गद्दार-नकारा-निकम्मा ऐसी भाषा तो मैं अपने किसी दुश्मन को भी ना बोलूं- शशि थरूर की सीएम गहलोत को नसीहत

RSS, अकाली दल और हिंदू महासभा को देश के लिए खतरनाक बताते हुए सांसद शशि थरूर ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. बीआर आंबेडकर भी इन्हें डेंजर मानते थे, भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी की इमेज बदल दी, अब राहुल गांधी हर आदमी से मिलते हैं, सबकी बात सुनते हैं, 160 दिन से देश में घूम रहे हैं, दर्जनों प्रेस कांफ्रेस की हैं, आप बताइए प्राइम मिनिस्टर ने कितनी प्रेस कांफ्रेस की हैं?

गहलोत-पायलट की बयानबाज़ी पर बोले थरूर
गहलोत-पायलट की बयानबाज़ी पर बोले थरूर

Shashi Tharoor Reached Jaipur Literature Festival. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शिरकत करने पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर ने प्रदेश में जारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच जुबानी जंग को लेकर बड़ा बयान दिया है. शशि थरूर ने सीएम गहलोत को सीख देते हुए कहा कि किसी बात पर मतभेद हो तो भी उसे अलग तरह से कहने का तरीका होना चाहिए. अपने साथियों के लिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना गलत है, ऐसी भाषा तो वह दूसरी पार्टी क्या, वह अपने किसी दुश्मन को भी ना बोलें. आपको बता दें, जेएलएफ में शशि थरूर ने राजस्थान कांग्रेस में चल रहे राजनीतिक क्राइसिस को लेकर सीएम गहलोत की ओर से पायलट के लिए गद्दार निकम्मा नाकारा जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर पूछे गए सवाल का जवाब देते यह बयान दिया है.

राजधानी जयपुर में लम्बे समय से होते आ रहे लिटरेचर फेस्टिवल का नियमित चेहरा बन चुके कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शनिवार को ‘लेगेसी ऑफ वायलेंस’ सेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में माफिया राज ब्रिटिश काल में ही शुरू हो गया था. जालियांवाला बाग हत्याकांड इसका उदाहरण है. लेकिन अब ब्रिटेन के राजनीतिज्ञों को समझ में आ गया है कि मौजूदा आर्थिक संकट से उन्हें कोई ‘ब्राउन मैन’ ही बाहर निकाल सकता है. इसलिए ऋषि को वहां प्रधानमंत्री बनाया गया है. इसी के साथ उन्होंने सचेत भी किया कि ऋषि के प्रधानमंत्री बन जाने भर से यह अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए कि वहां नस्लभेद खत्म हो गया है.

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इसके साथ ही RSS, अकाली दल और हिंदू महासभा को देश के लिए खतरनाक बताते हुए सांसद शशि थरूर ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. बीआर आंबेडकर भी इन्हें डेंजर मानते थे. एंटी कास्ट स्कॉलर सुमित समोस के साथ चर्चा करते हुए थरूर ने कहा कि नेहरु और आंबेडकर चाहते थे कि देश में ‘वन पर्सन वन वैल्यू’ को महत्व दिया जाए. यह तो नहीं हो पाया लेकिन ‘वन पर्सन वन वोट’ का अधिकार मिल गया. देश में समानता के अधिकार को मजबूत बनाने के लिए ही उस समय सदन में हिंदू कोड बिल लाया गया था. वहीं देश में कांग्रेस के तीन राज्यों तक सिमट कर रह जाने की स्थिति में नेतृत्व में बदलाव की दरकार पर शशि थरूर बोले कि मैंने तो बदलाव के नाम पर ही चुनाव लड़ा था, लेकिन मुझे हार मिली.

वहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर शशि थरूर ने कहा कि इस यात्रा ने राहुल गांधी की इमेज बदल दी है. उनको लेकर जो ‘पप्पू बिजिनेस’ की बात होती है वो तीन आरोपों की वजह से होती है कि वो लोगों से मिलते नहीं, बात नहीं करते, विदेश चले जाते हैं. लेकिन अब राहुल गांधी हर आदमी से मिलते हैं, सबकी बात सुनते हैं. 160 दिन से देश में घूम रहे हैं. दर्जनों प्रेस कांफ्रेस की हैं. आप बताइए प्राइम मिनिस्टर ने कितनी प्रेस कांफ्रेस की हैं? जबकि राहुल गांधी से यात्रा के दौरान एक आम आदमी को मिलने का मौका मिला है, उन्हें समझने का मौका भी मिला है.

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आगे शशि थरूर ने कहा कि कोई भी इस बात के लिए मना नहीं कर सकता कि राहुल गांधी की यात्रा से लोगों में ऊर्जा आई है. संदेश देश की एकता का है, अगर नफरत को हटाना है तो ऐसा करने में कुछ गलत नहीं है. हम चाहते हैं लोगों में ये संदेश जाए कि जो चल रहा है उसको वैसे ही स्वीकार करने की जरूरत नहीं है, बदलाव किया जा सकता है. हम फर्जी एकता की बात नहीं कर रहे हम देश में महंगाई, बेरोजगारी से दूसरे मुद्दों को भी उठा रहे हैं. वहीं आने वाली फिल्म गोडसे गांधी पर उन्होंने कहा कि जल्द महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि आ रही है. ऐसे समय में उनके दूसरे मूल्यों के बारे में भी बोलने की जरूरत है. मेरा मानना है कि प्राइम मिनिस्टर को भी अब स्वच्छता मिशन में गांधी के चश्में के अलावा दूसरे मूल्यों के बारे में बोलना चाहिए.

इस दौरान जब शशि थरूर से पूछा गया कि केरल में आप और वेणु गोपाल और राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव चल रहा है तो थरूर ने कहा कि ये हर पार्टी की हकीकत है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि जो आज पोजिशन में नहीं है वो छोटा है. लोकतंत्र में हर इंसान को अपनी बात रखने का अधिकार है. अगर कोई राजनेता अपनी राय व्यक्त करता है तो इसका मतलब से नहीं है कि वो कोई दबाव डाल रहा है. वहीं जब हम अपने साथियों के बारे में बोलते हैं तो सोच समझ कर बोलना चाहिए. थरूर ने कहा कि गद्दार, नकारा या निकम्मा, ऐसी भाषा तो वह दूसरी पार्टी क्या, वह अपने किसी दुश्मन को भी ना बोलें. उनका मानना है कि हम सभी को अपने पास्ट को खंगालने की जरूरत है.

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