इन दिनों चारों तरफ अरविंद केजरीवाल छाए हुए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री, जिन्होंने नई शराब नीति मामले में जेल से बाहर आने के बाद यकायक पद से इस्तीफा देकर तहलका मचा दिया. यहां तक कि उन्होंने अपनी पत्नी को सीएम न बनाकर पार्टी की विधायक एवं सरकार में मंत्री रहीं आतिशी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी. यहां अरविंद केजरीवाल ने केवल सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि पार्टी के लिए एक बदलाव की शुरूआत भी की है और रणनीतिकारों की मानें तो केजरीवाल का यह एक बदलाव आम आदमी पार्टी के लिए कमाल करने वाला साबित होगा.
हम बात कर रहे हैं हरियाणा विधानसभा चुनावों की. 90 सीटों पर होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 का चुनावी कैंपेन आम आदमी पार्टी के लिए ठंडा पड़ा है. भले ही केजरीवाल एंड पार्टी राज्य की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन वहां दिल्ली एवं पंजाब के मुकाबले पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है, जो उनके कार्यकर्ताओं में जोश भर सके. वहीं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के पास कई बड़े चेहरे हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल हरियाणा में आप के लिए वह चेहरा बन सकते हैं, जिनकी एंट्री से कार्यकर्ताओं में जोश लवरेज होने वाला है.
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हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री (अब पूर्व) के साथ साथ आम आदमी पार्टी के संयोजक भी हैं. सीएम पद की जिम्मेदारी के साथ साथ पार्टी को संभाल पाना थोड़ा मुश्किल है. इसके बावजूद पार्टी ने पंजाब में सरकार बना बीजेपी और कांग्रेस को धूल चटा दी. दिल्ली शराब नीति मामले में जेल से जमानत पर बाहर आए अरविंद केजरीवाल पर सुप्रीम कोर्ट की कई सारी पाबंदियां थीं जिनमें सीएम ऑफिस न जाना और किसी सरकारी कागज पर हस्ताक्षर न करना भी शामिल था. ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने एक मास्टर स्ट्रोक चलते हुए सरकार की जिम्मेदारी आतिशी को देकर अपने आपको पार्टी का एक प्रमुख चेहरा बना लिया.
एक तीर से साधे एक-साथ कई निशाने
अरविंद केजरीवाल ने इससे तीन निशाने एक साथ साधे हैं. इसमें एक दूरगामी निर्णय भी शामिल है. पहला – बीजेपी की ओर से लगाए जा रहे भ्रष्टाचार और जेल वाला सीएम बयानों को हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया. दूसरा – हरियाणा के चुनावी समर के बीच उन्होंने खुद को न सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से अलग कर लिया है बल्कि एक नए मिशन की ओर अग्रसर कर लिया है. है. यह मिशन हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़ा है, जिसके लिए वह सक्रिय हो चुके हैं. यहां अरविंद केजरीवाल पार्टी का प्रमुख फेस बनकर पार्टी की चुनावी बागड़ौर संभालेंगे, जिससे बीजेपी और कांग्रेस सहित अन्य प्रमुख दलों की भी धड़कने बढ़ने लगी है. तीसरा – भविष्य में दिल्ली विधानसभा चुनाव से जुड़ा है.
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दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में जेल में रहे अरविंद केजरीवाल की गैर-मौजूदगी में पत्नी सुनीता केजरीवाल ने पार्टी की कमान संभाली थी. उन्होंने हरियाणा में कई चुनावी सभाएं की. केजरीवाल की गारंटी लोगों के बीच में लेकर गईं. कई मौकों पर वह भावुक भी हुईं. सुनीता केजरीवाल की चुनावी सभा में भारी संख्या में लोग भी जुटे. उन्होंने चुनावी सभाओं में पति को शेर बताया. चूंकि, अरविंद केजरीवाल हरियाणा से आते हैं. यही वजह रही कि केजरीवाल को ‘हरियाणा का लाल’ बताकर भी प्रमोट किया जा रहा है.
हरियाणा में पार्टी बन सकती है गेम चेंजर
हालांकि हरियाणा में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. जजपा, इनेलो सहित अन्य पार्टियां भी मौजूद हैं. इनके बीच आम आदमी पार्टी यहां एक अलग पहचान रखती है. पिछले विधानसभा की तुलना में पार्टी यहां पहले से मजबूत हुई है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल बीते 9 साल से अकेले अपने दम पर सरकार चला रहे हैं. ऐसे में दिल्ली से सटे फरीदाबाद, गुरुग्राम, करनाल, सोनीपत व पानीपत में पड़ने वाली विधानसभाओं में असर डाल सकते हैं. पंजाब में किसानों के मुद्दों को हरियाणा में कैश कराना भी केजरीवाल के लिए आसान होगा. यहां पंजाब के सीएम भगवंत मान पार्टी के दूसरे प्रमुख फेस बनेंगे.
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दिल्ली में नौ साल की सरकार के दौरान अरविंद केजरीवाल का टकराव लगातार उपराज्यपाल से होता रहा है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में केजरीवाल इसे मुद्दा बना सकते हैं. एक बात, जोकि सबसे अधिक महत्वपूर्ण है – अरविंद केजरीवाल अब दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर हरियाणा चुनाव में नहीं आ रहे हैं, बल्कि सीएम की कुर्सी को छोड़कर जनता के बीच में आ रहे हैं. अब उनका पूरा समय दिल्ली में नहीं, बल्कि हरियाणा में गुजरने वाला है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल का यह दांव हरियाणा चुनाव में निश्चित तौर पर असर डाल सकता है. माना यही जा रहा है कि केजरीवाल के इस फैसले से आम आदमी पार्टी के हरियाणा में गेम चेंजर बनने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.