यात्री अपने सामान यानी जान की रक्षा स्वयं करें- मोदी के भाषण पर विपक्ष ने लगाए पल्ला झाड़ने के आरोप

देशभर में पिछले 15 दिनों से जारी कोहराम के बीच पहली बार बीती रात 8.45 बजे टीवी पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन पर विपक्ष हुआ हमलावर, प्रधानमंत्री से उम्मीद थी कि वह यह बताएंगे कि उनकी सरकार ने अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाने, ऑक्सीजन की आपूर्ति और जरूरी दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए क्या किया है

प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर विपक्ष ने बोला जमकर हल्ला
प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर विपक्ष ने बोला जमकर हल्ला

Politalks.News/Bharat/PMModi. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में देशभर में पिछले 15 दिनों से जारी कोहराम के बीच पहली बार बीती रात 8.45 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीवी पर देश को सम्बोधित किया. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए राज्यों से आह्वान करते हुए कहा कि लॉकडाउन को आखिरी विकल्प रखें और माइक्रो कंटेनमेंट जोन पर ध्यान केंद्रित करें. पीएम मोदी के भाषण के बाद विपक्ष ने प्रधानमंत्री के बयान पर जमकर हल्ला बोला है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीटर पर जबरदस्त तंज कसते हुए लिखा कि, ‘रात 8.45 बजे के ज्ञान का सार, मेरे बस का कुछ नहीं, यात्री अपने सामान यानी जान की रक्षा स्वयं करें.’

प्रमुख विपक्षी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को खोखला करार देते हुए आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया और सारी जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी. पीएम मोदी के भाषण के तुरंत बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी के ज्ञान का सार यह था कि उनके बस का कुछ नहीं है और लोग अपनी जान की रक्षा खुद करें. सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि, ‘आज रात 8.45 बजे के ज्ञान का सार -: मेरे बस का कुछ नहीं, यात्री अपने सामान यानी जान की रक्षा स्वयं करें.’

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वहीं कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने एक बयान में कहा कि, ”राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री का संबोधन फिर से खोखली बात ही रहा. देश अप्रत्याशित और गंभीर संकट का सामना कर रहा है…इतने लोगों की मौत हो रही है कि श्मशानों और कब्रस्तानों में जगह नहीं बची है.” माकन ने आगे कहा कि, ”प्रधानमंत्री से उम्मीद थी कि वह यह बताएंगे कि उनकी सरकार ने अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाने, ऑक्सीजन की आपूर्ति और जरूरी दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए क्या किया है. बहरहाल, उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियों से पीछे हटने और भारत को बचाने का दायित्व गैर सरकाराी संगठनों, युवाओं और बाल मित्रों को सौंपने का चुनाव किया.” माकन ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने राज्यों से लॉकडाउन नहीं लगाने की सलाह देते हुए अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी.

उसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि, ”प्रधानमंत्री के भाषण का सार यह है: लोगों की अपनी जिम्मेदारी खुद की है. अगर आप इससे पार पा लेते हैं तो किसी उत्सव और महोत्सव में जरूर मिलेंगे. तब तक के लिए शुभकामनाएं, ईश्वर आपकी रक्षा करे.” महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि लॉकडाउन आखिरी विकल्प होना चाहिए, लेकिन राज्य की अदालतें लॉकडाउन को लेकर निर्देश जारी कर रही हैं. लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री प्रवासी मजदूरों, गरीबों और छोटे व्यापारियों के लिए राहत पैकेज का ऐलान करेंगे.

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वहीं छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि, “मुझे उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संबोधन में हर व्यक्ति के लिए मुफ्त वैक्सीन की घोषणा करेंगे. लेकिन, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह बताया ही नहीं कि वैक्सीन उत्पादन की क्षमता को कितना बढ़ाया गया है और उसके बाद राज्यों को वैक्सीन की कितनी खुराक दी जाएगी.”

आपको बता दें, मंगलवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में राज्यों से कहा, “आज की स्थिति में हमें देश को लॉकडाउन से बचाना है, मैं राज्यों से कहूंगा कि वो लॉकडाउन से बचें और माइक्रो कंटेनमेंट जोन पर ही ध्यान केंद्रित करें. अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने के साथ लोगों की सेहत का भी ध्यान रखें. कल रामनवमी है और मर्यादा पुरुषोत्तम का संदेश है कि हम मर्यादाओं का पालन करें. कोरोना से बचने के उपायों को शत प्रतिशत पालन करें.

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