सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के पीछे विपक्षी दलों की राजनीति, जदयू कर सकती है समर्थन

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित 13 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा के नाम पर जताई सहमति, टीआरएस, बीजेडी, आप, शिअद और वाईएसआरसीपी ने बनाई बैठक से दुरी, यशवंत सिन्हा दो बार केंद्रीय वित्त मंत्री और विदेश मंत्री भी रहे

यशवंत सिन्हा पर बनेगी आम सहमति?
यशवंत सिन्हा पर बनेगी आम सहमति?

Politalks.News/PresidentElection/YahswantSinha. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित 13 विपक्षी दलों ने मंगलवार को बैठक के बाद राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति जताई है. विपक्षी दलों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए सर्वसम्मति से विपक्षी दलों का उम्मीदवार चुना गया है. राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार पर फैसला करने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई बैठक के लिए संसद भवन में एकत्र हुए विपक्षी नेताओं ने सिन्हा के नाम पर सहमति जताई. सिन्हा का नाम पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फारूक अब्दुल्ला के राष्ट्रपति पद के चुनाव की दौड़ से बाहर होने के बाद सामने आया.

आपको बता दें, इस बैठक में कांग्रेस, राकांपा, तृणमूल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में शामिल होने वालों में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, द्रमुक के तिरुचि शिवा, माकपा के सीताराम येचुरी और भाकपा के डी राजा शामिल थे.

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वहीं पांच क्षेत्रीय दल जिनमें तेलगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बीजु जनता दल (बीजेडी), आम आदमी पार्टी (आप), शिरोमण अकाली दल (शिअद) और युवाजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) इस बैठक से दूर रहे. आपको बता दें, इन पार्टियों को किसी भी धड़े में नहीं माना जाता. ये पार्टियां इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई 15 जून की बैठक से भी दूर रही थीं.

वहीं इस बैठक में शामिल हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम सभी विपक्षी दलों ने मिलकर फैसला किया है कि राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा हमारे उम्मीदवार होंगे. रमेश ने कहा कि यशवंत सिन्हा एक योग्य प्रत्याशी हैं. वह भारत की धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक तानेबाने को मानते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमें दुख है कि मोदी सरकार राष्ट्रपति उम्मीदवार पर एक राय बनाने के लिए गंभीर चर्चा नहीं कर सकी. यहां आपको बता दें कि यशवंत सिन्हा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने की चर्चा तभी से शुरू हो गई थी जब सिन्हा ने ममता बनर्जी को धन्यवाद देते हुए पार्टी छोड़ने सम्बंधित एक ट्वीट आज सुबह किया था.

गौरतलब है कि वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा दो बार केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके हैं. पहली बार वह 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में और फिर अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार में वित्त मंत्री थे. वह वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री भी रहे. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संयुक्त विपक्ष का बयान पढ़ते हुये कहा कि हमें खेद है कि मोदी सरकार ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर आम सहमति बनाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया.

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जेडीयू का भी मिल सकता है समर्थन
सियासी जानकारों का कहना है कि यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर इसलिए भी लगाई गई क्योंकि विपक्ष जिनका भी नाम प्रस्तावित कर रहा था, वो ही उम्मीदवारी से इनकार कर रहे थे. ऐसे में किसी ऐसे चेहरे की जरूरत थी जो कि तैयार भी हो और उसपर विवाद भी न हो. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि यशवंत सिन्हा का समर्थन जेडीयू भी कर सकती है क्योंकि वह बिहार से आते हैं. दो बार ऐसा हो चुका है कि नीतीश कुमार ने लीक से हटकर उम्मीदवार का समर्थन किया है. एनडीए का हिस्सा होते हुए भी नीतीश ने प्रणव मुखर्जी का समर्थन किया था. वहीं बात करें पिछले चुनाव की तो नीतीश कुमार ने रामनाथ कोविंद का समर्थन किया जबकि वह उस समय बिहार में आरजेडी के साथ महागठबंधन का हिस्सा थे.

वहीं दूसरी तरफ आज भाजपा ने भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने के लिए संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी. हालांकि अभी कोई नाम सामने नहीं आया है. इससे पहले एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद पर एक राय बनाने के लिए राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा को विपक्ष से बातचीत करने की जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि सत्ता और विपक्ष में इस पर एक राय नहीं बन पाई है.

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