Politalks.News/Rajasthan/REET. बीजेपी से राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने REET 2021 धांधली मामले में गहलोत सरकार में मंत्री सुभाष गर्ग पर अहम सूत्रधार होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि ज्यादातर घपलेबाज राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े हुए हैं. इसी स्टडी सर्किल को जनता के खून पसीने की कमाई की राशि का अपरोक्ष रूप से फाइनेंस किया जाता है. इसके साथ ही सांसद मीणा ने एक बार फिर से सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि मंत्री और सीएमओ की भूमिका को देखते हुए सीबीआई जांच ही एकमात्र विकल्प है. वहीं मुख्यमंत्री गहलोत के कथन को कोट करते हुए डॉ किरोड़ी मीणा ने कहा कि जब गहलोत खुद कहते हैं कि हर गलती कीमत मांगती है तो मुख्यमंत्री को अपनी गलती स्वीकारते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए.
सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राजस्थान में राजीव गांधी स्ट्डी सर्किल का गठन कांग्रेस विचारधारा के लोगों ने कर रखा है. इसके संरक्षक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं तथा नेशनल कोऑर्डिनेटर मंत्री डा0 सुभाष गर्ग हैं. ये कांग्रेस का संस्थान गांधीयन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज एंड गुड गवर्नेंस छात्र संगठन से जुडा है. जिसके लिए सरकार ने इस वर्ष 100 करोड आवंटित किये है, जिसकी न तो अधिसूचना जारी हुई न ही कोई अध्यादेश लाया गया ना ही एक्ट में प्रावधान लाया गया. इस प्रकार कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सरकार का बजट जनता का धन एक पार्टी को मजबूत किये जाने में व्यय किया जा रहा है. इसके मुखिया प्रो0 बी.एम. शर्मा है जो प्रदेश में गांधी की विचारधारा को आगे बढाने का काम करते है जिसको सरकार करोडो का धन उपलब्ध करा रही है.
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डॉ मीणा ने आगे कहा कि इस दृष्टि से राजस्थान में पूर्व से ही IDS का भवन बना हुआ है वह धूल फांक रहा है. यही नहीं इसमें जिला कोऑर्डिनेटर एवं पर्यवेक्षक सुभाष गर्ग के कहने से लगाये गये, जो राजीव गांधी स्ट्डी सर्किल के कोऑर्डिनेटर है. इसी प्रकार जिला कोऑर्डिनेटर एवं पर्यवेक्षक लगाते समय अधिकांश महाविद्यालय के प्राचार्यो के अधीन कार्यरत कनिष्ठ संकाय सदस्यों को जिला कोऑर्डिनेटर या पर्यवेक्षक महाविद्यालय के प्राचार्यो के ऊपर लगा दिये. कनिष्ठ को वरिष्ठ के ऊपर पर्यवेक्षक लगाया जाना नियम विरूद्ध है. सांसद मीणा ने कहा कि सरकार लेवल द्वितीय की परीक्षा में पेपर लीक होना सरकार स्वीकार कर रही है जबकि पार्ट-प्रथम में नही, पार्ट-प्रथम में भी पेपर लीक हुआ है.
आरोप लगाए, कहां-कहां कैसे-कैसे घपला:
गडबडी नं. 1
परीक्षा केन्द्र में वहीं कार्यरत शिक्षकों को आब्जर्वर बनाना– क्रमांक 83 और 84 पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में ऑब्जर्वर वहीं के शिक्षक लगा दिए गए, जबकि आब्जर्वर परीक्षा केन्द्र से असंबंधित (दूसरी संस्था के) वरिष्ठ अधिकारी होने चाहिए.
