Poilitalks.News/Rajasthan. क्या एक बार फिर राहुल गांधी की भविष्यवाणी सही साबित हो रही है कि केन्द्र सरकार की वैक्सीन नीति नोटबंदी साबित होने वाली है? हाल ही में राहुल गांधी ने एक ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि, ‘नोटबंदी की तरह की फिर आमजन लाइन में लगेंगे, पैसे-स्वास्थ्य और जान का नुकसान झेलेंगे और अंत में कुछ उद्योगपतियों का फायदा होगा.’ नई वैक्सीन नीति की घोषणा के एक दिन बाद सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन की कीमतों का ऐलान किया. कंपनी की घोषणा के मुताबिक उसकी वैक्सीन कोवीशील्ड की तीन अलग अलग कीमतें होगी, जिसके आधार पर भारत सरकार को डेढ़ सौ रुपए में वैक्सीन मिलेगी, वहीं उसी वैक्सीन के राज्य सरकारों से 400 और प्राइवेट अस्पतालों से 600 रुपए वसूले जाएंगे. ऐसे में कोरोना वैक्सीन की कीमतों को लेकर संशय के साथ सियासत गरमा गई है.
वैक्सीन नीति पर क्या हैं संशय?- अब हम बात करते हैं कि क्यों मोदी सरकार की नई वैक्सीन नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं ? जानकारों का कहना है कि जब वैक्सीन एक है तो दाम तीन क्यों तय किए गए हैं. अब तक जब 45 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन फ्री लगाई जा रही है तो सभी को इस संकट काल में फ्री में वैक्सीन क्यों नहीं लगाई जा रही है. लोग मोदी सरकार से सवाल कर रहे हैं कि जब कंपनी ये वैक्सीन केन्द्र सरकार को डेढ़ सौ रुपए में बेच रही है तो राज्य सरकारों को 400 रूपए में कैसे बेच सकती है. डेढ़ सौ और चार सौ रुपए में बहुत फर्क होता है जबकि वैक्सीन एक ही है. क्यों नहीं केन्द्र सरकार ही सारी वैक्सीन खरीद कर राज्यों को वितरित कर देती है?
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क्या होगा 35 हजार करोड़ का?- बता दें कि मोदी सरकार ने आम बजट में 35 हजार करोड़ का प्रावधान कोरोना वैक्सीनेशन के लिए किया था. अब उस बजट का क्या होगा? अगर राज्य सरकारें वैक्सीन अपने पैसे से खरीदेंगी और आम लोग भी अपने पैसे से वैक्सीन खरीदेंगे को केंद्रीय बजट का पैसा क्या होगा? अभी जिस दर पर सरकार को वैक्सीन मिल रही है इस हिसाब से सरकार 35 हजार करोड़ रुपए में पूरी आबादी को एक डोज लगाने लायक वैक्सीन खरीद सकती है. लेकिन अब भी बड़ी संख्या में लोग निजी अस्पतालों में ढाई सौ रुपए देकर वैक्सीन लगवा रहे हैं. इसमें डेढ़ सौ रुपए वैक्सीन की डोज के हैं, जाहिर है कि सरकार एक डोज में 60-70 रुपए सब्सिडी दे रही है. जब लोग वैक्सीन की खरीद खोल दी जाएगी तो लोग यह सब्सिडी भी खत्म हो जाएगी. क्या कायदे से सरकार को केंद्रीय बजट में प्रस्तावित रकम से वैक्सीन खरीद कर राज्यों को नहीं देनी चाहिए? क्या आम लोगों को मुफ्त में वैक्सीन नहीं लगनी चाहिए?
सोनिया गांधी का पीएम मोदी के नाम पत्र-
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना संकट पर उनकी नीति पर सवाल उठाए हैं. सोनिया ने नई वैक्सीनेशन नीति को मनमाना और भेदभावपूर्ण करार देते हुए उसमें बदलाव की मांग की है. सोनिया ने लिखा है कि 18 से 45 साल के लोगों को मुफ्त टीका उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी से मोदी सरकार पल्ला झाड़ रही है. सोनिया ने सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा टीके के अलग-अलग दाम तय करने पर उठाया सवाल और पूछा कि एक ही टीके की अलग-अलग कीमत कैसे हो सकती है? इस नीति से लोगों को अधिक कीमत देनी होगी और राज्य सरकारों को भारी वित्तीय समस्याओं को सामना करना पड़ेगा. कोरोना संकट में भी केन्द्र सरकार मुनाफाखोरी की इजाजत कैसे दे सकती है?
