एक दुखद संयोग है कि पिछले एक साल में देश के लगभग 10-12 बड़े नेताओं ने दुनिया को अलविदा कह दिया, जिनमे एक प्रधानमंत्री, 7 मुख्यमंत्री और कुछ केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. शनिवार को पूर्व वित्तमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का 66 वर्ष की अवस्था में दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन (Death) हो गया. वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. 9 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ के बाद अरुण जेटली को एम्स में भर्ती कराया गया था. उनका अंतिम संस्कार रविवार को दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया जाएगा.

यह एक दुखद संयोग ही है कि पिछले एक साल में हमने एक प्रधानमंत्री, 7 मुख्यमंत्री और कुछ केंद्रीय मंत्री रहे चुके शख्सियतों को खो दिया है. अगस्त, 2018 से लेकर अगस्त, 2019 तक में देश के तकरीबन दर्जन भर दिग्गज नेताओं ने दुनिया को अलविदा कह दिया. इनमें से ज्यादातर देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों यानी बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े नेता थे और सभी का अपने-अपने समय का इतिहास रहा है. इनमें सबसे बड़ा नाम भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का है, जिनका निधन 16 अगस्त, 2018 को दिल्ली के एम्स में ही हुआ था. इसके बाद एक के बाद एक नारायण दत्त तिवारी (Naranyan Dutt Tiwari), मदन लाल खुराना (Naranyan Dutt Tiwari), मदनलाल सैनी (Madan Lal Saini), मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar), शीला दीक्षित (Sheila Dixit), जयपाल रेड्डी (Jaipal Reddy), सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj), जगन्नाथ मिश्रा (Jagannath Mishra), बाबू लाल गौर (Babu Lal Gaur) और अरुण जेटली (Arun Jaitley) जैसे दिग्गज नेताओं ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

इसी अगस्त के महीने में ही बीजेपी के दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री क्रमश: सुषमा स्वराज, बाबूलाल गौर और अरुण जेटली का निधन हुआ. सुषमा स्वराज बीजेपी और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रही थीं जबकि मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले बाबू लाल गौर ने मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर एक इतिहास रचा था. अरुण जेटली बीजेपी की केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे. तीनों दिग्गजों का अपने-अपने समय का इतिहास रहा है.

वहीं इसी अगस्त के महीने में ही बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्र का निधन 19 अगस्त को दिल्ली के द्वारका में हुआ था. जगन्नाथ मिश्र पहले कांग्रेस पार्टी में रहे बाद में उन्होंने खुद की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का गठन किया.

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जुलाई 2019 में कांग्रेस के दो बड़े नेता शीला दीक्षित और जयपाल रेड्डी दुनिया को अलविदा कहा. 20 जुलाई को हार्टअटैक के बाद दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली. शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल भी बनाया गया था.

इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयपाल रेड्डी का पिछले महीने 28 जुलाई को हैदराबाद में निधन हो गया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी पिछले कई दिनों से खराब स्वास्थ्य की समस्या से गुजर रहे थे. गौरतलब है कि रेड्डी के निधन पर राज्यसभा में श्रद्धांजली देने के दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु रो पड़े थे.

वहीं, इससे पहले 17 मार्च 2019 को बीजेपी के दिग्गज नेता और गोवा के 3 बार मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर का निधन हो गया था. पर्रिकर मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल में रक्षा मंत्री रहे, रक्षा मंत्री बनने के लिये उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री रहते हुए भारतीय सेना ने दो बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था. 2015 में म्यांमार की सीमा में भारतीय पैराकमांडो द्वारा घुसकर उग्रवादियों को मार गिराना और नवंबर 2017 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक. उनके समय के कठोर निर्णय और उनके काम के प्रति लगन ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया है.

राजस्थान से बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राजस्थान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन लाल सैनी का 24 जून 2018 को हुआ था. सैनी को पार्टी के पूर्ण समर्पित सिपाही और बेहद सादगी भरा जीवन जीने के लिए ताड़ किया जाता है.

अक्टूबर 2018 में एक बीजेपी और एक कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेताओं ने दुनिया से विदाई ली. 27 अक्टूबर 2018 को दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे मदन लाल खुराना का निधन हुआ था. खुराना राजस्थान के राज्यपाल भी रहे थे. मदन लाल खुराना अटल बिहारी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके थे.

कांग्रेस के बड़े नेता नारायण दत्त तिवारी ने 18 अक्टूबर 2018 को अंतिम सांस ली. कांग्रेस के दिग्गजों में नारायण दत्त तिवारी का नाम एक बड़ा नाम था. उनके नाम जो रिकॉर्ड है वो शायद उन्हीं के नाम रहेगा, वो भारत के एक मात्र नेता थे जो दो राज्यों उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के एक साथ मुख्यमंत्री रहे, इस लिहाज से उन्होंने एक इतिहास रचा था.

यह भी एक दुखद संयोग ही है कि एक नेता का मुख्यमंत्री (मनोहर पर्रिकर) रहते और 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों (सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित, नारायण दत्त तिवारी, जगन्नाथ मिश्र, बाबू लाल गौर, मदन लाल खुराना) का एक साल से भी कम समय में निधन हो गया और सभी अपनी-अपनी पार्टी के दिग्गजों में शुमार थे.

इसमें भी अजब संयोग दिल्ली का है, एक साल के अंदर दिल्ली के चार बड़े नेताओं का निधन हुआ है. इनमें मदन लाल खुराना, शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली शामिल हैं. जिसमें से मदन लाल खुराना, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित तीनों नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि अरुण जेटली 1999 से 2012 तक दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रहे हैं. ये चारों ही केंद्रीय मंत्री रहे चुके थे और इन चारों नेताओं का राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में भी दखल था.

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