ED पड़ी पीछे तो ‘AAP’ को याद आई CBI, 1 साल पुराने बैजल के फैसले पर उंगली उठाई, सियासत गरमाई

दिल्ली सरकार की नई एक्साइज नीति को लेकर मचा घमासान नहीं ले रहा थमने का नाम, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पूर्व उपराज्यपाल पर अपना स्टैंड बदलने का लगाया आरोप, तो बोली बीजेपी- उपराज्यपाल ने भाजपा के किसी नेता के कहने पर नहीं बल्कि संविधान के कहने पर की है कार्रवाई

आबकारी नीति पर मचा घमासान
आबकारी नीति पर मचा घमासान

Politalks.News/Delhi. दिल्ली में इन दिनों आम आदमी पार्टी सरकार की नई आबकारी निति को लेकर घमासान तेज हो गया है. नई आबकारी नीति पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने सवाल उठाए तो दिल्ली सरकार ने बीते सोमवार से पुरानी आबकारी नीति को अगले 6 माह के लिए लागू कर दिया. इसी बीच शनिवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने CBI को पत्र लिख LG के ख़िलाफ़ CBI जांच की मांग की. पत्र में सिसोदिया ने आरोप लगाया कि, ‘LG ने एक्साइज पॉलिसी पर अपना निर्णय 48 घंटे पहले क्यों बदला? LG ने किन लोगों को हज़ारों करोड़ का फ़ायदा पहुँचाया? इससे दिल्ली सरकार को हज़ारों करोड़ रूपये का घाटा हुआ है और कुछ विक्रेताओं को हज़ारों करोड़ रूपये का अनुचित लाभ हुआ है, इसकी जांच होनी चाहिए.’ मनीष सिसोदिया के इन आरोपों पर अब बीजेपी का भी पलटवार आया है. बीजेपी ने कहा कि, ‘उपराज्यपाल ने जो कुछ भी किया वो नियमों के तहत किया है.’

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को एक पत्रकार वार्ता करते हुए साफ़ किया कि, जो नई आबकारी नीति बनाई गई थी वो तत्कालीन राज्यपाल अनिल बैजल की मंजूरी के तहत ही बनाई गई थी. मनीष सिसोदिया ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि, ‘नई नीति में दुकान बढ़ाने नहीं बल्कि पूरी दिल्ली में बराबरी पर दुकान बांटने का प्रस्ताव था. दिल्ली केतत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल की मंजूरी से ही नई नीति बनाई गई थी और उन्होंने जो सरकार को सुझाव दिए थे वो भी सरकार ने माने थे. मई 2021 में लागू हुई नई आबकारी नीति से पुराने दुकानदारों को लाभ होता. जब दुकानों को खोलने की फाइल LG अनिल बैसल के पास गई तो उन्होंने एकाएक स्टैंड बदल दिया. दुकानों की बात पर एलजी ने फैसला बदल दिया. जबकि अनिल बैजल ने 2 बार पढ़कर नई नीति को मंजूरी दी थी.’

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यहीं नहीं मनीष सिसोदिया ने LG के ख़िलाफ़ CBI जांच की मांग को लेकर CBI Director को एक पत्र भी लिखा है. सिसोदिया ने पत्र में लिखा कि, ‘LG ने एक्साइज पॉलिसी पर अपना निर्णय 48 घंटे पहले क्यों बदला? LG ने किन लोगों को हज़ारों करोड़ का फ़ायदा पहुँचाया? इससे सरकार को हज़ारों करोड़ का घाटा और कुछ Vendors को हज़ारों करोड़ का अनुचित लाभ हुआ है.’ मनीष सिसोदिया ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि, ‘एलजी ने बिना सरकार और कैबिनेट से चर्चा किए फैसला बदल लिया.’ डिप्टी सीएम ने आरोप लगाया कि, ‘स्टैंड बदलने से अनअथराइज्ड एरिया में दुकाने नहीं खुलीं और कुछ ही जगहों पर शराब की दुकानें खुलीं, जिससे सिर्फ कुछ ही लोगों को लाभ पहुंचा. ऐसे में इसकी जांच होनी चाहिए. LG ने अपना फैसला बदलते हुए नई कंडीशन लगाई कि एमसीडी या DDA की अनुमति से शराब की दुकान खोली जाए. जबकि इससे पहले की फाइल्स से स्पष्ट है कि अब तक उपराज्यपाल ही इसकी अनुमति देते हैं.’

