पुण्यतिथि से पहले राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई, बंटी मिठाई, स्टालिन ने लगाया गले बताया भाई, कहां तक है सही?

पेरारिवलन की रिहाई तमिलनाडु में राजनीतिक उत्सव का कारण हो सकती है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पेरारिवलन को उनकी बेगुनाही के लिए रिहा नहीं किया गया, स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार बाकी 6 दोषियों की रिहाई के लिए भी करेगी प्रयास, दिलाया याद कि पिछले साल यह था उनका चुनावी वादा, हत्यारों की रिहाई को अभिनंदनीय घटना का रूप देना कहां तक सही है भाई?

हत्यारों का सियासी अभिनंदन कितना उचित?
हत्यारों का सियासी अभिनंदन कितना उचित?

Politalks.News/Bharat/RajivGandhi. पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न राजीव गांधी के हत्यारे ए.जी. पेरारिवालन को सर्वोच्च न्यायालय ने बीते बुधवार रिहा कर दिया. राजीव गांधी की पुण्यतिथि से ठीक दो दिन पहले पेरारिवलन की रिहाई पर जहां देशभर के कांग्रेसियों रोष और नाराजगी जाहिर की तो वहीं इस पर तमिलनाडु में खुशियां मनाई गईं. यही नहीं पेरारिवलन और उसकी मां के साथ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन गले मिले. हत्यारे पेरारिवलन की कलम से लिखा गया एक लेख दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार ने छापा है, जिसमें उसने उन लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने उसकी कैद के दौरान उसके साथ सहानुभूतियां दिखाई थीं. तमिलनाडु के अन्य प्रमुख दल भी उसकी रिहाई का स्वागत कर रहे हैं. हालांकि तमिलनाडु कांग्रेस ने बड़ी दबी जुबान से इस रिहाई का विरोध किया है.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन यूं ही किसी को गले नहीं लगाते. लेकिन, एजी पेरारिवलन की गिनती उनके लिए कोई में नहीं होती. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 31 साल की जेल के बाद बुधवार सुबह उनकी रिहाई हुई. इसके बाद दो सौ किलोमीटर की यात्रा कर पेरारिवलन मुख्यमंत्री स्टालिन से मिलने पहुंचे थे, जहां हाथ मिलाने से शुरुआत हुई और आखिर में गले लग गए. यही नहीं मुख्यमंत्री स्टालिन ने पेरारिवलन को अपना भाई कहा. इसके बाद पेरारिवलन ने एआईएडीएमके के पूर्व मुख्यमंत्रियों ई पलानीस्वामी और ओ पनीरसेल्वम का भी अभिवादन किया. अगले नंबर पर पीएमके के संस्थापक एस रामदास, एमडीएमके नेता वाइको और वीसीके नेता थोल थिरुमावलवन थे.

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लेकिन, अब सवाल खड़ा होता है कि ये सारे नेता एक हत्यारे का इतनी बेसब्री से इंतज़ार कर क्यों रहे थे? तो बता दें कि राजीव गांधी हत्याकांड और उसमें भी पेरारिवलन की रिहाई की लड़ाई तमिलनाडु में बहुत बड़ा सियासी मुद्दा रही है. 30 बरसों से राज्य और केंद्र के रिश्ते पर असर पड़ता रहा है इसका. यहां तक कि पेरारिवलन से मुलाकात के बाद स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार बाकी 6 दोषियों की रिहाई के लिए भी प्रयास करेगी. उन्होंने याद दिलाया कि पिछले साल यह उनका चुनावी वादा था. इसके बाद उन्होंने एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की, ‘यह पूरे भारत, राज्य की स्वायत्ता और संघवाद की जीत है. न्यायधीशों ने साफ़ कर दिया कि गवर्नर राज्य सरकार की नीतियों में दखल नहीं दे सकते. मानवाधिकारों और मानवीय आधार पर यह एक ऐतिहासिक फैसला है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के अधिकारों को प्रभावशाली तरीके से स्थापित किया है.’

ए.जी. पेरारिवलन की रिहाई तमिलनाडु में राजनीतिक उत्सव का कारण हो सकती है. लेकिन, यह नहीं भूलना चाहिए कि पेरारिवलन को उनकी बेगुनाही के लिए रिहा नहीं किया गया. उन्हें रिहाई मिली व्यवस्था की देरी की वजह से. दूसरे दोषियों को भी यही क़ानूनी सहारा लेना होगा, लेकिन ज़रूरी नहीं कि परिणाम भी समान निकले. जब तक सुप्रीम कोर्ट उनके भाग्य का फैसला नहीं कर देता तमिल राष्ट्रवाद की राजनीति को ईंधन मिलता रहेगा. कहने का तात्पर्य यह कि इस मामले में तमिलनाडु की सरकार और जनता प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की हत्या पर जरा भी दुखी मालूम नहीं पड़ रही है. यह अपने आप में कितने दुख की बात है? यदि श्रीलंका के तमिलों के साथ हमारे तमिल लोगों की प्रगाढ़ता है तो इसमें कुछ बुराई नहीं है लेकिन इसके कारण उनके द्वारा किए गए इस हत्याकांड की उपेक्षा की जाए, यह बात समझ के बाहर है.

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तमिलनाडु सरकार इस बात पर तो खुशी प्रकट कर सकती है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्यपाल को नीचे खिसका दिया और तमिलनाडु सरकार को ऊपर चढ़ा दिया. राज्यपाल ने प्रादेशिक सरकार के इस प्रस्ताव पर अमल नहीं किया कि राजीव गांधी के सातों हत्यारों को, जो 31 साल से जेल में बंद हैं, रिहा कर दिया जाए. राज्यपाल ने सरकार का यह सुझाव राष्ट्रपति के पास भेज दिया था. सर्वोच्च न्यायालय ने पेरारिवालन की याचिका पर फैसला देते हुए संविधान की धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्यपाल के लिए अनिवार्य है कि वह अपने मंत्रिमंडल की सलाह को माने.

इसीलिए दो-ढाई साल से राष्ट्रपति के यहां झूलते हुए इस मामले को अदालत ने तमिलनाडु सरकार के पक्ष में निपटा दिया. इस फैसले ने तो यह स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए अपने मंत्रिमंडलों की सलाह को मानना अनिवार्य है लेकिन प्रांतीय सरकार की इस विजय का यह डमरू जिस तरह से बज रहा है, उसकी आवाज का यही अर्थ निकाला जा रहा है कि राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई बधाई के लायक है. अब जो छह अन्य लोग, जो राजीव की हत्या के दोषी जेल में बंद हैं, वे भी शीघ्र रिहा हो जाएंगे.

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उनकी रिहाई का फैसला भी तमिलनाडु सरकार कर चुकी है. लगभग 31 साल तक जेल काटनेवाले इन दोषियों को फांसी पर नहीं लटकाया गया, यह अपने आप में काफी उदारता है और अब उन्हें रिहा कर दिया जाएगा, यह भी इंसानियत ही है लेकिन हत्यारों की रिहाई को अभिनंदनीय घटना का रूप देना किसी भी समाज के लिए अशोभनीय और निंदनीय है.

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