Haryana Politics: हरियाणा में 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव 5 अक्टूबर को होने हैं. एक चरण में होने वाले मतदान का परिणाम 8 अक्टूबर को आएगा. चुनावी प्रचार प्रसार का अंतिम चरण चल रहा है और सभी प्रमुख दलों ने चुनावी प्रचार में अपनी ताकत झोंक रखी है. बात करें हरियाणा के राजनीतिक समीकरण की तो यहां पिछले दो बार से बीजेपी सत्तारूढ़ रही है. मनोहर लाल खट्टर के बाद अब नायब सिंह सैनी राज्य के मुख्यमंत्री हैं. दो बार सत्ता हासिल करने के बाद भी राज्य की एक सीट ऐसी भी है, जहां बीजेपी अब तक अपना कमल नहीं खिला पायी है. यह सीट है पृथला विधानसभा सीट.
पृथला विधानसभा क्षेत्र फरीदाबाद जिले में आता है. यह सीट 2009 में अस्तित्व में आयी थी. 2009 में इस सीट पर हुए पहली बार के विस चुनाव में कांग्रेस के रघुबीर सिंह तेवतिया ने जीत का परचम लहराया था. इसके बाद 2014 के विस चुनाव में बसपा के टेकचंद शर्मा ने करीबी मुकाबले में यह सीट अपने नाम की. जीत का अंतर केवल 1179 वोटों का रहा. बसपा प्रत्याशी टेकचंद को 37,178 वोट और नयनपाल को 35,999 वोट मिले. तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के रघुबीर सिंह को 34,753 वोट हासिल हुए.
पिछली बार निर्दलीय ने लहराया परचम
वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी नयन पाल रावत ने इस सीट पर विजयश्री की पताका फहरायी है. रावत को 43.95 % वोट शेयर के साथ 64,625 वोट मिले थे. उन्होंने कांग्रेस के रघुबीर सिंह तेवतिया को करीब 15 हजार वोटों से हराया. तेवतिया केा 48,196 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर बीजेपी के सोहन पाल रहे, जिन्हें 21,322 (14.50%) वोट मिले.
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इस बार भारतीय जनता पार्टी ने बसपा से पार्टी में आए टेकचंद को पृथला से बीजेपी उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार रघुबीर सिंह तेवतिया पर भरोसा जताया है. जजपा के पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविंद भारद्वाज भी इस सीट पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
सबसे ज्यादा मत वाली सीटों में शामिल है पृथला
पृथला प्रदेश की सबसे अधिक मतदान वालीा सीटों में शुमार रहा है. पिछले चुनाव में 1.91 लाख रजिस्टर्ड मतदाताओं के साथ यहां 76.71% मतदान हुआ था. इस बार कुल 2.21 लाख से अधिक वोटर्स मतदान करेंगे. इनमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1.17 लाख और 1.03 लाख से अधिक महिला मतदाता शामिल हैं. 8 थर्ड जेंडर भी अपने मत का उपयोग करेंगे.
पृथला विधानसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या ज्यादा है लेकिन मुकाबला हमेशा से कड़ी टक्कर का रहा है. कांग्रेस की हवा भी हरियाणा में तेज है. ऐसे में रघुबीर सिंह का पाला थोड़ा सा भारी है. हालांकि जजपा के अरविंद भारद्वाज का दोनों पार्टियों के वोट काटना निश्चित है. इसी बीच आप प्रत्याशी सहित अन्य निर्दलीय भी खेल बिगाड़ जाएं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.