साल 2024 के सियासी कैलेंडर के चौथे पार्ट में हम लेकर आए हैं अप्रैल माह का राजनीतिक हिसाब-किताब, जिसमें उन सभी बड़े सियासी घटनाक्रमों को शामिल किया है, जिन्होंने देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है. अप्रैल माह चुनावी सरगर्मियां लेकर आया. कांग्रेस, बीजेपी, आम आदमी पार्टी सहित सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने एक दूसरे पर जमकर जुबानी तीखे तीर चलाए, जो देश के सबसे बड़े राजनीतिक मुद्दे बने. आइए जानते हैं..
अप्रैल महीने की शुरुआत में भी लोकसभा चुनाव की सरगर्मी रही. मौसम में आई हल्की तपिश को आम चुनावों की सरगर्मी ने कई गुना तक तपा दिया. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार देश में कमल खिलाने की तरफ बढ़ रही थी. वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में ‘इंडिया’ ब्लॉक सत्ता हासिल करने के लिए जी तोड़ पसीना बहा रहा था. हालांकि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ममता बनर्जी ने कांग्रेस की शर्तों को दरकिनार कर सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे. वहीं कांग्रेस और सीपीआई ने अपने प्रत्याशी एक दूसरे के खिलाफ खड़े किए. दोनों का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों से था. लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने ‘न्याय पत्र’ तो भाजपा ने ‘संकल्प पत्र’ के नाम से अपना घोषणा पत्र जारी किया.
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पहले दो चरण के लोकसभा चुनाव भी अप्रैल में हुए. इसके साथ ही नितिन गडकरी, नकुल नाथ, राहुल गांधी, शशि थरूर, हेमा मालिनी समेत कई दिग्गजों की सियासी किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. इसी महीने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा चुनाव के लिए मतदान कराया गया. राजस्थान में इंडिया ब्लॉक के तहत कांग्रेस ने तीन सीटों पर उम्मीदवार कम उतारे. नागौर से हनुमान बेनीवाल और बांसवाड़ा भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत के लिए छोड़ी गयी. सीपीआईएम के अमरा राम ने सीकर से चुनाव लड़ा. अन्य 22 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने किस्मत आजमायी थी. राजस्थान में इसी महीने में दोनों चरणों का मतदान संपन्न हुआ.