Politalks.News/Rajasthan. कोरोना के महासंकट के बीच राजस्थान यूथ कांग्रेस के अंदर पुराना घमासान जारी है. सियासी गुटबाजी के चलते यूथ कांग्रेस के 10 से ज्यादा पदाधिकारी पिछले लगभग 8 महीने से एक्टिव नहीं हैं. जिसके चलते अब संगठन की ओर से कड़े कदम उठाते हुए प्रदेश युवक कांग्रेस के तीन पदाधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है. संगठन की ओर से कार्रवाई करते हुए इन तीनों पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. इन 3 पदाधिकारियों के निलंबन के साथ ही संगठन की ओर से चार पदाधिकारियों को 3 महीने का नोटिस (Notice) दे दिया गया. बता दें कि सुनने में सामान्य सी दिखने वाली ये घटना कोई सामान्य बात नहीं है, राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये पिछले साल में आए सियासी संकट के दौरान की राख में दबी हुई चिंगारी है जो अब तक सुलग रही थी.
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यूथ कांग्रेस ने इन पर चलाया डंडा
कांग्रेस के युवा संगठन की ओर से कार्रवाई करते हुए प्रदेश महासचिव गौरव सैनी के साथ ही प्रदेश सचिव रामनिवास गोदारा और परमिंदर सिहाग को निलंबित कर दिया गया है. वहीं जिन चार पदाधिकारियों को 3 महीने का नोटिस दिया गया है उनमें प्रदेश महासचिव भरत चौधरी, अजीत बेनीवाल, प्रदेश सचिव सुनील डूडी और हरप्रीत सिंह का नाम शामिल है. अब इन पदाधिकारियों को आगामी तीन माह की अवधि में अपने कार्य के प्रति गंभीरता दिखानी होगी. इसके बाद ही इनके भविष्य पर संगठन आगे के निर्णय लेगा.
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गहलोत-पायलट के विवाद के बाद से है ‘टशल’
राजस्थान में पिछले साल कोरोना की पहली लहर के साथ ही आए सियासी संकट के समय में गहलोत-पायलट के बीच जमकर नुराकुश्ती हुई थी. उस समय सचिन पायलट खेमे का साथ देने वाले यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विधायक मुकेश भाकर को उनके पद से हटा दिया गया था. जिसके बाद अशोक गहलोत खेमे के विधायक गणेश घोघरा को यूथ कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी. इससे पहले गणेश घोघरा यूथ कांग्रेस में प्रदेश सचिव की भूमिका में थे. घोघरा को यूं रातों रात संगठन की कमान सौंप देना संगठन में पदासीन कई पदाधिकारियों को रास नहीं आया था. इस विवाद के बाद से यूथ कांग्रेस में भी टकराव बढ़ गया. विधायकों और कांग्रेस पदाधिकारियों की तरह ही यूथ कांग्रेस के पदाधिकारी भी गुटों में बंट गए. माना जा रहा है कि ये पूरा मामला उसी समय शुरू हुआ था और इस घमासान की नींव भी उसी समय पड़ चुकी थी. बता दें कि प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी का चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत होता है और चुनाव जीतकर ही पदाधिकारी बनते हैं.
घोघरा को लेकर नहीं थी संगठन में सहमति
माना जा रहा है कि युथ कांग्रेस की पुरानी टीम ने घोघरा को लेकर सहज नहीं थी. कार्यकर्ताओं का मानना था कि यूं रातों रात संगठन की कमान सौंप देना सहीं नहीं था. ऐसे में संगठन के पुराने पदाधिकारी गणेश घोघरा को अध्यक्ष के तौर पर मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. इसी कारण संगठन में आंतरिक राजनीति काफी तेज हो गई थी. हालात को देखते हुये संगठन के उच्चाधिकारियों ने कई बार चीजों को सामान्य करने की कोशिश की लेकिन हालात नहीं बदले. जिसके बाद से ही मुकेश भाकर से जुड़े पदाधिकारी और पायलट कैंप से जुड़े पदाधिकारी यूथ कांग्रेस के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं. ऐसे में साफ है युवा कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. गुटबाजी पर संज्ञान लेते हुए युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने निष्क्रिय पदाधिकारियों पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया है.
अब एक्शन पर रिएक्शन का इंतजार
फिलहाल संगठन के इस फैसले पर पायलट गुट की ओर से कब रिएक्शन आता है. क्योंकि फिलहाल तो कोरोना की शांति है, लेकिन ये शांति स्थाई तो है नहीं, ऐसे में एक्शन हुआ है तो उसका रिएक्शन तो होना तय है. तो आने वाले दिनों में यूथ कांग्रेस में रोचक राजनीति देखने को मिल सकती है.