Politalks.News/Bihar/LaluYadav. सियासी चर्चा में बने रहने वाले बिहार में फिलहाल सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर सियासत गर्म है. बहुचर्चित आरआरबी घोटाले को लेकर शुक्रवार अल सुबह ही सीबीआई ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, उनके परिवार और उनसे जुड़े देशभर के 17 ठिकानों पर छापेमारी की. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में नौकरी देने के बदले लोगों की कीमती जमीनें अपने करीबी लोगों के नाम लिखवाई थी. इस पुरे मामले को लेकर अब प्रदेश में सियासत गरमा गई है. लालू के बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जहां CBI की कार्रवाई पर सवाल खड़े किये तो अब सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा से राज्यसभा सांसद और लालू परिवार के ‘शुभचिंतक‘ सुशील मोदी ने लालू परिवार से 5 सवाल पूछे हैं.
आपको बता दें, सुशील कुमार मोदी और लालू परिवार के बीच झड़पों की यह खबर कोई नई नहीं है. इससे पहले भी मोदी और लालू परिवार के बीच कई बार विवाद हो चुका है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के खिलाफ पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. लालू प्रसाद यादव के 17 ठिकानों पर हुई सीबीआई की छापेमारी के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं बीजेपी के दिग्गज नेता सुशील कुमार यादव ने लालू परिवार से 5 सवाल पूछते हुए जमकर निशाना साधा. सुशील कुमार मोदी ने पहला सवाल पूछते हुए कहा कि, ‘अगर लालू प्रसाद ने रेलवे में नौकरी देने के बदले लाभार्थी से जमीन नहीं लिखवायी थी, तो शिवानंद तिवारी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ज्ञापन देकर सीबीआई जांच की मांग क्यों की थी?’ वहीं अपने दूसरे सवाल में मोदी ने पुछा कि, ‘क्या यह सही नहीं कि कांति सिंह ने पटना का अपना करोड़ों का मकान और रघुनाथ झा ने गोपालगंज का अपना कीमती मकान केंद्रीय मंत्री बनवाने के बदले लालू परिवार को गिफ्ट किया था ?’
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सुशील कुमार मोदी ने अगला सवाल पूछते हुए कहा कि, ‘लालू प्रसाद बताएं कि उनका परिवार 141 भूखंड, 30 से ज्यादा फ्लैट और पटना में आधा दर्जन से ज्यादा मकानों का मालिक कैसे बन गया ? लालू प्रसाद ने पटना हवाई अड्डा के पास स्थित टिस्को के गेस्ट हाउस का स्वामित्व कैसे हासिल कर लिया ?’ अपने चौथे सवाल में मोदी ने पुछा कि, ‘लालू प्रसाद के खटाल में काम करने वाले ललन चौधरी और हृदयानंद चौधरी के पास करोड़ों की जमीन कहां से आयी और फिर इन लोगों ने ये कीमती भूमि राबड़ी देवी और हेमा यादव को क्यों दान कर दी?’
वहीं अपने पांचवे और अंतिम सवाल में मोदी ने पुछा कि, ‘विधान परिषद के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ललन चौधरी और रेलवे ग्रुप-डी कर्मचारी हृदयानंद चौधरी के नाम सीबीआई की प्राथमिकी में दर्ज है. शिवानंद तिवारी ने ही 2008 में लालू प्रसाद के खिलाफ CBI जांच की मांग की थी और जब सबूत के आधार पर कार्रवाई हो रही है, तब वे इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं.’ बता दें कि 2015 मे JDU-RJD की सरकार बनने के बाद, सुशील मोदी के निशाने पर पूरा लालू परिवार आ गया था. उन्होंने 4 अप्रैल 2017 से लालू परिवार की बेनामी संपत्ति को लेकर लगातार 44 प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जिसका नतीजा ये हुआ कि 26 जुलाई 2017 को सरकार गिर गई थी और नई सरकार 27 जुलाई को बनी थी, जिसमें सुशील कुमार मोदी उपमुख्यमंत्री बने थे. अब सुशील मोदी ने एक बार फिर से अपने पुराने दस्तावेज को निकालना शुरु कर दिया.
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आपको बताएं कि आरोप के मुताबिक लालू प्रसाद यादव वर्ष 2004-2009 तक जब रेल मंत्री थे तो बगैर किसी विज्ञापन के कई लोगों को रेलवे में चतुर्थ वर्गीय पद पर नौकरी दी गई थी. नौकरी देने के एवज में उनके या उनके परिवार के सदस्यों से जमीन लिखवाई गई. ये जमीन राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और दिल्ली की एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम पर 5 सेल डीड और 2 गिफ्ट डीड के जरिए हस्तांतरित की गई. जमीन का कुल रकवा 1,05,292 वर्गफुट है और वर्तमान में सर्किल रेट के हिसाब से इसकी कीमत 4 करोड़ 39 लाख 80 हजार 650 रुपये है. आरोप है कि जमीन के बदले रेलवे के अलग-अलग जोन में इनकी नियुक्ति की गई और अधिकतर जमीनों की खरीद भी कैश में दिखाई गई है.