Politalks.News/Assembly Elections/BJP. हाल ही में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार राज्यों में जोरदार प्रदर्शन किया है. लेकिन इस ऐतिहासिक जीत के बाद भी सियासी गलियारों में चर्चा है कि ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाने की जल्दी में नहीं है. एक ओर जहां पंजाब में जबरदस्त तरीके से चुनाव जीती आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक हो चुकी है और सीएम के दावेदार के तौर पर लड़े भगवंत मान नेता चुन लिए गए हैं. यहां तक कि भगवंत मान ने राज्यपाल से मिल कर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया और 16 मार्च को यानी कल उनकी शपथ भी होने जा रही है. लेकिन वहीं भाजपा ने अभी तक विधायक दल की बैठक बुलाने और नया नेता चुनने की कवायद भी शुरू नहीं की है. नतीजे आए पांच दिन हो चुके हैं और अभी तक विधायक दल की बैठक बुलाने, नेता चुनने, दावा पेश करने जैसा कोई काम नहीं हुआ है. हालांकि कल भाजपा ने अमित शाह समेत अन्य दिग्गजों को पांचों राज्यों में पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं. सियासी जानकारों की माने तो यूपी को छोड़ दें तो उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान तेज हो गया है.
यूपी में तो योगी ही योगी!
सियासी जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश छोड़ कर बाकी तीन राज्यों में नेता चुनने में दिक्कत आ रही है. पार्टी किसी का नाम तय नहीं कर पा रही है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का नाम घोषित करके पार्टी लड़ी थी और नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साफ कर दिया है कि योगी फिर मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन ऐसी स्पष्टता उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में नहीं दिख रही है.
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धामी के हारने से उत्तराखंड में खड़ा हुआ ‘अजीब संकट’
उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बन सकते थे लेकिन दुर्भाग्य से वे विधानसभा का चुनाव हार गए. इसलिए पार्टी को नया नेता चुनना है. सूबे में सीएम की कुर्सी के कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं. बीजेपी को जनादेश तो मिला लेकिन खटीमा से कार्यवाहक सीएम पुष्कर धामी को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में क्या उनको एक बार फिर मौका देगी बीजेपी या सीएम के रूप में नया चेहरा सामने आएगा. इस सवाल का जवाब होली के तुरंत बाद मिल सकता है जब बीजेपी के उत्तराखंड पर्यवेक्षक 19 मार्च को देहरादून जाएंगे. जहां विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी. उत्तराखंड के सीएम की रेस में जो दावेदारी पेश कर रहे हैं उनमें सबसे आगे चल रहे हैं- कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत, सतपाल महाराज (कई बार कैबिनेट मंत्री रहे), बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पूर्व सीएम भवन खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी, मसूरी से विधायक गणेश जोशी, इनके अलावा केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और राज्यसभा सासंद अनिल बलूनी भी रेस में हैं. हालांकि अभी किसी भी नेता ने अपने नाम की पुष्टि नहीं की है और सबका कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व और विधानमंडल दल मिलकर ही इस बात का फैसला करेंगे.
मणिपुर में बीरेन के अलावा दो नाम आए रेस में!
बात करें मणिपुर की तो यहां चुनाव से पहले बीजेपी अनौपचारिक रूप से घोषणा की थी कि बीरेन सिंह पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे और अगली सरकार का नेतृत्व करेंगे. अब बताया जा रहा है कि केंद्रीय पर्यवेक्षक बहुत जल्द राज्य का दौरा कर सीएम के अगले चेहरे का ऐलान करेंगे. इस पर अभी तक एक ही चेहरा सामने था एन बीरेन सिंह का लेकिन अब सीएम पद के दो और दावेदार आ गए हैं.
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मणिपुर में सीएम पद के लिए बिशनपुर के विधायक गोविंददास कोंथौजम का नाम भी सामने आ रहा है. वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे. उन्होंने कांग्रेस और राज्य विधानसभा से इस्तीफा दिया था. पिछले साल ही गोविंददास बीजेपी में शामिल हुए थे. गोविंददास के साथ ही थोंगम बिस्वजीत सिंह का नाम भी सीएम की रेस में सामने आ रहा है. सिंह ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के मंत्री थे. 2019 में, उन्हें सार्वजनिक कार्यों और बिजली विभागों से हटा दिया गया था. कहा जा रहा है कि बिस्वजीत के साथ बीजेपी के 16 विधायक हैं. वह इन विधायकों के साथ केंद्रीय पार्टी के नेताओं पर दबाव डाल रहे हैं कि एन बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए. बिस्वजीत 2012 में तृणमूल के टिकट पर जीते थे. 2015 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए उपचुनाव जीते.
गोवा में भी सीएम कुर्सी पर सस्पेंस
गोवा में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ही सबसे प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं लेकिन भाजपा के 20 सीटें जीत लेने के बाद गेंद आलाकमान के पाले में आ गई है. अभी तक पार्टी ने नेता चुनने का संकेत नहीं दिया है और इस बीच राज्य सरकार के मंत्री विश्वजीत राणे ने अलग से जाकर राज्यपाल से मुलाकात की. इसके बाद से नए नेता को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं. सीएम कुर्सी पर सस्पेंस की कुछ ऐसी ही स्थिति गोवा में भी बनी हुई है. जहां 40 में से 20 सीट जीतने के बावजूद भी सीएम दावेदार का चेहरा अब तक साफ नहीं है. इतना ही नहीं बल्कि पार्टी में अंदरूनी कलह के भी कयास लगाए जाने लगे हैं. दरअसल, गोवा में कुर्सी की लड़ाई के लिए बीजेपी के दो बड़े नेता सीएम प्रमोद सावंत और विश्वजीत राणे में खींचातानी शुरू हो चुकी है. विश्वजीत राणे ने तो प्रमोद सावंत को अपना नेता तक मानने से इनकार कर दिया है. विश्वजीत राणे ने एक मराठी अखबार लोकमत में पूरे पेज का पोस्टर छपवाया और इस पोस्टर से प्रमोद सावंत का चेहरा ही गायब था. इससे पहले ऐसा ही कुछ पोस्टर उनकी विधायक पत्नी दिव्या राणे ने भी छपवाया था जिसमें प्रमोद सावंत की तस्वीर नहीं थी. गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने सीएम प्रमोद सावंत की नींद उड़ा रखी है. इसका सबूत तब मिला जब उनसे प्रदेश के अगले सीएम के बारे में सवाल पूछा गया. प्रमोद सावंत सवाल से बचते हुए दिखे और अंग्रेजी में विधायकों की शपथ की बात करने लगे.