Politalks.News/WestBengalElection. कहा जाता है चुनावी माहौल में किसी भी व्यक्ति को नाराज नहीं करना चाहिए नहीं तो वह बहुत बड़ा ‘घातक’ बन जाता है. आज हम एक ऐसे पुqराने दिग्गज नेता की बात करेंगे जो मौजूदा भाजपा से खार खाए बैठे हैं. पिछले तीन वर्षों से वह पीएम मोदी और अमित शाह की नीतियों से खफा हैं. इसका कारण है कि वर्ष 2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी थी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने उन्हें पार्टी से दरकिनार कर दिया था. तभी से वे कई बार सार्वजनिक मंचों से भाजपा की ‘खिलाफत’ करने में लगे हुए हैं. इन दिनों बंगाल समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं ऐसे में उन्हें अब मौका हाथ लगा है. जी हां हम बात कर रहे हैं कभी भाजपा के दिग्गज नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा की.
शनिवार को यशवंत सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लियाथी. उसके बाद कोलकाता में बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सिन्हा ने भाजपा की कमियों को ‘कुरेदते‘ हुए उनका ‘बखान‘ शुरू कर दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत ने कहा कि देश संकट से गुजर रहा है, इसलिए उन्होंने दोबारा राजनीति में आने का फैसला किया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस बहुत बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस आएगी.
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जो कुछ मोदी और शाह दिल्ली से चला रहे हैं, अब देश उसको बर्दाश्त नहीं करेगा
बड़ा बयान देते हुए अटल के मंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि बंगाल से पूरे देश में एक संदेश जाना चाहिए कि जो कुछ मोदी और शाह दिल्ली से चला रहे हैं, अब देश उसको बर्दाश्त नहीं करेगा. यशवंत सिन्हा ने कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था नहीं रही है बल्कि मोदी-शाह के नियंत्रण में काम कर रही है. उनके कहने का मतलब यह था कि निर्वाचन आयोग ने बंगाल में आठ चरणों में चुनाव कराकर भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाने का काम किया है. यहां हम आपको बता दें करीब तीन साल पहले सिन्हा ने भाजपा छोड़ दी थी और खुद को दलगत राजनीति से ही अलग कर लिया था. यशवंत सिन्हा ने वर्ष 2018 में एक ‘राष्ट्र मंच‘ की शुरुआत की थी. सिन्हा ने इसमें उन लोगों को शामिल किया था, जो देश के मौजूदा हालात को खराब मानते थे और उससे खुश नहीं थे. उस मंच में शत्रुघ्न सिन्हा, तेजस्वी यादव, रेणुका चौधरी व अनेक दलों के नेता शामिल हुए थे.
ममता को भी थी भाजपा से निपटने के लिए यशवंत की जरूरत
जब से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक हादसे में चोट का शिकार हुईं हैं तभी से वह सियासी तौर पर मजबूत होती चली जा रहीं हैं. अभी तक भाजपा तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को अपने पाले में मिलाकर ममता बनर्जी की ‘सियासत को कमजोर’ करने में लगे हुई है. शुभेंद्र अधिकारी, दिनेश त्रिवेदी से लेकर कई बड़े नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपाई बना डाला. बंगाल के चुनाव में भाजपा इन्हीं तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के सहारे बंगाल के सिंहासन पर ‘भगवा’ लहराना चाहती है.
आज बीजेपी दूसरों को कुचल कर आगे की नीति पर चल रही है
लेकिन शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे यशवंत सिन्हा टीएमसी में शामिल हो गए. सिन्हा ममता के साथ ऐसे मौके पर आए हैं जब तृणमूल कांग्रेस को ‘भाजपा की अंदरूनी कमियों’ को जानने की जरूरत थी. यशवंत सिन्हा चुनाव में अब ‘दीदी के दूत’ के रूप में दिखाई पड़ने वाले हैं. शनिवार को तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद यशवंत सिन्हा ने पहले दिन ही भाजपा पर 2 करने शुरू कर दिए. सिन्हा ने कोलकाता में कहा कि किस तरह से अटल जी के समय ही बीजेपी और आज की बीजेपी में बदलाव आया है कि पहले भारतीय जनता पार्टी सबको एक साथ मिलाकर आगे बढ़ने में भरोसा करती थी, लेकिन आज यह पार्टी दूसरों को कुचल कर आगे की नीति पर चल रही है.
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कंधार अपहरण कांड में ममता हो गई थी ‘होस्टेज’ बनने को तैयार
इसके साथ ही एनडीए सरकार के दौरान जब ‘कंधार अपहरण कांड’ हुआ तो ममता बनर्जी ने क्या कुछ कहा था यशवंत ने उसे भी बताया. सिन्हा ने कहा कि कंधार हाईजैक के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के सामने चुनौती यह थी कि किस तरह से उस मामले से निपटा जाए. कैबिनेट की बैठक में ममता बनर्जी ने कहा कि यात्रियों की रिहाई के लिए वो खुद ‘होस्टेज’ बनने के लिए तैयार हैं. सिन्हा ने कहा कि उस समय दीदी का कहना था कि अगर यात्रियों की रिहाई के लिए उनकी जान भी चली जाए तो गम नहीं है.
आपको बता दें, यशवंत सिन्हा के आक्रामक तेवरों से भाजपा खेमेे में बेचैनी जरूर बढ़ा दी है. वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस छोड़कर गए उनके नेताओं की यशवंत सिन्हा के रूप में कुछ तो भरपाई हो सकेगी. हालांकि अभी तक यशवंत सिन्हा के बयान पर किसी भाजपा नेता की प्रतिक्रिया नहीं आई है.