लगता है इस बार मानसून आवारा हो गया है, इसलिए निर्धारित समय के बाद भी देश के अनेक हिस्सों में जमकर बारिश हो रही है और कहीं-कहीं बाढ़ के हालत बन गए हैं. जहां कभी भी मानसून की मेहरबानी नहीं रही, वहां भी बाढ़ के नजारे देखे जा सकते हैं. बिहार, मध्य प्रदेश और कर्नाटक इससे बहुत प्रभावित रहे हैं. नवरात्र का त्योहार चल रहा है और कई इलाकों के लोग बाढ़ जनित समस्याओं से जूझ रहे हैं. अब इस बाढ़ को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है.

बिहार के पटना में पहले कभी ऐसी बाढ़ नहीं देखी गई थी, जैसी पिछले हफ्ते दिखी. वहां का जनजीवन ठप हो गया. नीतीश कुमार के सुशासन की पोल पटना में ही खुलती देखी गई. कई लोगों को नीतीश की आलोचना करने का मौका मिला. नीतीश कुमार की सहयोगी पार्टी भाजपा अलग अगले विधानसभा चुनाव नें सरकार बनाने की तैयारी में जुट गई है. इस परिस्थिति में कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस करके पटना की बाढ़ को प्राकृतिक आपदा बताते हुए नीतीश कुमार को क्लीन चिट दी है.

कांग्रेस के नीतीश कुमार को क्लीन चिट देने से भाजपा के कान खड़े हो गए हैं. अगर नीतीश कुमार को लगा कि भाजपा के साथ बने रहने से बिहार में उनकी स्थिति पर किसी तरह की आंच आ सकती है तो वे भाजपा से नाता तोड़ कर वापस पुराने खेमे में लौट सकते हैं. ऐसे में भाजपा को विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलना बहुत मुश्किल हो जाएगा. इस नुकसान से बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पटना में बाढ़ की हालात का जायजा लेने के लिए दौरे का कार्यक्रम बना लिया है. उन्होंने इसकी ट्विटर पर घोषणा भी कर दी है.

अब प्रधानमंत्री मोदी के इस रवैये पर कर्नाटक के कई भाजपा नेता उखड़े हुए हैं, जहां भाजपा ने हाल ही जदएस-कांग्रेस की कुमारस्वामी सरकार को अपदस्थ तक येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई है. कर्नाटक के 22 जिले इस समय बाढ़ जनित समस्याओं से जूझ रहे हैं. केंद्र सरकार ने बाढ़ से निबटने के लिए बिहार और कर्नाटक को करीब 2000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वित्तीय मदद देने की घोषणा भी कर दी है. लेकिन कोई बड़ा भाजपा नेता कर्नाटक के बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा करता हुआ नहीं देखा गया.

प्रधानमंत्री मोदी के बिहार का दौरा करने की घोषणा के बाद कर्नाटक के भाजपा नेता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. भाजपा विधायक बसनागौड़ा पाटिल यतनाल ने हाल ही एक टीवी चैनल से कहा कि बाढ़ को लेकर कर्नाटक की भाजपा सरकार जिस तरह उदासीन है, उससे आशंका है कि लिंगायत समुदाय के लोग भाजपा के खिलाफ हो जाएंगे और इससे चुनावों में नुकसान होगा. इस तरह का बयान देने पर भाजपा की अनुशासन समिति ने बसनागौड़ा को कारण बताओ नोटिस थमा दिया है.

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