Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के मामले में उद्धव गुट, शिंदे गुट और राज्यपाल की ओर से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच का फैसला आने वाले कुछ दिनों में आने वाला है. हालांकि निश्चित अभी कुछ भी नहीं है. ऐसे में उद्धव गुट, महाविकास अघाड़ी के साथ-साथ शिंदे गुट की निगाहें भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है. हालांकि चुनाव आयोग पहले ही शिंदे गुट के समर्थन में अपना फैसला सुना चुका है जिसके तहत शिवसेना का अधिकारिक नाम और चुनावी चिन्ह शिंदे गुट को मिल चुका है. इसके बावजूद उद्धव गुट के संजय राउत जैसे नेताओं को लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में फैसला सुना सकता है.
शिवसेना उद्धव गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत पहले ही कह चुके हैं कि ‘महाराष्ट्र में शिंदे.फडणवीस सरकार का डेथ वारंट जारी हो चुका है. यह सरकार अगले 15-20 दिनों में गिर जाएगी.’ उनका इशारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तरफ था.
दरअसल, संविधान पीठ की ओर से बहस में यह कहा है कि उसे लगता है कि गर्वनर का उद्धव सरकार को विश्वास मत साबित करने के लिए कहना अवैध था. वहीं राकंपा नेता एवं प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार ने 18 अप्रैल को अपने ट्विटर बायो से पार्टी का चुनाव चिन्ह हटा लिया. इससे भी शोर मचा कि सुप्रीम कोर्ट शिंदे सरकार के खिलाफ फैसला सुनाने वाली है और यही वजह है कि खुद को बचाने के लिए बीजेपी सरकार अजित पवार के जरिए 16 विधायकों का इंतजाम कर रही है.
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इसके अलावा, उद्धव गुट की ओर से सीनियर एडवोकेट सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि कभी भी फूट से अलग हुआ कोई खेमा पॉलिटिकल पार्टी नहीं हो सकता. राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह पर ही विधायक चुने जाते हैं. जब महाराष्ट्र के राज्यपाल ने किस आधार पर शिंदे गुट को बहुमत साबित करने का मौका दिया, तब तक चुनाव आयोग ने शिंदे खेमे को राजनीतिक दल के तौर पर मान्यता नहीं दी थी. महाराष्ट्र के राज्यपाल ने मनमाने तौर पर 34 विधायकों को असली शिवसेना मान लिया. उनका यह काम संविधान विरोधी था. सिब्बल ने अपनी दलीलों में ये भी कहा कि गवर्नर सिर्फ मान्यता प्राप्त दलों से चर्चा कर सकते हैं, किसी गुट से नहीं. किस हैसियत से राज्यपाल ने एकनाथ शिंदे से मुलाकात की और उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.
इन मजबूत दलीलों एवं उक्त दोनों संकेतों से कयास लगाए जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट उद्धव सरकार को बहाल करने के बारे में सोच रही है. मतलब यह कि फैसला उद्धव गुट के पक्ष में आ सकता है. इन संकेतों से उद्धव गुट काफी खुश और उत्साही दिख रहा है. यही वजह है कि सामना के संपादक और राज्यसभा सांसद संजय राउत इसे वर्तमान सरकार का डेथ वारंट मान रहे हैं.
वहीं शिंदे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि उस वक्त उद्धव के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार अल्पमत में आ गई थी. ऐसे में राज्यपाल ने बीजेपी को समर्थन हासिल करने वाले शिंदे गुट को सरकार बनाने का न्योता दिया. इसमें कोई गलत बात नहीं थी.
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हालांकि जमीनी स्तर पर शिंदे गुट का दावा उद्धव गुट के सामने कमजोर नजर आ रहा है लेकिन चुनाव आयोग द्वारा लिए गए फैसले को भी कम नहीं आंका जा सकता है. ऐसे में पलड़ा दोनों सिरों पर बराबर का दिख रहा है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 2019 में चुनाव हुए थे. इस चुनाव में बीजेपी 106 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में बात नहीं पाई. ऐसे में 56 विधायकों वाली शिवसेना ने 44 विधायकों वाली कांग्रेस और 53 विधायकों वाली एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई.
मई 2022 महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे शिवसेना के 39 विधायकों को अलग लेकर बागी बन गए. यहां उन्होंने अलग होने को लेकर हिन्दुत्व सहित कई सारे कारण गिनाए. इसके तुरंत बाद महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया ताकि डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला ने लेने पाए. इसी बीच राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने के लिए कह दिया. उद्धव गुट इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा.
उद्धव को जब लगा कि उनके पास बहुमत नहीं है तो उन्होंने वोटिंग से पहले ही इस्तीफा दे दिया. इसके बाद महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई. इसके बाद शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली और गुट के नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री तो देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बन गए.