Politalks.News/Uttrakhand. आज की बात शुरू करने से पहले व्यक्तिगत अनुभव से इस बात पर मुहर लगाएंगे की दुनिया में सबसे बड़ा कोई है तो वो है ‘वक़्त’. साल 1965 में यश चोपड़ा निर्देशित फिल्म आई थी जिसका नाम था ‘वक़्त‘. फिल्म में कलाकार बलराज साहनी ने रईस सेठ (लाला) का किरदार निभाया था. जब फिल्म शुरू होती है तब बलराज साहनी दोस्तों से कहते हैं कि मैं अपने तीनों बेटों को बड़ा आदमी बनाऊंगा. (बता दें कि बलराज के इस फिल्म में तीन बेटे थे, जो राजकुमार, सुनील दत्त और शशि कपूर बने थे). साहनी के इस संवाद के बाद ही फिल्म में एक बड़ी प्राकृतिक आपदा के रूप में तूफान आता है और सब कुछ बहाकर ले जाता है. जिसमें बलराज के सपनों के साथ उनका घर-द्वार और बच्चे, पत्नी सब बहकर बिछड़ जाते हैं. यानी वक़्त ने ऐसा पलटा मारा, सभी उम्मीदें और आकांक्षाएं छीड़ हो गईं. फिल्म वक़्त की तर्ज पर ही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जब अपनी सरकार के 4 साल पूरा होने पर जबरदस्त जश्न की तैयारी में जुटे थे कि त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ पार्टी में चरम पर पहुंची सियासी गुटबाजी ने ऐसा खेला करा कि भाजपा आलाकमान ने पल भर में ही त्रिवेंद्र के ‘सारे सपने ध्वस्त कर डाले.’
बता दें कि उत्तराखंड में भाजपा सरकार को 2 दिन बाद यानी 18 मार्च को 4 साल पूरे हो जाएंगे. ‘चार साल के जश्न को मनाने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत कई महीनों से तैयारियों में जुटे हुए थे. इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड के प्रशासनिक और अपने विधायकों के साथ सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में एक बड़े जश्न के आयोजन की रूपरेखा भी बना ली थी, इस जश्न की गूंज दिल्ली तक जाए इसके लिए उन्होंने बाकायदा झंडी, बैनर पोस्टर भी तैयार करने के आदेश दे दिए थे’. कहा जाता है सब कुछ अपने हाथ में नहीं होता, वैसे भी अधिकांश इंसान जो सोचता है वह होता नहीं है. सत्ता और सियासत में भी तस्वीरें बदलती रहती हैं. त्रिवेंद्र सिंह के 4 साल जश्न से ठीक 9 दिन पहले यानी 9 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसी के साथ उनके 4 साल पूरा होने के ‘जश्न ए कार्यकाल’ का भी फैसला पलट दिया गया.
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यहां हम आपको बता दें कि 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. ‘त्रिवेंद्र सिंह पिछले कई महीनों से छाती ठोक कर देवभूमि के सियासी गलियारों में कहते फिर रहे थे कि मैं 5 साल का कार्यकाल पूरा करूंगा, इसी इरादे से लेकर उन्होंने इस बार बहुत ही तैयारियों के साथ चुनावी बजट भी पेश किया था’. लेकिन बजट पेश करने के ठीक अगले दिन उनकी विदाई की उल्टी गिनती शुरू हो गई. उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बनाए गए तीरथ सिंह रावत ने कुर्सी संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसलों को पलटना शुरू कर दिया है. ‘सबसेे पहले मुख्यमंत्री तीरथ नेे हरिद्वार महाकुंभ में त्रिवेंद्र सिंह रावत के लगाई गई तमाम बंदिशों को खत्म करकेे साफ संदेश देे दिया कि अब उत्तराखंड मेंं मेरे बनाए गए नियम और फरमान चलेंगेे’.
जश्न मनाते तो त्रिवेंद्र के गुण गाने पड़ते, अब 100 दिन बाद अपना गुणगान करते नजर आएंगे तीरथ
गौरतलब कि उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन से पहले भाजपा 4 साल के जश्न को खूब व्यापक पैमाने की मनाने की तैयारियों में जुटी हुई थी. इसके लिए बाकायदा प्रशासनिक अमला दिन-रात भागदौड़ किए हुए था. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के समय भाजपा सरकार की चार साल की उपलब्धियों को लोगों के सामने रखने के लिए 18 मार्च को पूरे प्रदेश में भव्य कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया गया था. त्रिवेंद्र के नाम से उपलब्धियों की सामग्री तैयार कर ली गई थी. लेकिन अब ‘उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कार्यक्रम निरस्त होने का आदेश भी जारी कर दिया है. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी इसकी पुष्टि की है’. ‘महत्वपूर्ण यह है कि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री अगर चार साल का जश्न मनाते तो त्रिवेंद्र सरकार को बदले जाने पर सवाल उठ खड़ा होता, इससे बचने के लिए ही जश्न न मनाने का फैसला किया गया‘.
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मुख्यमंत्री तीरथ ने कहा है कि विधायक अपने स्तर पर संबंधित विधानसभाओं में यह कार्यक्रम कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर राज्य स्तर पर होने वाले कार्यक्रम नहीं होंगे. ‘अब तीरथ सरकार अपने सौ दिन के काम गिनाएगी, इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है. सौ दिन पूरे होने पर भव्य आयोजन प्रदेश में किया जाएगा‘. अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह देवभूमि में नई सोच और जनभावनाओं को लेकर अपने मिशन को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं. 4 दिन के अपने कामकाज में तीरथ सिंह रावत ने इस बात के साफ-साफ संकेत दिए हैं कि सरकार जनता के लिए है. तीरथ सिंह रावत के इन संकेतों के बाद पिछली सरकार के उन फैसलों पर भी नजरें टिक गई हैं, जिनको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रति नाराजगी थी. इसके अलावा तीरथ सिंह रावत की नजर पूर्व सरकार के देवस्थानम बोर्ड और गैरसैंण कमिश्नरी के फैसले पर भी टिकी हुई है. बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चारधाम और उनके नजदीकी 52 मंदिरों के लिए त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम लेकर आई थी. यह एक्ट अस्तित्व में आने के बाद देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया गया और उसने व्यवस्थाएं अपने हाथ में ले लीं. हालांकि इसका शुरू से ही विरोध हो रहा है.
इसके अलावा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान चार मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन में गैरसैंण कमिश्नरी की घोषणा कर सबको चौंका दिया था. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की घोषणा के तुरंत बाद से ही इसका विरोध भी शुरू हो गया था, जिसकी गूंज दिल्ली भाजपा हाईकमान तक पहुंची थी. ऐसा माना जा रहा है कि तीरथ सिंह रावत इन दोनों फैसलों पर परिवर्तन कर लोगों की नाराजगी दूर कर सकते हैं. दूसरी ओर अपने फैसले पलटे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी अब बाहर भी आने लगी है. त्रिवेंद्र सिंह रावत आज हरिद्वार के दौरे पर थे जहां उन्होंने कहा कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है. वैक्सीन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं है कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहिए. कुंभ मेले के दौरान कोरोना से बचाव की सभी गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है. पूर्व मुख्यमंत्री का साफ इशारा तीरथ सिंह रावत की ओर था. बता दें कि मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कुंभ मेले में आने के लिए श्रद्धालुओं पर लगे उन सभी प्रतिबंधों को हटाने का निर्णय लिया था जो त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए लगाए गए थे.