Politalks.News/Delhi/RBI/RahulGandhi. कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश का देशभर में हो हल्ला हो रहा है. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य इस सिफारिश की आलोचना की है. वहीं कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हैं. इन सिफारिशों में सबसे बड़ी बात यह है कि बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंक चलाने की अनुमति दी जा सकती है. रिजर्व बैंक के द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह (IWG) की ओर से ये सिफारिशें दी गई हैं जिसके बाद बहस भी शुरू हो गई है.
दरअसल, रिजर्व बैंक के द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह (IWG) ने पिछले हफ्ते कई सुझाव दिए थे. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गठित इंटरनल वर्किंग ग्रुप ने बैंकिंग नियमन कानून में जरूरी संशोधन के बाद बड़ी कंपनियों को बैंकों का प्रमोटर बनने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है. यही नहीं, वर्किंग ग्रुप ने बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को बैंकों में तब्दील करने का भी प्रस्ताव दिया है. आरबीआई इस रिपोर्ट के आधार पर अंतिम गाइडलाइंस जारी करेगा.
इन सिफारिशों में सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) को बैंकिंग लाइसेंस देने की वकालत की गई है, जिनका एसेट 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है और जिनका कम से कम 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है और साथ ही बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंक चलाने की अनुमति दी जा सकती है.
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इन सिफारिशों पर रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने देश के मौजूदा हालातों को देखते हुए निर्णय को चौंकाने वाला और बुरा बताया. राजन और आचार्य ने एक संयुक्त लेख में यह कहा कि इस प्रस्ताव को अभी छोड़ देना बेहतर है. दोनों विषय विशेषज्ञों ने कहा कि बैंकिंग का इतिहास बेहद त्रासद रहा है. जब बैंक का मालिक कर्जदार ही होगा, तो ऐसे में बैंक अच्छा ऋण कैसे दे पाएगा. जब एक स्वतंत्र व प्रतिबद्ध नियामक के पास दुनिया भर की सूचनाएं होती हैं, तब भी उसके लिये फंसे कर्ज वितरण पर रोक लगाने के लिए हर कहीं नजर रख पाना मुश्किल होता है.
Why now? Former RBI Governor Raghuram Rajan and Deputy Governor Viral Acharya question the suggestion to permit corporates into Indian banking. pic.twitter.com/RaWPQZAzib
— BloombergQuint (@BloombergQuint) November 23, 2020
राजन और आचार्य ने रिजर्व बैंक के कार्य समूह के प्रस्ताव की ओर इशारा करते हुए कहा कि बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की मंजूरी दी जा रही है. यह प्रस्ताव भले ही कई शर्तों के साथ है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है कि ऐसा अभी क्यों जबकि देश में लिक्विड कंडिशंस इतनी खराब है. राजन ने रिजर्व बैंक की इस सिफाइश को ‘बैड आइडिया’ बताया.
इसी मुद्दे पर राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा, साथ ही सरकार पर हमला बोलते हुए इस सिफारिश को बड़े औद्योगिक घरानों के लिए फायदे का सौंपा बताया. राहुल गांधी ने क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा ‘पहले बड़ी कंपनियों का कर्ज माफी होगा, फिर उन कंपनियों को बड़े कर छूट मिलेंगे और अब इन कंपनियों के द्वारा बनाए गए बैंक में लोगों की सेविंग दे देंगे.’
Chronology samajhiye:
First, karz maafi for few big companies.
Next, huge tax cuts for companies.
Now, give people's savings directly to banks set up by these same companies. #SuitBootkiSarkar pic.twitter.com/DjK2mya4EZ— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 24, 2020
गौरतलब है कि मौजूदा हालातों में बैंकिंग सेक्टर को भी मंदी का सामना करना करना पड़ रहा है. निजी क्षेत्र के ‘लक्ष्मी विलास’ जैसे बैंक भारी वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं. लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी गई हैं. इस पाबंदी के चलते कोई भी खाताधारक 25,000 रुपये से ज्यादा रकम नहीं निकाल सकेगा. पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ने महाराष्ट्र के मंथा अर्बन कॉपरेटिव बैंक पर भी कुछ कारणों से पाबंदियां लगाई है.
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इससे पहले निजी क्षेत्र के यश बैंक भी वित्तीय संकटों में फंस गया था. यस बैंक के ऊपर मार्च में पाबंदियां लगाई गईं थीं. तब सरकार ने एसबीआई की मदद से यस बैंक को उबारा था और यस बैंक के 45 परसेंट शेयर 7,250 करोड़ रुपये में खरीदे थे. इसके पहले पिछले साल सितंबर में रिजर्व बैंक को पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) में घोटाले का पता चला था. जिसके बाद PMC पर कड़ी पाबंदियां लगा दी गईं थीं.
ऐसे माहौल में बैंकिंग सेक्टर्स से जुड़े कई विशेषज्ञों को रिजर्व बैंक ये सिफारिशें रास नहीं आ रही. हालांकि ये मामला अभी इतना नहीं उठ रहा है लेकिन आने वाले समय में जब ये सिफारिशें इस्तेमाल में लाईं जाएंगी, इस मुद्दे पर हंगामा और राजनीति होना तय दिख रहा है.