गहलोत समर्थक नेताओं पर कार्रवाई में देरी क्यों? किसके दबाव में विधायकों ने दिए थे इस्तीफे? – पायलट

हमें अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा, अगर इन विधायकों ने इस्तीफे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था? जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में देरी क्यों- "सचिन पायलट

sachin pilot interview
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Sachin Pilot on Rajasthan Political Issues. बीते साल 25 सितंबर को राजस्थान कांग्रेस में हुए हाई वोल्टेज सियासी ड्रामे के बाद आलाकमान द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी तीन नेताओं को नोटिस तो दिए लेकिन उन पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं की गई. यह सवाल राजनीति में रुचि रखने वाले हर शख्स के जहन में तो है ही, वहीं प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी आलाकमान से यही जानना चाहते हैं. हाल ही में न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में पायलट ने खुलकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है. सचिन पायलट ने बीती 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के मामले में जिम्मेदार तीन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर सवाल उठाए हैं. पायलट ने ​गहलोत समर्थक विधायकों पर इस्तीफों के लिए दबाव बनाने की पार्टी स्तर पर जांच कर दबाव में इस्तीफे करवाने के पीछे की वजह की जांच करने की मांग की है.

पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे. हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और बाकी को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वे विधाय​कों ने अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे. यह एक कारण था, जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए. पायलट ने कहा ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे. अब अगर इन विधायकों ने इस्तीफे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था, यह एक ऐसा विषय है, जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है.

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सचिन पायलट ने कहा कि, ‘पिछले साल जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की अवहेलना करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में बहुत ज्यादा देरी हो रही है. हमें अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा. जिन नेताओं को नोटिस दिए गए थे उसमें कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस लीडरशिप ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में फैसला लेने में बहुत ज्यादा देरी हो रही है. विधायक दल की बैठक तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी और ऐसे में बैठक नहीं होना पार्टी के निर्देश की अवहेलना थी.’

जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में देरी क्यों, इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने आगे कहा कि, ‘विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी, यह बैठक नहीं हो सकी. बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई और जो लोग बैठक नहीं होने देने और विधायक दल की पैरेलल बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे, उन्हें अनुशासनहीनता के लिए नोटिस दिए गए थे. मुझे मीडिया से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए हैं. लेकिन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. मुझे लगता है कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि निर्णय लेने में इतनी ज्यादा देरी क्यों हो रही है?’

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सचिन पायलट ने कहा कि हम बहुत जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, अब तो बजट भी पेश हो चुका है. पार्टी नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बारे में जो भी फैसला करना है, वो होना चाहिए क्योंकि इस साल के आखिर में चुनाव है. अगर हर पांच साल पर सरकार बदलने की 25 साल से चली आर रही परंपरा बदलनी है और फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है तो जल्द फैसला करना होगा.

आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के साथ मैदान में उतर चुकी है. ऐसे में कांग्रेस की तैयारियों के सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में खुद आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा ताकि हम लड़ाई के लिए तैयार रहें.

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