गडबडी नं. 2
Co-Coordinator द्वारा स्वयं के सगे रिश्तेदारों के कॉलेज को परीक्षा केन्द्र बनानाः– राजीव गांधी स्ट्डी सर्किल के संभाग समन्वयक डा0 सुभाष गर्ग की निकट परिचित भूगोल की सह आचार्य सुनीता पचोरी को अजमेर जिले का Co- Coordinator बनाया गया, उन्होने स्वयं के घर की संस्था क्रमांक 106 सुनीता आईटीआई को परीक्षा केन्द्र बनाया.
गडबडी नं. 3
अपने सगे रिश्तेदारों के कॉलेज में प्रेक्षक नियुक्त करना – क्रमांक 110 टाक शिक्षा निकेतन टीटी कॉलेज में डा. राकेश टाक को आर्ब्जवर बनाया गया जबकि यह कॉलेज उन्हीं की बेटी का है.
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पाराशर का पुराना नाता है परीक्षाओं से:
आपको बता दें, 2012 में टेट की परीक्षा हुई थी उस समय भी प्रदीप पाराशर की भूमिका संदिग्ध थी. उस समय भी बोर्ड अध्यक्ष डा0 सुभाष गर्ग थे और तत्समय भी सुभाष गर्ग एवं प्रदीप पाराशर ने कलकत्ता की फर्म से ही पेपर प्रिन्ट करवाकर लीक किये थे, जिसमें भी करोडो का घोटाला हुआ था उसकी जांच कराई जाये जिसमें करीबन 84 करोड राशि का डा0 सुभाष गर्ग को दोषी पाया था. किन्तु वह प्रकरण दबा दिया गया. सरकार उस घोटाले को उजागर करे जो तत्समय सुभाष गर्ग द्वारा किया गया था तथा इस समय सुभाष गर्ग की पुनः संलिप्तता है, इन्हीं के पहल पर अब कलकत्ता की फर्म से पेपर प्रिन्ट करवाये.
सांसद किरोड़ी मीणा ने मांग करते हुए कहा कि इस प्रकार बोर्ड ने परीक्षा की गोपनीयता भंग की है. सुभाष गर्ग को बर्खास्त कर पूछताछ करे. परीक्षा पेपर सुभाष गर्ग के मार्गदर्शन में योजनाबद्ध तरीके से पूरे राज्यभर में लीक किए गये है. सुभाष गर्ग के कार्यकाल में पैरामेडीकल कॉर्सेज में प्रवेश हेतु ली गई राशि, सभी परीक्षाओं में की गई भारी घोटाले की जांच भी की जानी चाहिए. प्रदीप पाराशर की पत्नी राजस्थान सिंडीकेट की भी मेंबर है.
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सीकर के कोचिंग सेंटर पर वसूले लाखों रुपए:
पेपर लीक होने के बावजूद भी राज्य सरकार इसे इसलिए निरस्त नहीं कर रही कि पेपर सेटिंग के लिए बोर्ड अध्यक्ष को एक बडे नेता द्वारा 2000 प्रश्न दिये गये थे, जिनमें से ही पेपर बनाकर देना था, प्रिन्ट भी बडे नेता के निर्देश पर तय हुआ, इसलिए अकेले सीकर क्षेत्र में करीब 3000 अभ्यार्थियों (प्रत्येक से 10 लाख रू0) लेकर इन्ही 2000 प्रश्नों को हल करने हेतु दिया गया, अगर परीक्षा रद्द हो जाती है तो वहां लोग सडक पर आकर सरकार से पैसे देने की मांग करेंगे. यही सरकार के सामने दुविधा बनी हुई है और इसी प्रकार राज्य के अन्य जिलों में लोग पैसे मांगेने की मांग करेंगे.
सचिन पायलट की चुप्पी ठीक नहीं:
डॉक्टर किरोड़ी मीणा ने कहा कि रीट मामले में सचिन पायलट का चुप रहना ठीक नहीं है. जब भी किसी तरह की गड़बड़ियां होती है पायलट अपने बयान देते हैं. उनके संबंध 10 जनपथ से भी है. ऐसे में सचिन पायलट को युवाओं के लिए आगे आना चाहिए.