anand mohan singh bihar
anand mohan singh bihar

Bihar Politics: बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई की चर्चा ना सिर्फ बिहार में बल्कि पूरे देश में हो रही है. आनंद मोहन की रिहाई के नीतीश सरकार के फैसले पर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज है. पटना में शाही अंदाज में आनंद मोहन बड़े बेटे चेतन आनंद की सगाई में बिहार के सीएम नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ तमाम बड़े नेता सगाई में शामिल हुए. इसके बाद बीजेपी समेत कई पार्टी आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल उठा रहे हैं. बसपा नेता और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने भी इस रिहाई को गलत बता चुकी हैं. इसी बीच जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सीएम नीतीश कुमार का बचाव किया है और पलटवार करते हुए बसपा को भारतीय जनता पार्टी की टीम बी बताया.

उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई पर अब भाजपा खुलकर आई है. पहले तो यूपी की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी. ललन सिंह ने आगे कहा कि नीतीश कुमार के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं किया जाता है.

अपने पलटवार में ललन सिंह सोशल मीडिया पर कहा कि अब भाजपाइयों के पेट में न जाने दर्द क्यों होने लगा है? भाजपा का सिद्धांत ही है विरोधियों पर पालतू तोतों को लगाना, अपनों को बचाना और विरोधियों को फंसाना. वहीं नीतीश कुमार के सुशासन में न तो किसी को फंसाया जाता है न ही किसी को बचाया जाता है.

यह भी पढ़ेंः सरकार रिपीट वाले दावे पर जोशी का ब्ड गहलोत पर तंज तो राहुल गांधी को लेकर कहा. उनको ढूंढ़ रहे किसान

इससे पहले मायावती के टवीट का जवाब सोशल मीडिया पर देते हुए ललन सिंह ने लिखा, ‘बीजेपी को यह पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं किया जाता है. आनंद मोहन ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी भी सजायाफ्ता को मिलती है वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी क्योंकि खास लोगों के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था. नीतीश कुमार ने आम और खास के अंतर को समाप्त किया और एकरूपता लाई तब उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ.’

गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार की नीतीश सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं. बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करना चाहिए.

बता दें कि सरकार ने आनंद मोहन समेत उन 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया है जो उम्र कैद की सजा काट रहे हैं और उन्हें जेल में 14 साल हो चुके हैं. सरकार की कैदियों पर की गई दया को बीजेपी ने राजनीति से प्रेरित बताया. बीजेपी के प्रवक्ता डाॅ.रामसागर सिंह ने नीतीश कुमार पर निशाना साधाते हुए कहा है कि जिन 27 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया है, वो आरजेडी का आधार वोट है. सरकार का ये फैसला 2024 के लोकसभा चुनावों में नीतीश कुमार को फायदा नहीं पहुंचाएगा. बीजेपी नेता ने कहा कि नीतीश कुमार की सभी करतूतों को जनता देख रही है. बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह भी इस रिहाई पर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने कहा कि नियम बदल कर आनंद मोहन की आड़ में नीतीश सरकार एक बड़ा खेल खेल रही है.

कौन हैं आनंद मोहन, क्या हैं आरोप

90 के दशक में आनंद मोहन राजनीति का बड़ा चेहरा बनकर उभर रहे थे. उस समय बिहार के सीएम लालू यादव थे. 1993 में सवर्णों के हक के लिए आनंद मोहन ने बिहार पीपल्स पार्टी बनाई. उस समय लालू और आनंद मोहन को राजनीति विरोधी माना जा रहा था. इस बीच बिहार पीपल्स पार्टी के नेता छोटन शुक्ला की 1994 में पुलिस के द्वारा मार गिराया गया. छोटन शुक्ला और आनंद मोहन करीबी माने जाते थे. छोटन शुक्ला की हत्या के बाद हजारों की भीड़ में शवयात्रा निकाली गई थी जिसकी अगुआई आनंद मोहन कर रहे थे.

यह भी पढ़ेंः यूपीए के संयोजक बनेंगे नीतीश कुमार! राहुल गांधी से बोले बिहार सीएम – ‘हम साथ साथ हैं’

अचानक से शवयात्रा में भीड़ उग्र हो गई और गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.कृष्णैय्या की गोली मार कर हत्या कर दी गई. बाद में भीड़ को उकसाने का आरोप आनंद मोहन पर लगा और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. साल 2008 में उनकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. 2012 में आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट से सजा कम करने की अपील की थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था. अब नीतीश सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए ऐसे कैदियों जिन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और उन्हें जेल में 14 साल पूरे हो चुके हैं, ऐसे 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है. आनंद मोहन भी उनमें से एक हैं. बिहार सरकार के इस फैसले के बाद नीतीश सरकार चहूंओर से राजनीतिक हलकों में घिरती हुई नजर आ रही है.

Leave a Reply