Politalk.News/Jharkhand. बिहार के बाद झारखंड में अब सियासी उथल पुथल तेज हो गई है. हालांकि झारखंड में सत्ता परिवर्तन का कोई भी खेल नहीं होने वाला है. लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर विधायकी जाने की तलवार लटकी हुई है. अगर ऐसा होता है तो फिर उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर चुनाव आयोग ने अपनी राय गुरुवार को राजभवन भेज दी. अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक हेमंत की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा चुनाव आयोग ने की है तो वहीं दिल्ली से रांची पहुंच राज्यपाल रमेश बैस को अंतिम फैसला लेना है. सूत्रों के अनुसार राज्यपाल आयोग के मंतव्य के वैधानिक पहलुओं का अध्ययन करा रहे हैं. संभावना जतायी जा रही है कि चुनाव आयोग के मंतव्य के अनुसार गवर्नर अपना फैसला शुक्रवार को दे सकते हैं. वहीं इस गहमागहमी के बीच सीएम सोरेन ने गुरूवार को पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई और दो टूक अंदाज में कहा कि, ‘संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे?’
सबसे पहले हम आपको बता दी कि आखिर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर इस्तीफे की तलवार लटकी कैसे. दरअसल लाभ के पद के चक्कर में कई सांसद और विधायक कुर्सी गंवा चुके हैं. अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी फंस गई है. संविधान के अनुच्छेद 102 (1) A के मुताबिक कोई भी सांसद या विधायक ऐसे किसी पद पर नहीं रह सकते जहां वेतन, भत्ते या प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से या फिर किसी दूसरी तरह के फायदे मिलते हों. भारतीय जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9 (A) के तहत भी सांसदों और विधायकों को किसी दूसरे मद से लाभ या अन्य पद लेने पर रोक रहती है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडल के सदस्यों के भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराधों के खिलाफ भी कार्रवाई का अधिकार देता है. ठीक ऐसे ही एक मामले में हेमंत सोरेन की विधायकी जाती दिख रही है.
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लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर चुनाव आयोग ने अपनी राय गुरुवार को राजभवन भेज दी. अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक हेमंत की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा चुनाव आयोग ने की है. गुरूवार को अपने दिल्ली दौरे से रांची पहुंचे राज्यपाल रमेश बैस ने राजभवन पहुंच चुनाव आयोग की अनुशंषा पर अधिकारीयों से सलाह मशविरा किया. सूत्रों के मुताबिक राजभवन में कानून विशेषज्ञों को बुलाया है और राज्यपाल विशेषज्ञों के तर्क के आधार पर आयोग के पत्र पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएंगे. इसी बीच गुरूवार दोपहर तक चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार के कुछ मंत्री रांची में सीएम के आवास पर पहुंच गए.
दोपहर होते होते सीएम सोरेन ने अपनी पार्टी के सभी विधायकों को सीएम आवास बुला लिया. झामुमो के साथ-साथ कांग्रेस और राजद के विधायक भी सीएम आवास पहुंचे. पार्टी नेताओं से मुलाकात के बाद हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे. झारखंड के हमारे हजारों मेहनती पुलिसकर्मियों का स्नेह और यहां की जनता का समर्थन ही मेरी ताकत है. हैं, तैयार हम. जय झारखंड.‘ बता दें कि झारखंड सरकार द्वारा बीते दिनों हुई कैबिनेट की मिटिंग में सरकार ने राज्य के पुलिसकर्मियों को क्षतिपूर्ति अवकाश देने की घोषणा की थी. इसके बाद से ही राज्य के पुलिस कर्मियों में उत्साह है. इसी क्रम में गुरुवार को सैंकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. ढ़ोल नगाड़े के साथ पहुंचे इन पुलिसकर्मियों ने सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय को लेकर हेमंत सोरेन का आभार जताया. अबीर लगाकर खुशियां मनाई.
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सियासी गलियारों में चर्चा ये भी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पद पर बने रहने की यह आखिरी रात है. हालांकि सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री पद पर बैठाया जा सकता है. साथ ही आज हुई विधायकों की बैठक में कल्पना सोरेन के नाम पर अंतिम मुहर भी लग गई है.
इसी घटना को सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. इसके अलावा कैबिनेट में आंगनबाड़ी सेविकाओं को 9500 मानदेय देने के फैसले के बाद आंगनबाड़ी सेविकाओं में खुशी का माहौल है. सभी मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत कर रही हैं. बता दें कि जिस समय सीएम सोरेन अपने आवास पर झामुमो के विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं. बैठक के बीच ही भारी संख्या में पुलिसकर्मी उनके आवास पहुंचे और उनका अभिवादन किया. सीएम ने भी हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन स्वीकार किया. इस दौरान मंत्री चंपई सोरेन समेत झामुमो के कई विधायक मौजूद थे. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘झारखंड के लोगों ने झामुमो को बहुत उम्मीद और भरोसे के साथ चुना था, लेकिन जब से वे सत्ता में आए, उन्होंने राज्य के प्राकृतिक संसाधनों को लूटना शुरू कर दिया. आज जो हो रहा है उसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वह खुद सोरेन सरकार है. वह अपने ही कुकर्मों के कारण संकट में है.’
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रघबर दास यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि, ‘देखते हैं कि राज्यपाल क्या कार्रवाई करते हैं. न केवल उनसे उनकी सदस्यता छीन ली जानी चाहिए बल्कि उन्हें भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. उनके खिलाफ पीसी एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्टाचार का मामला है. उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है.’ वहीं हेमंत सोरेन ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘ऐसा लगता है कि बीजेपी नेताओं, एक बीजेपी सांसद और उनके कुछ पपेट पत्रकारों ने खुद आयोग की रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है, जोकि एक सीलबंद लिफाफे में बंद है.’