Delhi Politics: नई आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत क्या मिली, भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक से लेकर अन्य नेता उनके पीछे हाथ धोकर पीछे पड़ गए. किसी ने ‘जेल वाला सीएम’ कहा तो किसी ने इस्तीफे की मांग कर डाली. अब अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे की पेशकश करते हुए बीजेपी के मुंह पर ताले लगा दिए. सच कहें तो बीजेपी को इस फैसले की रत्तीभर भी उम्मीद न थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा चुनाव और अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए सहानुभूति का ऐसा दांव खेल दिया, जिसके चलते बीजेपी चारों खाते चित हो गई है.
दरअसल दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल 177 दिन तिहाड़ जेल में बिताकर बाहर आए हैं. इस बार भी वे रिहा नहीं हुए, बल्कि जमानत पर निकले हैं. उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी है कि वे सीएम आॅफिस नहीं जा पाएंगे और न ही किसी सरकारी कागज पर हस्ताक्षर कर सकेंगे. ऐसे में बीजेपी के सांसद-नेताओं ने केजरीवाल के खिलाफ धावा बोल दिया. इसका जवाब देते हुए केजरीवाल एंड टीम ने इस मुद्दे को सहानुभूति कार्ड से खेलते हुए इस्तीफे का ऐलान कर दिया. केजरीवाल ने ये भी ऐलान कर दिया कि वे और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया अब जनता की अदालत में जाएंगे और वहां उन पर लगे आरोप सहित अन्य बातों की जवाबदाही तय करेंगे.
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अब बीजेपी का केजरीवाल पर खेला गया ये पैतरा उलटा पड़ते दिख रहा है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अब केजरीवाल पूरी तरह से तैयार हैं और स्टारक प्रचारक की हैसियत से पसीना बहाने को निकल चुके हैं. यहां वे सहानुभूति कार्ड का बढ़िया इस्तेमाल करते हुए बीजेपी और कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने की पूरी कोशिश करेंगे. हरियाणा में आप और कांग्रेस का गठबंधन होते होते रह गया है. ऐसे में आप पार्टी राज्य की 90 में से अधिक से अधिक सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने की पूरी कोशिश करेंगे.
हरियाणा में विस चुनाव 5 अक्टूबर को होने हैं. इसके बाद अगले साल जनवरी-फरवरी माह में दिल्ली विधानसभा चुनाव भी होने हैं. अगर हरियाणा चुनाव में इस ट्रंप कार्ड का प्रभाव पड़ता है तो निश्चित तौर पर दिल्ली विस चुनाव में भी यही कार्ड किसी और अंदाज में खेला जाना तय है. पंजाब में किसानों पर आम आदमी पार्टी ने सिक्का जमाया है. ऐसे में किसान बाहुल्य क्षेत्र हरियाणा से भी पार्टी को काफी उम्मीदें हैं. किताबी तौर पर यहां हवा कांग्रेस की चल रही है. बीजेपी, कांग्रेस के अलावा इनेलो, जजपा, बसपा सहित अन्य राजनीतिक पार्टियां भी अपना जोर आजमा रही है. ऐसे में देखना रोचक होगा कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का यह ट्रंप कार्ड किस तरह से चुनावी आंकड़ों को अपने रंग में बदलने में कामयाब होता है.