पीके ने बताया किस जुगाड़ से कुर्सी से चिपके बैठे हैं नीतीश कुमार और क्यों छोड़ना पड़ा उनका साथ

राजनीति और सार्वजनिक जीवन में ऊंचे आदर्शों की बात अक्सर कहने वाले सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के सभी जिला मुख्यालय पर लगवाए महात्मा गांधी के विचारों वाले पोस्टर, प्रशांत किशोर ने नीतीश की नैतिकता को चुनौती देते हुए कहा एक ट्रेन हादसे के बाद रेल मंत्री का पद त्याग देने वाले नीतीश कोरोना के दौरान हजारों लोगों की मौत हो जाने के बावजूद अपने बंगले से निकले तक नहीं

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Prashant Kishore on Nitish Kumar. बिहार से अपने सियासी कैरियर की नींव तैयार करने में जुटे सुप्रसिद्ध राजनीतिक सलाहकार पिछले लम्बे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीब रहे और उनकी पार्टी जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने दावा किया है नीतीश कुमार अब वह नहीं रहे जो पहले थे. जिस नीतीश कुमार ने ट्रेन दुर्घटना के बाद रेल मंत्री का पद त्याग दिया था वही नीतीश कुमार आज जुगाड़ लगाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपके हैं. इशारो इशारो में प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के नैतिकता को चुनौती दी है. बता दें, नीतीश कुमार राजनीति और सार्वजनिक जीवन में ऊंचे आदर्शों की बात अक्सर कहते रहते हैं. इसी वजह से सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के सभी जिला मुख्यालय पर महात्मा गांधी के विचारों वाले पोस्टर लगवाए गए हैं. तो वहीं पीके ने नीतीश की नैतिकता पर ही सवाल उठाते हुए कई आरोप लगाए हैं.

बीते रोज रविवार को अपनी जन सुराज पदयात्रा के दौरान गोपालगंज में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने नीतीश पर हमला बोलते हुए कहा कि राजनीतिक मोरालिटी भी कोई चीज होती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में जब उनकी पार्टी के मात्र 2 MP बन पाए तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. नीतीश कुमार खुद चुनाव नहीं हारे थे लेकिन उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था. आज वही नीतीश कुमार बुरी तरह हारने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फेविकोल लगाकर चिपके हुए हैं.

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प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को मात्र 42 सीटों पर जीत मिली, लेकिन, कोई न कोई जुगत लगाकर, कभी भाजपा का हाथ पकड़कर तो कभी राजद के खेमे में जाकर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे हुए हैं. राजनेता के तौर पर भी नीतीश कुमार अब वह नहीं रहे जो पहले थे. पीके ने कहा की प्रशासक के रूप में, राजनेता के रूप में या मानवता के आधार पर नीतीश कुमार आज वह नहीं रहे जो 10 साल पहले तक थे, इसीलिए मैंने उनका साथ छोड़ दिया.

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प्रशांत किशोर ने कहा कि जिस नीतीश कुमार की मदद मैंने 2014-15 में की थी वह उच्च आदर्श वाले व्यक्ति थे. पीके ने याद दिलाया कि आसाम के गैसल में भीषण रेल दुर्घटना में बड़ी संख्या में यात्रियों की मौत हो गई, इससे आहत होकर नीतीश जी ने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने नीतीश को इस्तीफा देने से रोका भी पर वह नहीं माने थे. उस दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि हादसे में 290 लोगों की मौत हो गई तो मैं रेल मंत्री की कुर्सी पर कैसे बैठ सकता हूं. आगे पीके ने निशाना साधते हुए कहा कि वही नीतीश कुमार पिछले साल कोरोना के काल के दौरान हजारों लोगों की मौत हो जाने के बावजूद भी अपने बंगले से निकले तक नहीं.

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