देश के सबसे तेजतर्रार और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी (Ram Jethmalani) ने अपनी उम्र के 96 वर्ष पूरे करने से पांच दिन पहले आठ सितंबर रविवार को सुबह करीब 7.45 बजे आखिरी सांस ली. उनके पुत्र महेश जेठमलानी (Mahesh Jethmalani) ने यह खबर दी. 14 सितंबर को राम जेठमलानी का 68वां जन्मदिन था. वह पिछले कुछ समय से बीमार थे और एक हफ्ते से बिस्तर से भी नहीं उठ पा रहे थे. वह अपने बागी तेवरों के लिए मशहूर थे. आपातकाल का विरोध करते हुए उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. वह भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन वह सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj), अरुण जेटली (Arun Jaitley) की तरह बड़े नेता नहीं बन पाए.

राम जेठमलानी ने 17 वर्ष की उम्र में LLB की डिग्री हासिल कर ली थी. उसके बाद देश का विभाजन होने से पहले कराची की अदालत में वकालत शुरू की. उस समय वकालत करने के लिए न्यूनतम उम्र 21 वर्ष थी. उम्र कम होने के बावजूद राम जेठमलानी को विशेष रूप से वकालत की अनुमति दी गई थी. उन्होंने 18 वर्ष की उम्र से वकालत शुरू कर दी थी. बाद में उन्होंने कराची के साहनी लॉ कॉलेज से एलएसएम की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद से राम जेठमलानी लगातार वकालत करते रहे. दो साल पहले ही उन्होंने 93 वर्ष की उम्र में वकालत से संन्यास लेने की घोषणा की थी.

जीवन भर तमाम विवादों में घिरे रहे राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को शिकारपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. उनके पिता का नाम भूलचंद गुरमुखदास जेठमलानी (Bhulchand Gurmukhadas Jethmalani) और मां का नाम पार्वती था. वह बचपन से ही मेधावी थे और एक साल मे दो कक्षाएं पास कर लेते थे. उन्होंने पूरी जिंदगी अपने शर्तों पर जी. वकालत शुरू करते ही उन्होंने दुर्गा से पहला विवाह किया था. 1947 में देश का विभाजन होने के बाद उन्होंने रत्ना से दूसरा विवाह कर लिया था. दोनों पत्नियों के साथ उनके चार बेटे-बेटी हैं. दुर्गा से रानी, शोभा और महेश, रत्ना से एक पुत्र जनक है.

वकील के रूप में वह पहली बार 1959 में सुर्खियों में आए थे, जब नानावटी बनाम महाराष्ट्र सरकार के मुकदमे में वकीलों की टीम में शामिल थे. इसमें एक नौसेना कमांडर पर अपनी पत्नी के प्रेमी की हत्या का मुकदमा चलाया गया था. इसके बाद फौजदारी मामलों के बेहतरीन वकील के रूप में राम जेठमलानी की प्रतिष्ठा बढ़ती चली गई. वह उन वकीलों में से एक थे, जिन्होंने 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी के आपातकाल और मीसा कानून का खुलकर विरोध किया था. तब उनके खिलाफ केरल की अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था. उस समय नाना पालखीवाला सहित करीब 300 वकीलों ने मुंबई की अदालत में जेठमलानी के पक्ष में पैरवी की थी. इसके बाद जेठमलानी की गिरफ्तारी पर रोक लग गई थी. इसके बाद जेठमलानी कुछ समय के लिए कनाडा चले गए थे. उन्होंने वहीं से आपात काल के खिलाफ संघर्ष जारी रखा. आपातकाल खत्म होने के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में वह मुंबई से लोकसभा सांसद चुने गए थे.

