राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द करने से साबित होता है कि कितनी डरी हुई है बीजेपी!

गुजरात कोर्ट ने 2013 के एक मामले में राहुल गांधी को सुनाई है दो साल की सजा, जिसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने राहुल की लोकसभा सदस्यता भी की रद्द, अपना पक्ष पेश करने के लिए अदालत से 30 दिन का मिला है समय, लेकिन बीजेपी के उन सांसद व विधायकों पर कब होगी कार्रवाई जो रात दिन उगलते है जुबानी जहर?

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BJP is Afraid of Rahul Gandhi: ‘मोदी सरनेम वाले सभी…’ वाले मानहानि के बयान को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और वायनाड सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. बता दें, इस मामले में राहुल को दो साल की सजा भी हुई है जिस पर जमानत मिल चुकी है. इसके साथ ही आगे उन्हें आगामी 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए भी बैन किया जा सकता है. राहुल गांधी को कोर्ट ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए 30 दिन का वक्त दिया है लेकिन आनन फानन में उनकी संसदीय सदस्यता का रद्द किया जाना चौंकाने वाला है. इससे 3के बात स्पष्ट है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी डरी हुई है. हालांकि सजा का फैसला कोर्ट द्वारा लिया गया है लेकिन इस मामले को कोर्ट तक ले जाने वाले भी भाजपायी ही हैं.

आपको बता दें कि राजनीति में वार-पलटवार और एक दूसरे को विवादित शब्दों से संबोधित किया जाना कोई नई बात नहीं है. पिछले लोकसभा चुनावों से पहले ‘…गोली मारो सालों को’ के नारे सारे हिंदूस्तान ने सुने थे. इन नारों के जन्मदाता रहे वर्तमान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर. जब मामला कोर्ट में गया तो उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया. भोपाल सीट से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर का तो इस तरह के विवादों से हमेशा से ही नाता रहा है. प्रज्ञा ने पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को ‘आतंकवादी’ तक बता दिया था. वहीं लोकसभा में उन्होंने गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताकर हंगामा कर दिया था. इस पर इतना बवाल हुआ कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बयान देना पड़ा था.

फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती. प्रज्ञा ठाकुर ने कर्नाटक में ‘हिंदू जागरण’ कार्यक्रम में शिवमोगा के हिंदू कार्यकर्ता हर्षा की हत्या का ज़िक्र करते हुए लोगों से घर में इस्तेमाल होने वाले चाकुओं को तेज़ करने का बयान दे दिया था. प्रज्ञा ठाकुर ने मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले में शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर जो बयान दिया था, भला उसे कोई कैसे भूल सकता है. साध्वी ने कहा था कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था, जिसके कारण आतंकवादी हमले में उसकी मौत हो गई. बाद में अपने इस बयान पर साध्वी ने माफी मांग ली थी.

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इसके अलावा, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने बाबरी ढांचे को ढहाने में शामिल होने का बयान देकर सबको चौंका दिया. प्रज्ञा ने एक टीवी चैनल से कहा था कि बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने का अफसोस नहीं है, ढांचा गिराने पर तो हम गर्व करते हैं. हमारे प्रभु रामजी के मंदिर पर अपशिष्ट पदार्थ थे, उनको हमने हटा दिया. उनके बयान पर मचे शोर के बाद बीजेपी ने प्रज्ञा को चुप रहने तक की सलाह दी थी. पार्टी ने साध्वी को अनुशासित रहने को कहा और चुनाव आयोग ने 72 घंटे के लिए प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था.

इसी तरह से, मध्‍य प्रदेश के सीहोर में एक कार्यक्रम के दौरान धर्मशास्त्र का हवाला देते हुए प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि जब हम किसी क्षत्रिय को क्षत्रिय कहते हैं तो उसे बुरा नहीं लगता है. यदि हम किसी ब्राह्मण को ब्राह्मण कहते हैं तो उसे बुरा नहीं लगता है. यदि हम किसी वैश्य को वैश्य कहते हैं तो उसे बुरा नहीं लगता है, लेकिन यदि हम किसी शुद्र को शुद्र कहते हैं तो वह बुरा मान जाता है. ये सभी हेट स्पीच की सूची में आते हैं लेकिन इतने पर भी न तो कांग्रेस उनके खिलाफ कोर्ट गई और न ही बीजेपी ने उनकी उम्मीदवारी खत्म नहीं की.

अगला वाक्या तो हालही का है जब राजस्थान विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार में मंत्री शांति धारीवाल को गुरू घंटाल करकर संबोधित किया. इसके बाद शांति धारीवाल एवं अन्य सभी विधायकों ने ठहाके लगातार इस बात को खत्म किया. राजनीति में बयानबाजी एवं वाद विवाद कोई नई बात नहीं है. करीब डेढ़ साल पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन औवैसी का भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘याद रखो, हमेशा योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेगा, मोदी हमेशा नहीं रहेगा. हम मुसलमान वक्त के चलते खामोश जरूर हैं लेकिन भूलेंगे नहीं. हम याद रखेंगे, हालात बदलेंगे…तब कौन बचाने आएगा तुमको, जब योगी मठ में चले जाएंगे, मोदी पहाड़ों में चले जाएंगे’. इस बयान पर जमकर बवाल हुआ था.

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शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे धरना प्रदर्शन पर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया था और प्रदर्शन पर बैठे लोगों को घर चले जाने के लिए कहा था. इन सभी बयानों पर किसी को कोई सजा नहीं हुई, न ही उनकी सदन की सदस्यता रद्द हुई है. दो दिन के लिए चुनाव प्रचार पर बैन लगाने की कार्रवाई जरूर की गई थी. योगी जी चुनावी रैलियों में इसी तरह की हेट स्पीच देने के लिए जाने जाते हैं.

अब बात करते हैं राहुल गांधी के उस बयान की, जिसमें उन्होंने मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था. दरअसल, गुजरात कोर्ट ने 2013 के एक मामले में राहुल गांधी को मानहानि का दोषी मानते हुए 15 हजार रुपए का जुर्माना और दो साल की कैद की सजा सुनाई है. हालांकि इधर, राहुल गांधी ने जमानत ले ली तो उधर उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई. राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम पर टिप्पणी की थी. दरअसल राहुल गांधी ने ललित मोदी और नीरव मोदी को लेकर टिप्पणी की थी कि सभी मोदी सरनेम वाले चोर होते हैं.

अगर बयान पर गौर किया जाए तो राहुल गांधी ने किसी का नाम नहीं लिया है. उसके बाद भी उन पर ये कार्रवाई की गई है. जबकि बीजेपी के कई नेताओं ने अपनी सीमाओं से पार निकल कर विपक्ष के नेताओं को जाने क्या क्या कहा है, हेट स्पीच दी है लेकिन सभी इस तरह की कार्रवाई से दूर रहे. कुल मिलाकर देखा जाए तो बीजेपी के इन हथकंडों से यही नजर आता है कि भाजपा राहुल गांधी से डर गई है और यही वजह है कि उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव से दूर रखने की कोशिश की जा रही है.

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