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Haryana Election 2024: हरियाणा की राजनीति में बीते कुछ दिनों से कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा का नाम सुर्खियों में चल रहा है. हुड्ढा गुट से नाराजगी और टिकट वितरण में तवज्जो न मिलने से सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने चुनाव प्रचार से दूरी बनायी हुई है. हाल में राज्य के पूर्व सीएम और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयान ने भी प्रदेश की राजनीति को नया मोड देने का काम किया है. चुनाव के बीच खट्टर ने सैलजा को बीजेपी में शामिल होने का ऑफर दिया है. इसके बाद अंदरखाने से खबर आ रही है कि कुमारी सैलजा जल्दी ही हाथ का साथ छोड़ ‘कमल’ की ओट में समाने जा रही है.

इसमें कोई शक नहीं है कि हरियाणा विस चुनाव में कांग्रेस आलाकमान के फैसलों से खफा कुमारी सैलजा को लेकर सियासत गरमा गई है. विधानसभा टिकट बंटवारे में सैलजा समर्थकों को तव्वजो न मिलने और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के समर्थकों की ओर से की गयी टिप्पणियों से वह लगातार आहत चल रही हैं. यही वजह है कि चुनावी प्रचार छोड़कर सैलजा दिल्ली जाकर बैठ गयी हैं. उन्होंने इस दौरान न तो पार्टी आलाकमान से बात की है और न ही मीडिया से रूबरू हुईं. अब उनकी यही चुप्पी पार्टी की टेंशन बढ़ा रही है.

21 सीटों पर प्रभाव रखती हैं सैलजा

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार लिस्ट जारी होने से पहले तक सैलजा को प्रदेश का भावी सीएम बताया जा रहा था. इतना ही नहीं, पूरी उम्मीद थी कि इस बार कुमारी सैलजा को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री फेस बनाया जाएगा. हालांकि हुआ इसके विपरीत. हरियाणा में टिकट बंटवारे और घोषणापत्र जारी होने के दौरान कांग्रेस महासचिव एवं सांसद कुमारी सैलजा की पूरी तरह से अनदेखी की गयी. हुड्डा गुट को 72 जबकि सैलजा समर्थकों को केवल 10 टिकट बांटे गए. सैलजा के कट्टर समर्थक डॉ. अजय चौधरी को नजर अंदाज कर नारनौंद से हुड्डा के नजदीकी जस्सी पेटवाड़ को टिकट थमाया दिया. यहां तक कि विधानसभा चुनावों में टिकट मांग रही सैलजा को भी टिकट से महरूम रखा गया. इन दोनों में भूपेंद्र हुड्डा बड़ी बाधा बने. सैलजा की नाराजगी से पार्टी को नुकसान होना तय है.

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कुमारी सैलजा कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की करीबी मानी जाती हैं. वह हरियाणा में कांग्रेस का सबसे बड़ा दलित चेहरा है. सिरसा और फतेहपुरा सहित प्रदेश की 21 सीटों पर सैलजा खास प्रभाव रखती है. हरियाणा की कुल 90 सीटों में से 17 आरक्षित हैं. यही वजह थी कि सैलजा ने 30 से 35 सीटें अपने समर्थकों के लिए मांगी थी, लेकिन हाईकमान ने हुड्डा समर्थकों को प्राथमिकता दी.

जातिगत टिप्पणियों ने पकड़ा तूल

नारनौंद में कांग्रेस उम्मीदवार जस्सी पेटवाड़ के नामांकन कार्यक्रम में एक समर्थक ने सैलजा पर जातिगत टिप्पणी की थी. इस मामले ने तूल पकड़ा. नारनौंद थाने में जस्सी पेटवाड़ समर्थक पर केस भी दर्ज हुआ है. सैलजा पर टिप्पणी के बाद भूपेंद्र हुड्डा उनके समर्थन में आए हैं. उन्होंने कहा,’सैलजा हमारी बहन भी हैं, और कांग्रेस की सम्मानित नेता हैं. उनके बारे में यदि कोई भी, किसी प्रकार की गलत टिप्पणी करता है तो उसका कांग्रेस में कोई स्थान नहीं है.’ इसके बाद भी सैलजा ने करीब एक हफ्ते से चुनावी प्रचार से दूरी बनायी हुई है.

हुड्डा गुट की टेंशन भी बढ़ी

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब केवल 15 दिन शेष हैं. उससे पहले कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा की चुप्पी और निष्क्रियता ने कांग्रेस सहित हुड्डा गुट की टेंशन भी बढ़ा दी है. हु्ड्डा गुट का मतभेद केवल सीएम फेस को लेकर था लेकिन सैलजा की नाराजगी का असर प्रदेश के 21 फीसदी दलित वोटर्स पर देखने को मिलना निश्चित है. इधर, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी टिकट बंटवारे को लेकर नाराज हैं और सैलजा की तरह ही चुनावी प्रचार से दूर हैं.

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ये आंतरिक मनभेद कांग्रेस के लिए खाई खोदने जैसा साबित होगा. इसी बीच सैलजा के बीजेपी में शामिल होने की भी संभावनाएं सामने आ रही हैं. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के बाद हाल में बीजेपी में शामिल हुईं राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने भी सैलजा के साथ हो रहे व्यवहार को अपमान बनाया है. ऐसे में भीतरघात को खत्म करने के लिए कांग्रेस जल्द कोई कदम उठाएगी. इस मामले में सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी का हस्तक्षेप न हुआ तो इसका खामियाजा कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हार के साथ चुकाना पड़ सकता है.

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