Politalks.News/RajasthanPoliticalCrisis. राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के चयन की कवायद के बीच कांग्रेस में बहुत पहले से जारी आंतरिक खींचतान ने अब प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया है. यही नहीं जिस तरह कांग्रेस पार्टी की फजीहत हुई है उससे कल यानी 25 सितंबर का दिन राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गया है. दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की कवायद के बीच उनकी जगह मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान ने सचिन पायलट के नाम पर मुहर लगा दी, लेकिन जैसे ही पायलट का नाम सामने आया गहलोत गुट के विधायकों ने बगावत का बिगुल बजा दिया और विधायक दल की बैठक से पहले ही शांति धारीवाल के आवास पर एक बैठक के बाद गहलोत गुट के 76 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर इस्तीफा दे दिया. ऐसा इतिहास में शायद पहली बार हुआ है जब किसी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री के चेहरे पर आपत्ति दर्ज करते हुए इस तरह से सामूहिक इस्तीफे दिए हों. वहीं इस पूरे घटनाक्रम को आलाकमान अनुशासनहीनता की दृष्टि से देख रहा है आने वाले समय इसको लेकर बगावत को लीड कर रहे मंत्री विधायको के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई भी.
आपको बता दें कि गहलोत समर्थक विधायकों ने हाईकमान की ओर से भेजे गए दोनों ऑब्जर्वर मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से मिलने से मना करने और विधायक दल की बैठक के पेरेलल एक अन्य बैठक बुलाने को अनुशासनहीनता माना है. इसको लेकर अजय माकन ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि, ‘मुख्यमंत्री गहलोत के कहने और उनकी सुविधा अनुसार विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, उसमें विधायकों का नहीं आना अनुशासन हीनता है. हम एक-एक विधायक से मिलकर उनकी राय जानना चाहते थे, लेकिन वे सामूहिक रूप से मिलने पर अड़े रहे. माकन ने कहा कि गहलोत समर्थक विधायक 102 MLA में से ही सीएम बनाने की बात पर अड़े हैं. वे अपनी बात को रेज्यूलेशन में शामिल करने की मांग कर रहे थे, जबकि रेज्यूलेशन एक लाइन का होता है और कांग्रेस के इतिहास में सशर्त रेज्यूलेशन आज तक पास नहीं हुआ है. इससे पहले सीएम गहलोत के कहने पर ही बैठक बुलाई गई थी. हम एक-एक विधायक से बात करना चाहते थे, वे एक साथ मिलना चाह रहे थे वो भी 19 अक्टूबर यानी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद.
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आपको बता दें कि इस तरह से केवल सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए अशोक गहलोत ने बड़ी वाली जादुई कलाकारी दिखाई और आलाकमान के आदेश के खिलाफ जाकर कुल 76 विधायकों के उनके इस्तीफे स्पीकर सीपी जोशी को दिलवा दिए. यही नहीं इन विधायकों ने साफ कह दिया है कि यदि 2020 में सरकार गिराने का प्रयास करने वाले किसी भी नेता को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास होगा तो उसे विधायक बर्दाश्त नहीं करेंगे. भले ही इसके लिए उनकी सदस्यता ही क्यों न जाए. अगुवानी कर रहे मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया कि हमारे पास 92 विधायक हैं और हमारी एक ही मांग है कि बगावत करने वाले लोगों में से सीएम न बनाया जाए. इस दौरान ज्यादातर विधायकों ने अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने की मांग भी रखी, जिससे यह भी सन्देश गया कि कुर्सी के मोह के विपरीत गहलोत पार्टी अध्यक्ष बनना ही नही चाहते हैं.
आपको बता दें, वहीं सीएम आवास पर होने वाली विधायक दल की बैठक रद्द होने के बाद इस नाटकीय घटनाक्रम को लेकर सीएम हाउस पर एक बैठक हुई जिसमें प्रदेश प्रभारी अजय माकन, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गुजरात प्रभारी रघु शर्मा और कुछ वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहे. दरअसल, आलाकमान की ओर से जयपुर भेजे गए दोनों नेताओं को कल रात को ही सभी विधायकों से एक एक बात कर मैटर शार्ट आउट करके आने के निर्देश दिए थे. ऐसे में गहलोत खेमे के विधायकों को मनाने और उनकी बात सुनने पर चर्चा की गई. इस पर खड़गे और माकन के सामने अशोक गहलोत के गुट ने 3 बिंदुओं का प्रस्ताव रखा है. गहलोत गुट ने कहा कि नया सीएम सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से ही होना चाहिए, यानी सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए. इसके साथ ही नए सीएम की घोषणा 19 अक्टूबर को अध्यक्ष के चुनाव के बाद की जाए और गहलोत के पसंद का ही मुख्यमंत्री बनाया जाए. यही नहीं विधायकों ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर आलाकमान से कोई भी बात 19 अक्टूबर के बाद ही होगी. गहलोत गुट की ओर से बात करने गए मंत्री महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, शांति धारीवाल और संयम लोढ़ा ने साफ कर दिया है कि वे एक लाइन का प्रस्ताव मानने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने दोनों पर्यवेक्षकों अजय माकन और मल्लिका अर्जुन खड़गे को एक लाइन का प्रस्ताव मानने से इनकार कर दिया.
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सीएम आवास से वापस आकर तीनों विधायकों ने बाकी के विधायकों को दिया अपडेट और उसके बाद सीपी जोशी के आवास से देर रात सभी विधायक बाहर निकल कर अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो गए. वहीं इससे पहले राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने कहा था कि वे सिर्फ शक्ति प्रदर्शन देखने के लिए जयपुर नहीं आए हैं, बल्कि एक एक विधायक से फीडबैक लेने के बाद दिल्ली तक बात पहुंचाएंगे. बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी ने पर्यवेक्षकों को रात में एक-एक विधायकों से बात करने को कहा था, लेकिन गहलोत के इशारे पर बगावत करने वाले विधायकों ने माकन की बात को नहीं माना. इस पर दूसरे दिन दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत में प्रदेश प्रभारी ने माना की विधायक दल की बैठक के पेरेलल एक अलग से बैठक बुलाना अनुशासनहीनता है और इस पर आने वाले समय मे कार्रवाई हो सकती है.