Politalks.News/Rajasthan. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मनाने की आखिरी कोशिश बेकार होने के लिए बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नामांकन करने का फैसला कर लिया है. बताया जा रहा है कि सीएम गहलोत 28 सितंबर को नामांकन करने की तैयारी में है, इसके लिए नजदीकी नेताओं काे अलर्ट कर दिया है. वहीं गहलोत के नामांकन करने पर उनका अध्यक्ष पद पर चुना जाना तय है और ऐसी हालत में गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ेगा. ऐसे में गहलोत के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के स्वभाविक उम्मीदवार और गांधी परिवार की पहली पसंद सचिन पायलट बताए जा रहे हैं. लेकिन अशोक गहलोत कैसे पायलट को बनने देंगे, पायलट के अलावा और कौन दावेदार होंगे? यही सारे सवाल सियासी गलियारों में घूम रहे हैं, इन्ही सबके बीच सचिन पायलट आज सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं, जिस पर सभी राजनीतिज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं.
आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सीएम अशोक गहलोत के नामांकन की तैयारियों के साथ ही कांग्रेस में अब राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री के दावेदारों को लेकर चर्चा शुरू हो गई हैं. इसी बीच खबर है कि सचिन पायलट ने सभी खेमों के कांग्रेस विधायकों से बात करना शुरू किया है. बहुत से विधायकों से सचिन पायलट ने सियासी मुद्दों पर चर्चा की है. पायलट के सभी खेमों के विधायकों से बात करने की सियासी हलकों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. बताया जा रहा है कि कई ऐसे विधायकों से भी पायलट ने बात की है जिन्हें कट्टर विरोधी माना जाता था. इस पूरी एक्सरसाइज को बदले सियासी समीकरणों की आहट के तौर पर देखा जा रहा है.
इसी बीच सचिन पायलट को लेकर अब कांग्रेस विधायकों के सुर बदलने लगे हैं. मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने पायलट सहित किसी को भी सीएम बनाने के हाईकमान के फैसले का सम्मान करने का सार्वजनिक बयान दिया है. यहां आपको याद दिला दें राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीबी अगर कोई विधायक माने जाते थे, तो वो थे बसपा से कांग्रेस में आए विधायक और इन्हें पार्टी में शामिल किए जाने पर ही पायलट और गहलोत के बीच विवाद की शुरुआत हुई थी. इन विधायकों को भी अशोक गहलोत का कट्टर समर्थक माना जाता था. ये विधायक अक्सर ये कहते नजर आते थे, जताते थे कि पार्टी के साथ नहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं, लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं और इनके भी सुर बदलने लगे हैं.
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गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर चार बसपा से आए कांग्रेस विधायकों मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, संदीप यादव ,वाजिब अली और लाखन मीणा के साथ ही कांग्रेस विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज मलिंगा ने मिलकर G-6 बनाया था. इन सभी विधायकों का नेतृत्व करते हुए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने सोनिया गांधी के निर्णय को सर्वमान्य बताते हुए कहा है कि अगर सोनिया गांधी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाते हैं तो हम सोनिया गांधी के निर्णय के साथ होंगे. इसके साथ ही कभी गहलोत कैंप में सक्रिय रूप से शामिल रहे विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज सिंह मलिंगा भी खुलकर पायलट के समर्थन में खड़े हो गए हैं.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के समर्थित और सीएम गहलोत के करीबी माने जाने वाले सभी निर्दलीय विधायक भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. पहले की तरह सचिन पायलट के खिलाफ कोई बयान बाजी नहीं कर रहे हैं. अकेले निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा गहलोत को दोनों पदों पर रहने की बात कर रहे हैं. वहीं निर्दलीय बाबूलाल नागर ने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजीव गांधी के अलावा किसी और के नारे लगाने पर सभा में मौजूद लोगों को पुलिस कार्रवाई का डर दिखाया था, वही नागर अब सचिन पायलट की काबिलियत और उनके पिता राजेश पायलट के साथ अपने संबंधों की दुहाई देते हुए नजर आ रहे हैं. तो मतलब साफ है कि अब तक जो विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही कांग्रेस बता रहे थे अब वह विधायक कांग्रेस आलाकमान की ओर शिफ्ट हो गए हैं.
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आपको बता दें कि सचिन पायलट कोच्चि में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ पैदल मार्च कर दिल्ली लौट आए हैं. तय कार्यक्रम के मुताबिक पायलट को गुरुवार को जयपुर लौटना था, लेकिन वो नहीं आए. अब कहा जा रहा है कि वो शुक्रवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे और उनसे आगे के निर्देश प्राप्त करेंगे कांग्रेस पार्टी में पलपल बदल रहे घटनाक्रम के बीच सोनिया गांधी और सचिन पायलट की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. संभवत इस मुलाकात में सचिन पायलट राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद शुरू हुई राजनीतिक उठापटक को लेकर सोनिया गांधी को ब्रीफ कर सकते हैं.