मीणा के खिलाफ गुटों में बंटे सरपंचों का धरना जारी, आरोप साबित हुए तो मांगना नहीं पड़ेगा इस्तीफा- मंत्री जी

पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के इस्तीफे और 33 सूत्रीय मांगों के साथ प्रदेश के सरपंच डाले बैठे है जयपुर में महापड़ाव, पहले दिन ही दो गुटों में बंटा महापड़ाव, जमकर हुई जूतमपैजार, सरपंचों के एक गुट ने कहा- मंत्री मीणा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने क्षेत्र से बुलाया है इन सरपंचों को, ताकि महापड़ाव को मकसद से भटका दिया जाए

'अधिकारीयों पर गिरी गाज तो डरे डरे सरपंच पहुंचे जयपुर'
'अधिकारीयों पर गिरी गाज तो डरे डरे सरपंच पहुंचे जयपुर'

Politalks.News/Rajasthan. देशभर में पंचायती राज की नींव रखने वाले नागौर जिले के सरपंचों ने राजस्थान के पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. बीते महीने अपने नागौर जिले के दौरे के दौरान मंत्री मंत्री रमेश मीणा ने नरेगा में 300 करोड़ का घोटाला होने की बात कही थी. इसे लेकर एक महीने से प्रदेश भर के सभी सरपंच मंत्री रमेश मीणा के खिलाफ लामबंध हैं. इसी कड़ी में सरपंचों ने शुक्रवार को राजधानी जयपुर में महापड़ाव डाला. लेकिन सरपंचों के इस महापड़ाव में दो गुट देखने को मिले. एक गुट तो मंत्री रमेश मीणा के इस्तीफे की मांग को लेकर अड़ा हुआ है तो वहीं दूसरा धड़ा इससे नाराज नजर आ रहा है. ऐसे दोनों ही गुटों के बीच शुक्रवार को जूतमपैजार तक हो गई. वहीं इस पुरे मामले को लेकर मंत्री रमेश मीणा की प्रतिक्रिया सामने आई है जिसमें उन्होंने साफ़ कहा है कि, ‘सरपंच मेरे आरोपों की जांच चाहें किसी भी एजेंसी से करवा लें लेकिन अगर ये साबित हुआ कि मंत्री के तौर पर मैंने गलत किया है तो सरपंचों को मेरा इस्तीफा मांगने की आवश्यकता नहीं होगी, मैं खुद अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दूंगा.’

दरअसल, पिछले माह बीते दिनों पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा नागौर दौरे पर थे जहां पंचायत राज विभाग के कार्यों को लेकर चल रही एक बैठक के दौरान मंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत टांका निर्माण और तालाब के कार्यों में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं. यहीं मंत्री रमेश मीणा ने जिले के 14 ब्लॉक में बड़ी गड़बड़ी बताकर उनकी जांच करने के भी आदेश दिए थे जिसके जांच साफ़ सामने आया है कि नागौर और बाड़मेर में मनरेगा के कार्यों में करीब 300 करोड़ रूपये का घोटाला हुआ है. इससे पहले जब मंत्री ने इस घोटाले की आशंका जताई थी तो प्रदेश भर के सरपंचों ने 20 जुलाई को नागौर मुख्यालय के पशु प्रदर्शनी स्थल पर प्रदर्शन किया और साथ ही प्रदेशभर में सरपंचों ने होने वाली पाक्षिक मीटिंग का बहिष्कार किया. यहीं नहीं सरपंचों ने पंचायत भवनों पर सांकेतिक तालाबंदी कर मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी दर्ज करवाया.

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इसी कड़ी में शुक्रवार को घोटाले के आरोपों और सरपंचों की कार्यशैली पर सवाल उठाए जाने से नाराज सरपंचों ने अपनी 33 सूत्रीय मांगों को लेकर जयपुर में महापड़ाव डाल दिया. लेकिन सरपंचों के इस महापड़ाव में फुट देखने को मिली. जो सरपंच समूह पहले एकजुट होकर पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा से इस्तीफे की मांग कर रहा था लेकिन अब सरपंचों का महापड़ाव दो गुटों में बंट गया है. पश्चिमी राजस्थान के ज्यादातर सरपंच मंत्री रमेश मीणा से इस्तीफे और माफी की मांग पर अड़े हैं तो वहीं दूसरी ओर पूर्वी राजस्थान के कई जिलों के सरपंच मंत्री मीणा के समर्थन में उतर आए. ऐसे में मानसरोवर में न्यू सांगानेर रोड इलाके में महापड़ाव स्थल पर दोनों गुट आमने-सामने हो गए. जैसे ही मंच से भाषण की शुरुआत हुई और मंत्री रमेश मीणा के खिलाफ बयानबाजी शुरू हुई तो दूसरे पक्ष ने सवाल उठाना शुरू कर दिया.

