अंतिम दिन तक अखिलेश के प्रचार में न आने से बढ़ी हैरानी तो रामपुर में योगी ने आजम को सुनाई खरी-खरी

लोकसभा उपचुनाव का थमा चुनावी शोर, रामपुर सीट पर आजम खान और आजमगढ़ सीट पर मुलायम परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर, अखिलेश ने बनाई चुनाव प्रचार से दूरी, जबकि सीएम योगी ने ने रविवार को जहां आजमगढ़ में जबरदस्त प्रचार प्रसार किया तो वहीं मंगलवार को रामपुर में की कई जनसभाएं, आजम खान पर निशाना साधते हुए योगी ने कहा- वे उस समय कहते थे कि जेल ही जन्‍नत है, आज कहते हैं जेल नरक थी, मैं जानता था वे लोग इतनी जल्‍दी रंग बदलते हैं कि गिरगिट भी शरमा जाए, रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं जा रही है

थमा चुनावी शोर, अब प्रचार होगा डोर टू डोर
थमा चुनावी शोर, अब प्रचार होगा डोर टू डोर

Politalks.News/UP/Loksabha By-Election. उत्तरप्रदेश की दो रामपुर और आजमगढ़ संसदीय सीटों पर 23 जून को होने वाले लोकसभा उपचुनाव के प्रचार का शोर आज यानी मंगलवार शाम 5 बजे थम गया है. अब कल देर रात तक घर घर जाकर बिना शोर शराबे के वोट देने की अपील कर सकेंगे प्रत्याशी. आपको बता दें, सूबे की ये दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) की रही हैं. जिसके चलते रामपुर सीट पर आजम खान और आजमगढ़ सीट पर मुलायम परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यहां सबसे बड़ी बात यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक बार फिर भी दोनों ही सीटों पर प्रचार के लिए नहीं गए हैं जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को जहां आजमगढ़ में जबरदस्त प्रचार प्रसार किया तो वहीं प्रचार के अंतिम दिन आज रामपुर में कई जनसभाएं कीं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को रामपुर में भाजपा प्रत्‍याशी घनश्‍याम लोधी के समर्थन में अलग-अलग स्‍थानों पर जनसभाएं कीं. विलासपुर के बाद मिलक में जनसभा को सम्‍बोधित करते हुए सीएम योगी ने सपा नेता आजम खान पर जमकर निशाना साधा. योगी ने कहा कि, कोरोना काल में हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया, जो जेल में थे, उनको भी फ्री में इलाज मिला. वे उस समय कहते थे कि जेल ही जन्‍नत है, आज कहते हैं जेल नरक थी. मैं जानता था वे लोग इतनी जल्‍दी रंग बदलते हैं कि गिरगिट भी शरमा जाए, रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं जा रही है.’

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रामपुर सीट पर प्रचार प्रसार के दौरान सीएम योगी ने कहा कि हम बचपन में सुनते थे रामपुर का चाकू, हापुड़ का पापड़, आगरा का पेठा, अलीगढ़ के ताले, ये सब उत्‍तर प्रदेश के इन जिलों की पहचान थे. रामपुर का चाकू कमाल का था लेकिन यह सपाइयों के हाथ में लगा तो गरीबों की जमीनों पर डकैती डालने लगा. भाजपा की सरकार बनी तो ये जमीन भू-माफियाओं से लेकर गरीबों को वापस दिलाई गई. योगी ने कहा कि गरीब, गरीब होता है, किसान किसान होता है, युवा-युवा होता है और महिलाएं, महिलाएं होती हैं. उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. सीएम योगी ने कहा कि हमने रामपुर के चाकू का इस्‍तेमाल यहां के गरीबों के सम्‍मान और गरिमा के लिए किया है, हम रामपुर की धरोहर से खिलवाड़ नहीं होने देंगे.

आपको बता दें, रामपुर लोकसभा का यह उपचुनाव ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान का गढ़ माना जाता है और आजम के सांसद का पद छोड़ने से ही यह सीट खाली हुई है. हाल ही में 27 महीनों बाद जेल से बाहर आए आजम खान और अखिलेश यादव के बीच यूं तो अब सब ठीक हो गया बताते हैं लेकिन सियासी जानकारों की मानें तो आजम खान को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है. हालांकि इसका फैसला रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव के 26 जून को आने वाले परिणाम के बाद होगा. अगर रामपुर से समाजवादी पार्टी जीतती है तब तो हो सकता है कि आजम खान कुछ दिन और सपा की राजनीति करें लेकिन अगर सपा का उम्मीदवार नहीं जीतता है तो यह तय हो जाएगा कि आजम खान सपा से अलग होंगे. क्योंकि रामपुर से सपा के उम्मीदवार के नहीं जीतने का मतलब ही होगा कि आजम खान ने उसकी जीत के लिए मेहनत नहीं की.

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वहीं दूसरी तरफ आजमगढ़ सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को चुनाव मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है. यादव-मुस्लिम, दलित बहुल लोकसभा क्षेत्र में गुड्डू जमाली सपा को नुकसान पहुंचा रहे हैं .जिसके चलते आजमगढ़ में सपा मुखिया अखिलेश यादव को छोड़कर पूरा सैफई परिवार चुनाव संभालने को उतरा हुआ है. सहयोगी दल के नेता भी सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के पक्ष में यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं, इसके बाद भी आजमगढ़ को लेकर सपा की चिंता खत्म नहीं हो रही है.

