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बिहार की पटना साहिब संसदीय सीट. गंगा, पुनपुन और गंडक नदियों का संगम और त्रिवेणी घाट पर बसा यह शहर. लोकसभा चुनावों के अंतिम दौर में यहां राजनीति जोर पकड़ने लगी है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता रविशंकर प्रसाद को फिर से मैदान में उतारा है. रविशंकर यहां से सीटिंग सांसद भी हैं. पिछले तीन चुनाव से यहां बीजेपी का कमल खिल रहा है. रविशंकर से पहले यहां की जनता शत्रुध्न सिन्हा की आवाज भी सुन चुके हैं. बॉलीवुड एक्टर शत्रुध्न सिन्हा यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं. लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजीत यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. इस बार महागठबंधन ने कुशवाहा कार्ड से बीजेपी को घेरने की कोशिश की है. राजद कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल है.

शुत्रुघ्न सिन्हा रह चुके दो बार सांसद

अंशुल की ताकत यादव, मुसलमान, कुशवाहा का वोट बैंक है, जबकि रविशंकर के पास वैश्यों का बड़ा वोट बैंक होने के साथ ही सवर्णों का भी वोट बैंक है. वहीं बीजेपी के रविशंकर प्रसाद केवल और केवल मोदी नाम पर यहां से चुनावी मैदान में हैं. असल में यहां चेहरा कोई भी हो, वोट मोदी के नाम से जाता है. 2009 और 2014 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते शुत्रुघ्न सिन्हा ने टिकट कटने पर 2019 का आम चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा लेकिन उन्हें रविशंकर प्रसाद ने करीब दोगुने मार्जिन से हराया था.

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केंद्रीय मंत्री रविशंकर की सीट बचाने के लिए खुद पीएम मोदी को मैदान में उतरना पड़ा. इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बिहार के दो दिवसीय दौरे के दौरान केसरिया रंग की पगड़ी में गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली तख्त श्री हरमंदिर जी पहुंचे और हाजिरी लगाई. इस दौरान मोदी ने हरिमंदिर साहिब में मत्था टेका और लंगर में सेवा भी की.

परिसीमन के बाद बीजेपी का कब्जा

राजधानी के चार और दो ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों से बनी पटना साहिब लोकसभा सीट पर पहले कांग्रेस, वामदल और समाजवादियों का कब्जा रहा था. परिसीमन के बाद 2009 से इस सीट पर कमल खिल रहा है. इस सीट को वीआईपी का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यहां से जीते कई सांसद सरकार में मंत्री रह चुके हैं. यहां से चुने सांसद डॉ.सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. फिल्मी सितारों का इस सीट से खास लगाव रहा है. अभिनेता शेखर सुमन 2009 में और भोजपुरी अभिनेता कुणाल सिंह 2014 में कांग्रेस के ​टिकट पर इसी सीट पर चुनावी शिरकत कर चुके हैं. हालांकि दोनों को हार नसीब हुई.

कायस्थ करते हैं हार जीत का फैसला

पटना साहिब देश की उन चुनिंदा संसदीय क्षेत्रों में से एक है जहां कायस्थ मतदाता निर्णायक भूमिका में है. ये ही हार जीत का फैसला भी करते हैं. जब पिछले चुनावों में बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटा, तो कायस्थों की नाराजगी से बचने के लिए ही दूसरे कायस्थ रवि शंकर प्रसाद को मैदान में उतारा. कायस्थों के बाद राजपूत और यादव वोटर्स का दबदबा है. वहीं मुस्लिम भी संख्यायत में है. कांग्रेस के अंशुल अविजीत यहां एक नया चेहरा है. हालांकि रवि शंकर प्रसाद का पक्ष काफी मजबूत है लेकिन यादव+मुस्लिम+दलित का समीकरण बिठाया जाए तो महागठबंधन यहां टक्कर में रह सकता है.

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