Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के 6 जिलों में पंचायतों और जिला परिषद चुनाव में प्रत्याशी चयन की कवायद प्रदेश कांग्रेस के लिए खांडे की धार होती जा रही है. कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक और विधानसभा चुनाव में हारे कांग्रेस प्रत्याशियों में रार बढ़ती जा रही है. जिससे सत्ता और संगठन में टकराव के हालात बनने के आसार हैं.
जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में टिकट बांटने के फॉर्मूले को लेकर विवाद शुरू हो चुका है. सचिन पायलट समर्थक विधानसभा चुनाव हारे कांग्रेस उम्मीदवार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक निर्दलीय विधायक आमने-सामने आ हैं. पायलट समर्थक हारे हुए उम्मीदवारों ने टिकट वितरण में उनकी राय लेने की मांग रखी है, जबकि टिकट वितरण में निर्दलीय विधायकों की राय को ज्यादा तरजीह दी जाने की बात सामने आ रही है. जयपुर जिले के चुनावों को लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा की अध्यक्षता में हुई बैठक में पायलट समर्थक नेताओं ने टिकट वितरण में भागीदारी मांगी. बैठक के बाद पायलट समर्थक मनीष यादव और सीएम गहलोत के सिपहसालार निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर के बयानों में तल्खी साफ दिखी. वैसे ये तल्खी अभी हाल ही में नहीं सामने आई है. इससे पहले भी करीब दो महीने पहले कांग्रेस के हारे 19 प्रत्याशियों ने आलाकमान को पत्र लिख अपनी पीड़ा बताई थी. मनीष यादव सहित कई अन्य कांग्रेस प्रत्याशियों ने तो दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात की मांग को लेकर डेरा भी डाला था.
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में टिकट के वितरण को लेकर महामंथन का दौर जारी है. शुक्रवार को जयपुर जिले में टिकट बंटवारे को लेकर विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व के सामने ही निर्दलीय विधायकों की राय से टिकट वितरण पर सवाल खड़े किए तो निर्दलीय विधायक ने विरोध करने वाले नेताओं को अपरिवक्व बताते हुए कहा कि, ’15 दिन से कांग्रेस का झंडा उठाने वाले हम पर सवाल खड़े नहीं करें’.
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इधर सरकार को समर्थन देने निर्दलीय विधायकों और विधानसभा चुनाव हारे नेता आमने-सामने होने के बाद अब प्रदेश नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी परेशानी ये है कि वे किसके कहने से टिकटों का वितरण करें, चूंकि सत्ता और संगठन के लिए दोनों का ही साथ जरूरी है. गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को सत्ता और संगठन में अहमियत मिलने से विधानसभा चुनाव हारे नेताओं में असंतोष बढ़ने लगा है.
’15 दिन से कांग्रेस का झंडा उठाने वाले ‘अपरिपक्व’ हम पर सवाल नहीं करें खड़ा’- नागर
जयपुर जिले की बैठक के बाद सरकार को समर्थन दे रहे गहलोत समर्थक पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर ने कहा कि, पंचायती राज चुनाव में टिकट वितरण का कोई झगड़ा नहीं है, अगर कांग्रेस को मिटाने की सोच किसी की है तो टिकट का कोई झगड़ा होगा ही नहीं’. नागर ने कहा कि, ‘यह केवल कन्फ्यूजन की स्थिति है और जो लोग निर्दलीय विधायकों की राय से टिकट देने का विरोध कर रहे हैं वह अपरिपक्व नेता हैं और समझते नहीं है’. नागर ने कहा कि, ‘हम 30 साल से कांग्रेस का झंडा उठाकर चल रहे हैं. ऐसे में अगर कोई 15 दिन में यह सोच ले कि वही कांग्रेसी है तो फिर कोई क्या कर सकता है? हम निर्दलीय विधायकों का आलाकमान से कमिटमेंट है कि हम 5 साल तक कांग्रेस की सरकार का साथ देंगे’. नागर ने कहा कि, ‘हाईकमान हमें जो आदेश देगा, उसे मानने को तैयार हैं. जयपुर जिले में केवल एक बार कांग्रेस का जिला प्रमुख बना है. हमारा ध्यान जयपुर में कांग्रेस का जिला प्रमुख बनाने पर है’.पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक खांटी कांग्रेसी माने जाते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट नही मिलने पर नागर ने निर्दलीय चुनाव जीतकर गहलोत सरकार को समर्थन दिया है.
‘संगठन को बचाना है या केवल सरकार को’- यादव
इधर, शाहपुरा से विधानसभा चुनाव हार चुके पायलट समर्थक नेता मनीष यादव ने कहा, पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में हमें टिकट दिया. चुनाव में हार के बाद हमारे साथ सौतेला बर्ताव हो रहा है. कांग्रेस के नेताओं को किसी काम में नहीं पूछा जा रहा है, जबकि निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को सत्ता और संगठन में तवज्जो दी जा रही है. आज भी हमने प्रदेशाध्यक्ष के सामने पक्ष रखा है कि पंचायत चुनाव में सिंबल देने की जिम्मेदारी विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को सौंपे. पंचायत चुनावों में टिकट उस व्यक्ति को मिलना चाहिए, जो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ था. उन कार्यकर्ताओं को टिकट मिले जिन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए काम किया. हम कार्यकर्ताओं के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं’. यादव ने तल्खी दिखाते हुए कहा कि, ‘आलाकमान को तय करना है कि संगठन को बचाना है या केवल सरकार को’. बता दें कि मनीष यादव ने छात्र राजनीति की शुरुआत ABVP से की थी. इसके बाद यादव ने कांग्रेस का हाथ थामा था.
सरकार के ‘सहारे बनाम ‘हारे’ सेनापति में फंसी कांग्रेस
जयपुर जिले के 3 विधानसभा क्षेत्रों दूदू, शाहपुरा और बस्सी के निर्दलीय विधायक गहलोत सरकार का समर्थन कर रहे हैं. दूदू में बाबूलाल नागर ने कांग्रेस उम्मीदवार रितेश बैरवा को हराया था. शाहपुरा में निर्दलीय आलोक बेनीवाल ने पायलट समर्थक कांग्रेस उम्मीदवार मनीष यादव और बस्सी में निर्दलीय लक्ष्मण मीणा ने भी कांग्रेस उम्मीदवार दिलीप मीणा को मात दी थी. अब टिकट वितरण में भी इन निर्दलीय विधायकों की राय को कांग्रेस के हारे हुए उम्मीदवारों से ज्यादा तरजीह दी जा रही है. इसका पायलट समर्थक विरोध कर रहे हैं.
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आपको बता दें कि इससे पहले गुरूवार को भी भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर और सिरोही जिले में टिकट वितरण को लेकर बुलाई गई अलग-अलग बैठकों में निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की राय से टिकट नहीं देने का मामला उठा था. भरतपुर जिले की बैठक में तो कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते विधायकों ने बैठक से ही दूरी बना ली थी.