Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा लाई मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना को लेकर इन दिनों सियासी गहमागहमी अपने चरम पर है. एक तरफ जहां सीएम गहलोत खुद अपनी इस योजना की देशभर में तारीफ करते नहीं थकते तो दूसरी तरफ उन्हीं की सरकार के विधायक एवं जनता इस योजना के सफल ना होने के पीछे प्रशासन के साथ साथ सरकार को जिम्मेदार ठहराती आ रही है. हाल ही में सीएम गहलोत के गृहक्षेत्र जोधपुर के एक प्राइवेट श्रीराम हॉस्पिटल में चिरंजीवी योजना का लाभ ना मिलने पर ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने मोर्चा खोलते हुए अपनी ही सरकार को आड़े हाथ लिया था. इसी बीच शुक्रवार को ‘राइट टू हेल्थ बिल’ भले ही विधानसभा में पारित ना हुआ हो लेकिन दिव्या मदेरणा ने चिरंजीवी योजना में प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी को लेकर एक बार फिर गहलोत सरकार को जमकर घेरा. मदेरणा ने कहा कि, ‘हम गरीब की आवाज बनने सदन में आए हैं. ऐसे में क्या हर बार गरीबों को चिरंजीवी योजना का फायदा दिलाने के लिए विधायक को आना पड़ेगा. क्या हम संवेदनशील होकर काम नहीं कर सकते?’
आपको बता दें कि राजस्थान विधानसभा में आज बहुप्रतिक्षित राइट टू हेल्थ बिल पारित नहीं हो पाया है. इस बिल को चर्चा के बाद प्रवर समिति को भेजा गया है. इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष एवं पक्ष के कई नेताओं ने सरकार की बहुप्रतीक्षित मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना को लेकर सरकार को आड़े हाथ लिया. सदन में बहस के दौरान अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाली एवं अपनी निर्भीकता से सभी को चौंकाने वाली ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने अपनी सरकार की चिरंजीवी योजना को लेकर सवाल उठाये. दिव्या मदेरणा ने सदन में चर्चा के दौरान कहा कि, ‘आज हम विधानसभा में ‘राइट टू हेल्थ’ की बात कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ हमारी चिरंजीवी योजना की प्राइवेट अस्पताल धज्जियां उड़ा रहे हैं. मुख्यमंत्री के क्षेत्र में चिरंजीवी योजना प्रशासन के फेल्योर की वजह से मुंह के बल गिरती है.’
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बता दें, कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने ये बात इसलिए कही क्योंकि जोधपुर के एक प्राइवेट श्रीराम हॉस्पिटल में ओसियां निवासी जोगेंद्र डूडी (43) को 7 सितंबर को हार्ट अटैक आने पर एडमिट कराया गया था. परिजनों का आरोप था कि इलाज को चिरंजीवी योजना के तहत नहीं जोड़ा गया और रुपए वसूल किए गए. पीड़ित का आरोप था कि गांव से आए मरीज से पहले सवा लाख रुपए लिए, फिर इलाज के बाद 7.50 लाख का बिल थमा दिया. इस पुरे मामले के सामने आने के बाद दिव्या मदेरणा ने 10 सितंबर की रात हॉस्पिटल पहुंच कर धरने पर बैठ गया. विवाद इतना बढ़ गया दिव्या मदेरणा ने सीएमएचओ और हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर जोधपुर कलेक्टर हिमांशु गुप्ता को भी जमकर आड़े हाथ लिया. हालांकि दिव्या की जन हितेषी आवाज के बाद इस मामले पर संज्ञान लिया गया. इसी मुद्दे को आधार बनाकर दिव्या ने आज सदन में चिकित्सा मंत्री के सामने तल्ख़ अंदाज में अपनी बात रखी.
सदन में चर्चा के दौरान दिव्या मदेरणा ने कहा कि, ‘प्राइवेट सेक्टर के 890 अस्पताल चिरंजीवी योजना में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन आपने जोधपुर में देखा होगा कैसे प्राइवेट अस्पताल ने पैसे वसूले. प्राइवेट अस्पताल वाले जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे मरीज के परिजनों से कॉन्ट्रैक्ट साइन करवा लेते हैं कि उन्हें चिरंजीवी योजना का फायदा नहीं लेना. उस वक्त आदमी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा होता है तो परिजन पैसा जमा करवा देते हैं. यह जोधपुर में हुआ और भी कई जगह हो रहा है. चिरंजीवी में इलाज कवर होते हुए भी पैसा वसूला जा रहा है.’ इस दौरान दिव्या मदेरणा ने चिकित्सा मंत्री का धयान अपनी और आकर्षित करते हुए कहा कि, ‘मंत्रीजी, आप सुन रहें हैं क्या? जोधपुर प्रकरण में विशेष रूप से कहना चाहती हूं. मुख्यमंत्री के क्षेत्र में चिरंजीवी योजना मुंह के बल गिर जाती है. कलेक्टर की, प्रशासन की विफलता से गिरती है.’
विधायक दिव्या मदेरणा ने चर्चा के दौरान आगे कहा कि, ‘स्वास्थ्य मंत्री सदन में बयान दें तो ऐसे प्रशासनिक फैल्योर पर सख्त एक्शन लिया जा सकता है. जोधपुर मेटर पर आप के कथित जवाब पर उस अफसर को सस्पेंड किया जाए. आपके जवाब में प्राइवेट अस्पताल का स्टेटमेंट लिखकर जांच के नाम पर भेजा है, वह सीएमएचओ की जांच नहीं है. सीएमएचओ अस्पताल का कथन जांच रिपोर्ट के नाम पर लिख रहा है तो हमारा प्रशासन क्या कर रहा है. मेरी आपसे अपील है कि आप एक उदाहरण सेट कीजिए, ऐसी दादागिरी करने वाले अस्पतालों का इंपेनलमेंट कैंसिल कीजिए, जैसा सीकर में सीकर कलेक्टर ने किया. अगर कलेक्टर नहीं करवा रहा तो आप कीजिए. सरकार का विधायक प्रशासन की वजह से मजबूर हो जाता है.
दिव्या मदेरणा ने कहा कि, ‘हम गरीब की आवाज बनने सदन में आए हैं. चिरंजीवी योजना गरीब के लिए, आम आदमी के लिए लाने का हम दावा करते हैं. निराश्रित के लिए योजना है, तो क्या चिरंजीवी योजना का फायदा दिलाने हर बार विधायक को आना पड़ेगा. क्या हम संवेदनशील होकर काम नहीं कर सकते.’