इस दौरान दोनों ही गुट एक दूसरे के आमने सामने हो गए और एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकी गई. यहीं नहीं दोनों गुटों के बीच जूतमपैजार के साथ साथ हाथा पाई हो गई. इस बीच पुलिस ने लाठियां मारकर हंगामाईयों को खदेड़ा. सरपंचों के एक गुट की ओर से ये कहा जा रहा है कि मंत्री रमेश मीणा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने क्षेत्र से इन सरपंचों को बुलाया है, ताकि महापड़ाव को उसके मकसद से भटका दिया जाए. वहीं जब इस पुरे मामले को लेकर मीडिया ने मंत्री रमेश मीणा से बात कि तो उन्होंने कहा कि, ‘अगर मैं सरपंचों को महापड़ाव में शामिल होने के लिए बुलाता तो सरपंचों की संख्या 500-1000 की नहीं 10 से 20,000 की होती. पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के सरपंचों की मांग भी पूरी तरीके से जायज है और सरपंचों को जितना काम हमने राजस्थान में विकास के कार्य के लिए दिया है उस काम में सभी जिलों में समानता आनी चाहिए.’

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वहीं मंत्री रमेश मीणा से जब उनका इस्तीफा मांगे जाने से जुड़ा सवाल पुछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘सरपंच हमारे आरोपों की जांच चाहें किसी भी एजेंसी से करवा लें लेकिन अगर ये साबित हुआ कि मंत्री के तौर पर मैंने गलत किया है तो सरपंचों को मेरा इस्तीफा मांगने की आवश्यकता नहीं होगी. मैं खुद अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दूंगा. मैंने तय किया है की ईमानदारी से काम करूंगा और जो व्यक्ति ईमानदारी से काम करता है उसे संघर्ष करना पड़ता है.’ मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि, ‘आज पूरे राजस्थान के सरपंचों का कहना है कि हमने कांग्रेस को वोट दिया और विधायक भी हमारे ज्यादा जीत कर आए हैं ऐसे में मेरे प्रति उनका समर्थन है. हमें अनियमितता की शिकायत भी जिन जिलों में भ्रष्टाचार हो रहा है वहां के लोगों से ही मिली थी और जब हमने इन शिकायतों को वेरीफाई करवाया, धरातल पर गए तो शिकायतों को सही पाया.’

सरपंचों के महापड़ाव का जिक्र करते हुए मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि, ‘महापड़ाव पर कुछ नकली सरपंच बैठे हैं और वे पदाधिकारी, विधायक बनने के ख्वाब देख रहे हैं. लेकिन “साँच को कभी आंच” नहीं होती. वही सरपंच डरता है जिसने मौके पर अपना काम नहीं करवाया होता है. आरोप मैंने नहीं लगाए हैं बल्कि जिन जिलों में हम जांच करते हैं उसकी रिपोर्ट पर हमारी समीक्षा होती है, जिसमें अधिकारी मौजूद रहते हैं और टीम की जांच में जो कमियां आई मैंने उन्हीं को उजागर किया है, बिना जांच के मैंने कोई आरोप नहीं लगाए हैं.’ इस दौरान मंत्री रमेश मीणा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘अभी तो अधिकरियों पर ही कार्रवाई हुई है तो सरपंच डर गए हैं बाद में क्या होगा? कई सरपंचो को लगता है कि अभी तो अधिकारियों पर कार्रवाई हो रही है तो कुछ सरपंच भी डर रहे हैं कि जब हमारे खिलाफ जांच होगी तो हमारी पोल जाएगी. डरे सहमे लोग ही पैदल चलकर जयपुर आए हैं. नागौर के सरपंच एमएलए बनने के ख्वाब देख रहे हैं. पहले जांच तो करवा लो कौन कितने पानी में है यह साफ हो जाएगा.’

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