Politalks.News/Congress/AnandSharma. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के पतन की ओर बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पार्टी में लंबे समय से जारी आंतरिक घमासान है. हाल ही में वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के जम्मू कश्मीर प्रचार समिति के पद से इस्तीफे के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की संचालन समिति से इस्तीफा दे दिया है. यही नहीं आनंद शर्मा ने एक बार फिर पार्टी के नेतृत्व पर भी बड़े सवाल उठा दिए हैं. शर्मा ने कहा कि ‘यह पार्टी हम सभी की है.’ एक नेशनल न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान भावुक हुए आनंद शर्मा ने यहां तक कहा कि, ‘मैंने पार्टी को अपना पूरा जीवन दिया, इसके बावजूद मुझे अपमानित किया गया, नीचा दिखाने की कोशिश की गई.’ वहीं दूसरी तरफ पार्टी में अब कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए हलचल तेज हो गई है, खबर है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्दी बैठक बुला सकती हैं.
एनडीटीवी से बातचीत में भावुक होते हुए दिग्गज कांग्रेसी नेता ने कहा कि, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं अकेला हूं…हम सभी के जीवन चुनौतियां हैं. मैं वर्षों से ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा हूं, मैं राजनीति छोड़ सकता था. मेरा बेटा ऑटिस्टिक है…मैंने अपना प्रोफेशन छोड़ दिया, मैंने अपना पूरा जीवन दे दिया. मुझे बदनाम करने की जरूरत नहीं है. मैं बहुत आहत और अपमानित महसूस कर रहा हूं. मुझे इसका दुख है.’ यह कहते हुए आनंद शर्मा की आवाज टूट रही थी, वह किसी तरह अपने आंसुओं को रोक पा रहे थे. यही नहीं आनंद शर्मा ने कांग्रेस नेतृत्व के रूप में गांधी परिवार ही क्यों, इस पर भी सवाल उठाया.
चैनल से बातचीत में आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस को गांधी परिवार से हटकर सोचने की जरूरत है. वह कहते हैं कि इस बात का कोई कारण नहीं है कि सूची केवल राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा तक सीमित होनी चाहिए. शर्मा ने कहा कि, ‘क्या कांग्रेस केवल इन दो नामों तक सीमित है? क्या हम कांग्रेस पार्टी के इतिहास का मजाक नहीं उड़ा रहे हैं.’ बताया जा रहा है कि राहुल गांधी पार्टी में शीर्ष पद की उम्मीदवारी के लिए अनिच्छुक हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी का प्रदर्शन खराब रहा है.
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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति से क्यों दिया इस्तीफा?
अपमान के बारे में बोलते हुए आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश संचालन समिति के पद से इस्तीफा देने के अपने कदम के बारे में भी बताया. शर्मा ने कहा, पार्टी की कार्य समिति और उसके राजनीतिक मामलों की समिति का लंबे समय तक सदस्य रहने के बाद, मैंने यह नहीं कहा था कि मुझे एक संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया जाए. उस समय को रेखांकित करते हुए जब कांग्रेस ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों को हिमाचल प्रदेश भेजा था, आनंद शर्मा ने कहा, ‘मुझे सभी बैठकों का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित क्यों नहीं किया गया, इसका मैं जवाब नहीं दे सकता, मेरी स्थिति अस्थिर हो गई थी.’
आपको बता दें कि कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे जी-23 के अन्य नेताओं की तरह, आनंद शर्मा भी पिछले 2 वर्षों में कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी की तीखी आलोचना करते रहे हैं, जिसमें बंगाल में एक मुस्लिम मौलवी द्वारा बनाई गई एक विवादास्पद नई पार्टी के साथ गठबंधन और कपिल सिब्बल के घर पर हुए हमले को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की चुप्पी शामिल है. सोनिया गांधी द्वारा वादा किए गए संगठनात्मक परिवर्तनों के बाद उनके पत्र में बार.बार देरी होने के कारण, कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. पिछले 2 वर्षों में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, अश्विनी कुमार, कपिल सिब्बल और हार्दिक पटेल जैसे नेताओं को खो दिया. इनमें से ज्यादातर नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं.
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गौरतलब है कि, आनंद शर्मा, गुलाब नबी आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने करीब दो साल पहले सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिसमें संगठन स्तर पर बदलाव की बात कही गई थी. वहीं दूसरी तरफ हाल ही में जम्मू और कश्मीर में गठित चुनाव समिति से वरिष्ठ नेता आजाद ने भी इस्तीफा दे दिया था. खास बात है कि इन राज्यों में चुनाव होने हैं और कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हैं. बता दें किब2024 विधानसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि पार्टी इनके जरिए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है. देश के कई राज्यों के चुनाव में बैक टू बैक हो रही हार और नेताओं के साथ छोड़ने के चलते देश के सबसे पुरानी और कभी काफी मजबूत रही कांग्रेस पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.