उद्धव के साथ गद्दारी व पार्टी के साथ क्यों कि बगावत- नाना के सवालों के जवाब में शिंदे ने किया ये खुलासा

कुछ चीजों को बर्दाश्त करने की होती है एक सीमा लेकिन जब पानी नाक के ऊपर चला जाता है तब कोई लेना ही पड़ता है फैसला, जिस पार्टी में हमने इतने साल काम किया, कड़ी मेहनत की, खून-पसीना बहाया, उसने हमारे अनुरोध पर नहीं दिया कभी ध्यान, इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि हम काम के बाद पहुंचेंगे घर- एकनाथ शिंदे

‘जो हुआ उससे हम हुए दुखी, लेकिन...’
‘जो हुआ उससे हम हुए दुखी, लेकिन...’

Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र की सियासत में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खेमे के बीस सियासी वार पलटवार जारी है. हाल ही में दो धड़ों में बंटी शिवसेना को चुनाव आयोग ने अलग-अलग चुनाव चिह्न के साथ-साथ नए नाम भी आवंटित कर दिए हैं. उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना को चुनाव आयोग ने शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे नाम के साथ जलती हुई मशाल का सिंबल तो वहीं एकनाथ शिंदे वाले गुट को बाळासाहेबांची शिवसेना नाम के साथ तलवार और ढाल का चिह्न आवंटित किया है. इसके बाद से दोनों ही दल अंधेरी विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. लेकिन इन सभी घटनाक्रमों के बीच अब भी यक्ष सवाल ये है कि आखिर एकनाथ शिंदे ने बगावत क्यों की? ये सब सवाल जब एक कार्यक्रम के तहत फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर ने शिंदे से पूछे तो उन्होंने खुलकर इसका जवाब दिया. शिंदे ने कहा कि, ‘बर्दाश्त करने की एक सीमा होती है लेकिन जब पानी नाक के ऊपर चला जाता है तब कोई फैसला लेना ही पड़ता है.’

मंगलवार को ‘लोकमत’ द्वारा आयोजित ‘महाराष्ट्र महामूलाखत’ कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित कई दिग्गजों ने शिरकत की. इस कार्यक्रम में सीएम शिंदे ने नाना पाटेकर के सवालों का खुलकर जवाब दिया. इस दौरान शिंदे ने भावनात्मक और राजनीतिक कारणों के बारे में विस्तार से बताया कि आखिर उन्होंने शिवसेना से बगावत क्यों की? इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर उद्धव ठाकरे पर राजनीतिक हमले किए हैं. एकनाथ शिंदे ने कहा कि, ‘जिस पार्टी में हमने इतने साल काम किया, हमने कड़ी मेहनत की, खून-पसीना बहाया, अथक परिश्रम किया, उसने हमारे अनुरोध पर कभी ध्यान नहीं दिया. इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि हम काम के बाद घर पहुंचेंगे.’

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एकनाथ शिंदे ने कहा कि, ‘कुछ चीजों को बर्दाश्त करने की एक सीमा होती है लेकिन जब पानी नाक के ऊपर चला जाता है तब कोई फैसला लेना ही पड़ता है. हमने जो कुछ भी किया उसकी वजह से हम भी खुश नहीं हैं. हमनें निर्णय इसलिए लिया क्योंकि पार्टी अपनी पहचान खो रही थी. हमने पार्टी को बचाने के लिए निर्णय लिया और मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है.’ एकनाथ शिंदे ने कहा कि, ‘हमने पांच बार अनुरोध किया था. एक अवसर था, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ. मैं बालासाहेब और आनंद दिघे का कार्यकर्ता हूं, इसलिए मैंने यह बड़ा कदम उठाया.’

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वहीं चुनाव आयोग द्वारा मिले चुनाव चिन्ह के मसले पर भी एकनाथ शिंदे ने खुलकर अपनी बात रखी. एकनाथ शिंदे ने आगे बड़ा दावा करते हुए कहा कि, उन्हें ही आगे जाकर धनुष-बाण मिलेगा. एकनाथ शिंदे ने कहा कि, ‘हमें चुनाव चिन्ह के बारे में किसी को बताने की जरूरत नहीं है. हम इसे योग्यता के आधार पर प्राप्त करेंगे. चुनाव आयोग अंधेरी के उपचुनाव के कारण निर्णय नहीं ले सका लेकिन हमें भविष्य में धनुष-बाण मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि 55 में से 40 विधायक हमारे साथ हैं. उनके वोटों की गिनती 39 लाख है. साथ ही 18 में से 12 सांसद हमारे साथ हैं और उनकी वोट गिनती 69 लाख है. इसका मतलब है कि हमारे पास शिवसेना को मिले कुल वोटों का 70 प्रतिशत से अधिक है.’

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