लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण पूरा होने के बाद कई जगह से ईवीएम मशीन बदले जाने की खबरें आ रही हैं. इससे जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. ये वीडियो झांसी, चंदौली, गाजीपुर और डुमरियागंज के बताए जा रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष के नेता आरोप लगा रहे हैं कि नतीजों को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी ने ईवीएम बदलने का खेल रचा है. क्या वाकई में बीजेपी के इशारे पर ईवीएम की अदला-बदली हो रही है? क्या चुनाव आयोग बीजेपी के हाथों की कठपुतली बन गया है?

जब पॉलिटॉक्स ने इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि सोशल मीडिया पर झांसी, चंदौली, गाजीपुर और डुमरियागंज के नाम से वायरल हो रहे वीडियो वहीं के हैं. वीडियो सही साबित होने के बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या बीजेपी के इशारे पर ईवीएम को इधर-उधर किया गया. पॉलिटॉक्स ने इस बारे में पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई.

दरअसल, झांसी, चंदौली, गाजीपुर और डुमरियागंज सीटों पर सातवें और आखिरी चरण में वोटिंग हुई थी. यहां मतदान पूरा होने का समय शाम छह बजे का था लेकिन जो मतदाता इस समय सीमा में मतदान केंद्र की चारदीवारी में दाखिल हो गए, उन्हें वोट डालने दिया गया. इसलिए कई जगह आठ बजे तक वोटिंग चली. मतदान पूरा होने के बाद कागजी खानापूर्ति हुई और ईवीएम मशीनें स्ट्रॉंग रूम के लिए रवाना हुईं. कई पोलिंग बूथ स्ट्रॉंग रूम से दूर थे इसलिए वहां से ईवीएम पहुंचते-पहुंचते सुबह हो गई. झांसी के जिला निर्वाचन अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है.

पॉलिटॉक्स की पड़ताल में यह भी सामने आया कि हर पोलिंग बूथ, जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट के पास रिजर्व ईवीएम होती हैं. इनका प्रयोग वोटिंग के दौरान किसी ईवीएम के खराब हो जाने पर होता है. इनमें से जो ईवीएम काम नहीं आती हैं, उन्हें अलग स्ट्रॉंग रूम में रखा जाता है. आमतौर पर इन्हें दिन में स्ट्रॉंग रूम में रखा जाता है. सभी सीटों पर ऐसा हुआ, लेकिन झांसी, चंदौली, गाजीपुर और डुमरियागंज पर इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

झांसी के जिला निर्वाचन अधिकारी ने विस्तार से इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा, ‘झांसी में एक ही पोलिंग पार्टी की रवानगी होती है, यहीं पर स्ट्रॉंग रूम बनते हैं और यहीं कलेक्शन प्वाइंट होता है. चूंकि गरोठा और मऊ काफ़ी दूर के विधानसभा क्षेत्र हैं तो कुछ पोलिंग पार्टियों को वहां से आने में विलंब हो गया था. कुछ पीठासीन अधिकारियों को अपने पत्र भरने में विलंब हो गया था. इसलिए स्ट्रॉंग रूम सील होते होते सुबह हो जाती है. यहां भी सुबह 7-7.30 तक सारी ईवीएम मशीन हमने स्ट्रॉंग रूम में रख दी थी. उनकी सीलिंग जेनरल ऑब्ज़र्वर और जो भी कैंडिडेट आए थे उनके सामने की गई थी, उन्हें इसके लिए सूचित किया गया था. सीलिंग करते समय वीडियो बनाई गई थी और सीसीटीवी कैमरा के सामने की गई थी.

एक आरोप यह भी लग रहा कि उम्मीदवारों को स्ट्रॉंग रूम की निगरानी नहीं करने दी जा रही है. गाजीपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी ने इसका खंडन किया है. उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘इस सूचना के बारे में ये अवगत करवाना है कि ग़ाज़ीपुर में रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा ये व्यवस्था बनाई गई है कि प्रत्येक प्रत्याशी को स्ट्रॉंग रूम पर निगरानी रखने के लिए तीन कलेक्शन प्वाइंट परआठ-आठ घंटे में एक-एक व्यक्ति को पास जारी करने के लिए निर्धारित किया गया है. लेकिन कई जगहों पर कभी तीन तो कभी पांच लोगों को पास जारी करने की मांग की गई जिसके लिए प्रशासन ने असहमति जताई है.’

पॉलिटॉक्स की पड़ताल से यह साफ होता है कि झांसी, चंदौली, गाजीपुर और डुमरियागंज में ईवीएम बदलने की खबर सच नहीं है. असल में यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे हर सीट पर अपनाया गया है.

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