पत्रकार वार्ता के दुआरण सिसोदिया ने कहा कि, ‘नवंबर के पहले हफ्ते में दुकानें खोलने का प्रस्ताव एलजी साहब के पास पहुंचा. नवंबर में उन्होंने नई शर्त लगा दी कि अनधिकृत कॉलोनी में दुकान खोलने के लिए DDA, MCD की मंजूरी लेनी होगी, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था बस एलजी हाउस से मंजूरी चाहिए होते थे. इसकी वजह से लाइसेंस लेने वालों को बहुत नुकसान हुआ, बहुत को नुकसान हुआ क्योंकि एलजी साहब ने निर्णय बदला. इसके बाद लाइसेंस धारक कोर्ट पहुंच गए क्योंकि उनकी दुकान ही नहीं खुल पाई जबकि कुछ दुकानदारों को बहुत फायदा हो गया क्योंकि बहुत सी दुकान खुली ही नहीं. एलजी के स्टैंड बदलने से सरकार को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. अब इस मामले की सीबीआई जांच होना जरूरी कि कैबिनेट और सरकार के पास प्रस्ताव को एकाएक कैसे बदल दिया गया.’ वहीं मनीष सिसोदिया द्वारा लगाए गए आरोपों पर अब बीजेपी का भी पलटवार सामने आया है.

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बीजेपी के राष्ट्रिय प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘उपराज्यपाल ने भाजपा के किसी नेता के कहने पर नहीं बल्कि संविधान के कहने पर कार्रवाई की है. पात्रा ने मनीष सिसोदिया से पूछा कि नवंबर, 2021 को उपराज्यपाल ने कार्रवाई की थी और अगस्त का महीना चल रहा है. इतने महीने तक आप को कुछ सूझा नहीं है. आपने अगर एक बार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की हो, विधानसभा में चर्चा की हो या फिर जनता से बात की हो तो बताएं ? मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के पीछे सीबीआई, ईडी लगी तो उन्हें याद आया कि इस मामले को कैसे डाइवर्ट किया जाए. ऐसे में उन्होंने उपराज्यपाल को निशाना बनाने का प्रयास किया क्योंकि उपराज्यपाल तो प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर सकते हैं.’

संबित पात्रा ने आगे कहा कि, ‘मैन्यूफ्रैचरिंग कंपनी को रिटेल की अनुमति नहीं होती है उसे मनीष सिसोदिया ने अनुमति दी. इसके अलावा ब्लैक लिस्टेड कंपनिया ठेके नहीं खोल सकते हैं लेकिन यहां पर तो उन्होंने ठेके खोले हुए हैं. कारटेल की भी टेंडर में अनुमति नहीं होती है लेकिन कारटेल को भी मनीष सिसोदिया ने अनुमति दी हुई है. जब कोरोना चरम पर था तब प्रवासी मजदूरों को कैसे वैक्सीन लगाई जाए और उन्हें सेवा ही संगठन के माध्यम से भाजपा भोजन पहुंचाने की तैयारी में थी तभी अरविंद केजरीवाल बस मुहैया कराकर प्रवासी मजदूरों को दिल्ली से बाहर जाने का रस्ता दिखा रहे थे. ठीक उसी वक्त मनीष सिसोदिया महापाप कर रहे थे. शराब कंपनियों के 144 करोड़ रुपयों को मनीष सिसोदिया ने बिना किसी की अनुमति के माफ करने का काम किया. भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि शराब कंपनियों के पैसों को माफ किया गया हो.‘

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