यह भी पढ़ें: गत एक साल में एक प्रधानमंत्री और 7 मुख्यमंत्रियों ने दुनिया को किया अलविदा

जेठमलानी के साथ काम करने वाले वकील बताते हैं कि वह मानवाधिकारों के कट्टर समर्थक थे. उन्होंने ऐसे कई मुकदमे लड़े, जिनमें आरोपियों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में ऱखा गया था. वह बहुत महंगे वकील थे, लेकिन कई मुकदमे उन्होंने फीस लिए बगैर लड़े थे. जिन विवादित मामलों में जेठमलानी ने आरोपियों की पैरवी की, उनमें 1980 के दशक का मामला प्रमुख है, जिसमें पंजाब में आतंकवाद के दौरान संत लोंगोवाल के हिरासत में ले लिया गया था. बाद में उन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या के आरोपियों केहर सिंह और बलबीर सिंह के पक्ष में भी मुकदमा लड़ा और इनमें से बलबीर को बरी करवा दिया था. जब बलवीर सिंह के बेटे राजेन्द्र सिंह को सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था, तब जेठमलानी ने उसे अपने दफ्तर में नौकरी पर रख लिया था. 2011 में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में राजीव गांधी की हत्या के आरोपियों का भी बचाव किया था. इसके अलावा कई मुश्किल और विवादित मामले में वह अदालत में पेश होते रहे.

गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ (Sohrabuddin Sheikh encounter Case) मामले में वह अमित शाह के वकील भी रहे. शाह को अदालत ने आरोपों से बरी कर दिया था. इससे पहले शेयर बाजार घोटाले के आरोपियों हर्षद मेहता और केतन पारेख के पक्ष में भी उन्होंने वकालत की थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) रिश्वतखोरी मामले में वह नरसिंहराव के खिलाफ अदालत में पेश हुए थे. अंबानी बंधुओं के गैस आपूर्ति संबंधी विवाद में वह अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेचरल रिसोर्सेस लि. के वकील रहे. जेसिका लाल हत्याकांड मामले के आरोपी कांग्रेस नेता मनु शर्मा के पक्ष में भी उन्होंने ने वकालत की थी.

जैन हवाला मामले में लालकृष्ण आडवाणी, आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले (2G spectrum scam) में कनीमोझी, चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव और खनन घोटाले में बीएस येदियुरप्पा के वकील राम जेठमलानी थे. उन विवादित मामलों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, जिनमें जेठमलानी ने आरोपियों की पैरवी की थी. यहां तक कि संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरु के पक्ष में भी जेठमलानी ने वकालत की थी. जब बोफोर्स मामला सामने आया था, तब राम जेठमलानी ने तत्कालीन राजीव गांधी की सरकार से दस सवाल रोज पूछने का सिलसिला शुरू कर दिया था. इस मामले में उन्होंने हिंदूजा बंधुओं का बचाव भी किया था. 1993 में मुंबई बम विस्फोट का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, तब जेठमलानी ने संजय दत्त का बचाव किया था. वह मुंबई के माफिया डॉन हाजी मस्तान के भी वकील थे. 2013 में जोधपुर में आसाराम के खिलाफ रेप का मुकदमा चला, तब आसाराम के वकील जेठमलानी थे.

राम जेठमलानी 1999-2000 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) सरकार में शहरी विकास एवं कानून मंत्री थे. हद से ज्यादा बेबाक होने के कारण वह ज्यादा समय तक सरकार में नहीं रह पाए क्योंकि वाजपेयी सरकार के दौरान उन्होंने कोई विवादित बयान दे दिया था, जिसके बाद उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया था. इसके बाद उन्होंने 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. उन्होंने अपनी नई राजनीतिक पार्टी भी बना ली थी. सात मई 2010 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था. इसके बाद उन्हें फिर भाजपा में शामिल कर लिया गया था और वह राजस्थान से राज्यसभा सदस्य चुने गए थे.

2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में काले धन (Black Money) के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके बाद मोदी सरकार को SIT का गठन करना पड़ा था. सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में वह अमित शाह को बचा चुके थे, लेकिन सरकार बनने के बाद वह मोदी और शाह के विरोधी हो गए. उस समय उन्होंने इंडिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में कहा था, मोदी सरकार को हटाना उनका लक्ष्य है. जब वह भाजपा नेताओं पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाने लगे, तब उन्हें एक बार फिर भाजपा से निकाल दिया गया. इस पर उन्होंने आडवाणी, अरुण जेटली सहित भाजपा नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करते हुए पार्टी से निष्कासन रद्द करने की मांग की थी. 2016 में राजद की मदद से वह राज्यसभा सदस्य बने. मानहानि मुकदमे में 2018 में भाजपा नेताओं ने जेठमलानी से माफी मांग ली थी. जब अरुण जेटली ने अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, तब जेठमलानी ने केजरीवाल के पक्ष में पैरवी की थी.

Leave a Reply