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सीएम गहलोत ने की फ्री वैक्सीन की मांग- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी केन्द्र सरकार से युवाओं को कोरोना वैक्सीन फ्री देने की मांग की है. सीएम गहलोत ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के युवाओं को भी फ्री वैक्सीन लगाने की घोषणा करनी चाहिए. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा- फ्री वैक्सीन ना मिलने पर युवाओं का केन्द्र सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ेगा. गहलोत की माने तो कोरोना संकट काल में राज्य की माली हालत ठीक नहीं है. ऐसे में मोदी सरकार को वैक्सीन की नई नीति पर फिर से विचार करना चाहिए.
सीरम की सफाई- सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि निजी अस्पतालों को कोवीशील्ड वैक्सीन 600 रुपए में दी जाएगी. राज्य सरकारें खरीदेंगी तो उनके लिए वैक्सीन के दाम 400 रुपए होंगे और केंद्र को अनुबंध समाप्त होने तक ये वैक्सीन डेढ़ सौ रुपए में मिलती रहेगी. सीरम ने कहा कि अगले दो महीने में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जाएगा. एक टीके के तीन दाम के पीछे सीरम का तर्क है कि कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने मिलकर डवलप किया है और सीरम सिर्फ प्रोडक्शन करती है. कंपनी का कहना है कि 1 मई से टीकाकरण अभियान चलाया जाना है उसके लिए वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाया जाना है. ऐसे में रॉ मैटेरियल और रॉयल्टी के अतिरिक्त भार को घटाने के लिए वैक्सीन के रेट बढ़ाए गए हैं.
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सभी सरकारों को 400 में मिलेगी वैक्सीन- पूनावाला- कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदार पुनावाला ने एक इंटरव्यू में कहा कि कि 150 रुपये प्रति खुराक का मौजूदा अनुबंध समाप्त होने के बाद केंद्र सरकार के लिए भी दर 400 रुपये प्रति खुराक होगी, पूनावाला ने कहा- मैं यह साफ कर दूं कि कीमत अलग-अलग नहीं है. नए अनुबंधों के लिए सभी सरकारों के लिए कीमत 400 रुपये ही होगी. पूनावाला ने कहा कि पिछली कीमत शुरुआती कीमत थी. उस समय काफी चीजें स्पष्ट नहीं थी. यह भी पता नहीं था कि टीका काम करेगा या नहीं. यह ‘जोखिम साझा कीमत’ थी, जिसकी सीमित मात्रा की आपूर्ति को लेकर सहमति जताई गई थी. कंपनी के अनुसार उनकी वैक्सीन दुनिया में सबसे सस्ती वैक्सीन में से एक है. अमेरिकी टीके की कीमत 1,500 रुपये प्रति खुराक से ज्यादा है, जबकि रूस और चीन में टीके की कीमत 750 रुपये प्रति खुराक से अधिक है. आपको बता दें, एक अन्य महत्वपूर्ण कदम में केंद्र ने सीरम इंस्टिट्यूट को 3,000 करोड़ रुपये और भारत बायोटेक को 1,500 करोड़ रुपये की अग्रिम निधि को मंजूरी दे दी है, जो कोवैक्सिन का उत्पादन कर रहा है.
ऐसे में अब यह मांग उठ रही है कि नई वैक्सीनेशन पॉलिसी में कुछ बुनियादी कमियां हैं, जिनकी ओर विपक्ष ने ध्यान दिलाया है. सरकार को आगे बढ़ कर उन खामियों को दूर करना चाहिए या राज्यों और आम लोगों को भरोसा दिलाना चाहिए कि उन्हें इससे परेशानी नहीं होगी. दूसरे कुछ संशय़ भी हैं, जिन्हें सरकार को दूर करना चाहिए.
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बता दें कि भारतीय दवा महानियंत्रक डीसीजीआई ने जनवरी में दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोविशील्ड तथा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी. भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोवैक्सीन का विकास किया है. वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ‘कोविशील्ड’ के उत्पादन
के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है. ऐसे ही रूस में निर्मित कोविड-19 की वैक्सीन ‘स्पुतनिक वी’ के सीमित आपातकालीन उपयोग के लिए भारत में मंजूरी मिल गई थी. ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. भारत में इसका निर्माण डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की ओर से होगा.