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मोदी लहर में लड़े गए पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तराखंड में सभी पांचों सीटें अपनी झोली में डाली थीं, लेकिन इस बार पार्टी की राह आसान नहीं दिख रही. सूबे की नैनीताल लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, कांग्रेस की ओर से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यहां से मैदान में हैं. हालांकि इस सीट पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश, केसी बाबा और महेंद्र पाल का नाम भी सामने आ रहा था लेकिन रावत ने सभी को पीछे छोड़ दिया.

कार्यकर्ताओं की मानें तो रावत को यही लग रहा है कि अजय भट्ट से उन्हें ज्यादा चुनौती नहीं मिलेगी और वे आसानी से सीट निकाल लेंगे. हालांकि दोनों प्रत्याशी बाहरी हैं मगर रावत यहां लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के हरीश रावत का पलड़ा थोड़ा भारी लग रहा है. राजनीति के जानकार यह भी कह रहे हैं कि अगर हरीश रावत को हरिद्वार सीट से चुनाव लड़वाया जाता तो यहां उन्हें वर्तमान सांसद और भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक से कड़ी टक्कर मिलती.

बता दें कि हरिद्वार सीट पर हरीश रावत निशंक को पहली भी पटकनी दे चुके हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने अंबरीश कुमार को चेहरा बनाया है. अंबरीश हरिद्वार विधानसभा सीट से सपा के विधायक और 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. बात करें अल्मोड़ा लोकसभा सीट की तो यहां कांग्रेस ने फिर से प्रदीप टम्टा पर दांव खेला है. टम्टा वर्तमान राज्यसभा के सदस्य हैं और अभी उनका तीन साल का कार्यकाल शेष है.

अल्मोड़ा सीट पर प्रदीप टम्टा पिछली बार भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा से मात भी खा चुके हैं. इसके बावजूद कांग्रेस ने उन पर यकीन दिखाया है. इस सीट पर प्रदीप टम्टा और अजय टम्टा तीसरी बार आमने-आमने हैं. प्रदेश की पौड़ी सीट पर कांग्रेस ने मनीष खंडूरी और बीजेपी ने राष्ट्रीय सचिव और बीसी खंडूरी के शिष्य तीरथ सिंह रावत को पार्टी चेहरा बनाया है. मनीष वर्तमान सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी के पुत्र हैं. उन्होंने हाल ही में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है.

राजनीति के जानकारों का मानना है कि अपने पिता की साफ छवि के चलते मनीष खंडूरी को जीत दर्ज करने में दिक्कत आने की उम्मीद कम है. टिहरी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां हमेशा से ही राजशाही का ही दबदबा रहा है. भूतपूर्व टिहरी नरेश के वंशजों को जिस भी पार्टी ने टिकट दी, उसने जीत दर्ज की है. भाजपा ने वर्तमान सांसद पूर्व महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने प्रदेशाध्यक्ष प्रीतम सिंह पर दांव खेला है.

टिहरी में प्रीतम सिंह की अच्छी पकड़ के चलते उनका दावा मजबूत बताया जा रहा है. वहीं, लक्ष्मी शाह का अधिकतर समय दिल्ली में गुजरता है. कुल मिलाकर ​2014 के चुनाव में सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा की राह इस बार आसान नहीं है. ज्यादातर सीटों पर उसे कांग्रेस की ओर से कठिन चुनौती मिल रही है.

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