टी को विपक्षी दलों के किसी आंदोलन, किसी मनाही से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है लेकिन बात यहां तक आ पहुंची है कि 28 मई को संसद के भवन के उदघाटन समारोह का कांग्रेस समेत 19 से अधिक राजनीति पार्टियों ने संयुक्त तौर पर बहिष्कार किया है. विपक्षी दलों ने नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम से करवाने पर बीजेपी की घेराबंदी की है. वह इसे राष्ट्रपति का अपमान बता रहे हैं. बिल्डिंग की उद्घाटन की तारीख पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि उस दिन सावरकर जयंती है. कांग्रेस पहले से ही सावरकर मामले में बीजेपी पर मुखर रही है. ऐसे में अब संसद के नए भवन के उदघाटन का मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा बनते जा रहा है.

संसद की नई बिल्डिंग से जुड़ा हालिया विवाद के ट्वीट के बाद शुरू हुआ, जिसमें कहा गया कि इस बिल्डिंग का उद्घाटन पीएम नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए. यह ट्वीट कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 21 मई को किया था.

इसके पीछे एक वजह यह भी है कि जब नई संसद के भवन की नींव रखी गई थी, तब महामहीम राष्ट्रपति को इससे दूर रखा गया था. अब भवन निर्माण पूरा हुआ, तब 18 मई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पीएम को इस भवन का उद्घाटन करने का निमंत्रण दिया. ऐसे में विपक्षी दलों को भी इस तरह के समारोह से राष्ट्रपति की अनदेखी न्यायोचित नहीं लग रही है. जबकि यह सर्वविदित है कि संसद के पहले सत्र में संबोधन हमेशा राष्ट्रपति द्वारा ही किया जाता रहा है.

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खरगे ने बताया लोकतंत्र का अपमान तो ओवैसी ने सुझाया नया नाम

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद के नए भवन के शिलान्यास और उदघाटन के मौके पर राष्ट्रपति को नहीं बुलाया जाने को लोकतंत्र का अपमान बताया है. वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने अब इस मामले में बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों से अलग बयान दे दिया. ओवैसी ने कहा कि हमारा बस इस बात पर विरोध है कि पीएम नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन क्यों कर रहे हैं. ओवैसी ने कहा कि थ्योरी ऑफ सेप्रेशन ऑफ पावर संविधान का हिस्सा हैण् अगर पीएम उद्घाटन करेंगे तो ये संविधान का उल्लंघन होगा. प्रधानमंत्री को नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करना चाहिएण् प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति को भी इसका उद्घाटन नहीं करना चाहिए.

उन्होंने नाम सुझाते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसका उद्घाटन करवाना चाहिए. अगर उनसे उद्घाटन नहीं कराया जाएग तो हम भी समारोह में शामिल नहीं होंगे.

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19 विपक्षी दलों ने किया समारोह का बहिष्कार, संयुक्त बयान किया जारी

इस मुद्दे के चलते नए संसद भवन का उदघाटन का बहिष्कार करने को देश के 19 विपक्षी दल एकमत हो गए हैं. इसी क्रम में सभी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से चूस लिया गया है तो हम नए भवन में कोई मूल्य नहीं पाते हैं. बयान में लिखा गया है, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन महत्वपूर्ण अवसर है. हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही हैण् जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उसकी हमारी अस्वीकृति के बावजूद हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे. हालांकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है. जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है.

हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं. हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ शब्दों और भावनाओं में लड़ना जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे.

गौर करने वाली बात ये भी है कि उदघाटन समारोह का बहिष्कार करने वालों की सूची में ठाकरे गुट की शिवसेना भी शामिल है. हालांकि शिवसेना ने इस मुद्दे को केवल राष्ट्रपति तक ही सीमित रखा है. सावरकर जयंती के अवसर पर उदघाटन की बात पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है. शिवसेना सावरकर मुद्दे पर हंगामा मचाकर अपनी मिट्टी पलीत नहीं करना चाहेगी. वजह ये भी है कि सावरकर के मुद्दे पर शिवसेना और कांग्रेस के नेता कई बार आमने सामने हो चुके हैं. यहां तक की शिवसेना ने सावरकर के मुद्दे को बार बार उठाए जाने पर महाविकास अघाड़ी गठबंधन तोड़ने तक की धमकी दे दी है.

इन दलों ने किया है समारोह का विरोध

19 विपक्षीय दलों ने बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके, शिवसेना (ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपीए सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, AIMIM और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (MDMK) शामिल हैं.

ये दल होंगे कार्यक्रम में शामिल

उद्घाटन कार्यक्रम में बसपा चीफ मायावती के अलावा जगन मोहन रेड्डी की YSRCP और टीडीपी भी शामिल होंगे. नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और अकाली दल इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.

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