इसकी मुख्य वजह है, बसपा मुखिया मायावती का खेला गया सियासी दांव. आजमगढ़ सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भोजपुरी फिल्म के अभिनेता दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’ को चुनाव मैदान में उतार कर यादव दांव खेला. तो बसपा मुखिया मायावती ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के रूप में मुस्लिम कार्ड खेलकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया. अब सपा को यहां अपने यादव और मुस्लिम कोर वोटबैंक को संभालने की चिंता है. सपा के यादव नेताओं को भाजपा ने अपने साथ मिलाकर यहां सपा मुखिया अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के खिलाफ जबरदस्त चक्रव्यूह रच हुई है. जिसे देखते हुए समूचा सैफई परिवार आजमगढ़ में जुटा हुआ है

प्रोफेसर रामगोपाल यादव यहां आजमगढ़ के पार्टी कार्यालय में जमे हैं. जबकि सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के चचेरे भाई और फिरोजाबाद के पूर्व सांसद अक्षय यादव जनसंपर्क कर रहे हैं. वही धर्मेंद्र यादव मजार से लेकर शिवमंदिर तक आस्था दर्शाते हुए लोगों से मिल रहे हैं और छोटी छोटी सभाओं में पहुंचकर वह खुद बोलने के बजाय स्थानीय नेताओं, जातीय क्षत्रपों की ओर माइक बढ़ा रहे हैं. कुल मिलकर आजमगढ़ में सपा नेता हर किसी से मिलकर यहां यह संदेश देने में जुटे हैं कि आजमगढ़ से उनका उनका नाता सैफई जितना ही खास है.

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने आजमगढ़ के लोगों से गुड्डू जमाली को जिताने की अपील करते हुए कहा है कि गुड्डू जमाली कई बार विधायक रहे हैं और उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी धर्मों के लोगों की मदद की है. दूसरी पार्टियों में ऐसे उम्मीदवार इस समय में कहीं नजर नहीं आते. बता दें, मुस्लिम समाज के बीच गुड्डू जमील के पक्ष में माहौल बनने से रोकने के लिए ही अखिलेश यादव ने आजम खान की आजमगढ़ में चुनावी सभाएं कराई लेकिन वह खुद अभी तक आजमगढ़ में चुनाव करने नहीं पहुंचे हैं. जिसे लेकर आजमगढ़ में चुनाव प्रचार में जुटे सपा नेता ओर पदाधिकारी भी हैरान हैं.

इन नेताओं के अनुसार, आजमगढ़ में अब तक के 19 चुनावों में 13 बार यादव बिरादरी के उम्मीदवार की जीत हुई है. वर्ष 1978 और 2009 के उपचुनाव में यहां से मुस्लिम चेहरे को ही नुमाइंदगी मिली. ऐसे में तीसरे चुनाव में भी ‘कौम की रहनुमाई’ की सोच से आजमगढ़ आगे बढ़ता है या नहीं, चुनाव की धुरी इसी पर टिकी है. इसके बाद भी अखिलेश यादव अभी तक यहां चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे हैं, जबकि उनके इस्तीफ़ा देने के कारण ही इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को यहां चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव को निशाना बनाया था. जिसके बाद अखिलेश यादव के यहां चुनाव प्रचार ना करने आने को लेकर सवाल उठा तो सपा नेताओं ने कहा कि अखिलेश यादव इस आत्मविश्वास में हैं कि आजमगढ़ और रामपुर की दोनों सीटें वह जीत रहे हैं. इसलिए अखिलेश यादव आजमगढ़ और रामपुर प्रचार करने नहीं आए हैं. वहीं सपा नेताओं के इस दावे के इतर सैफई परिवार के सभी लोग समूचे आजमगढ़ में मुस्लिम समाज के लोगों को बसपा और गुड्डू जमाली के बहकावे में ना आने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि इन्हें पता है कि दलित और मुस्लिम समाज के वोटों का बटवारा धर्मेंद्र यादव की राह को मुश्किल करेंगा. इसलिए अब चुनावों के अंतिम दिनों में सपा नेता अपने एमवाई समीकरण को एकजुट रखने पर जोर दे रहे हैं. ताकि बसपा मुखिया मायावती की चुनावी सियासत सपा को ज्यादा नुकसान ना पहुंचा सके.

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वहीं सपा नेताओं के इस दावे के इतर सैफई परिवार के सभी लोग समूचे आजमगढ़ में मुस्लिम समाज के लोगों को बसपा और गुड्डू जमाली के बहकावे में ना आने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि इन्हें पता है कि दलित और मुस्लिम समाज के वोटों का बटवारा धर्मेंद्र यादव की राह को मुश्किल करेंगा. इसलिए अब चुनावों के अंतिम दिनों में सपा नेता अपने एमवाई समीकरण को एकजुट रखने पर जोर दे रहे हैं. ताकि बसपा मुखिया मायावती की चुनावी सियासत सपा को ज्यादा नुकसान ना पहुंचा सके.

वहीं सपा नेताओं के इस दावे के इतर सैफई परिवार के सभी लोग समूचे आजमगढ़ में मुस्लिम समाज के लोगों को बसपा और गुड्डू जमाली के बहकावे में ना आने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि इन्हें पता है कि दलित और मुस्लिम समाज के वोटों का बटवारा धर्मेंद्र यादव की राह को मुश्किल करेंगा. इसलिए अब चुनावों के अंतिम दिनों में सपा नेता अपने एमवाई समीकरण को एकजुट रखने पर जोर दे रहे हैं. ताकि बसपा मुखिया मायावती की चुनावी सियासत सपा को ज्यादा नुकसान ना पहुंचा सके.

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