Politalks.News/RahulGandhi. संसद (Budget Session-2022) में बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (rahul gandhi) के दिए गए बयानों के बाद सियासत में उबाल आ गया है. राहुल के वार पर मोदी सरकार (Modi government) के कई केन्द्रीय मंत्री और भाजपाई दिग्गज पिल पड़े हैं. एक के बाद एक बड़े नेताओं ने राहुल गांधी के बयानों का खंडन करना शुरू कर दिया. इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि ऐसा क्या कारण है कि राहुल गांधी के बयानों की इतनी चिंता मोदी सरकार और भाजपा (BJP) को हो रही है? चर्चा ये भी है कि भाजपा और केंद्र सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण विपक्षी नेता कौन है? भाजपा दिग्गजों का तिलमिलाना ही इसका जवाब भी है. कोरोना काल के बाद राहुल को लेकर लोगों की सोच में बदलाव आया है. अब देश के लोग राहुल की बातों को गंभीरता से लेने लगे हैं. आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के बयानों को लिया जा सकता है गंभीरता से!
दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के नेता और केंद्र सरकार के मंत्री चाहे राहुल गांधी का कितना भी मजाक उड़ाएं और उन्हें रिजेक्टेड नेता बताएं लेकिन मजे की बात यह है कि राहुल गांधी कुछ भी बोलें उसके जवाब में पूरी पार्टी और पूरी सरकार जवाब देने को तैयार हो जाती है. मंत्री और भाजपा पदाधिकारी राहुल के बयानों के पोस्टमार्टम में जुट जाते हैं. अरे भाई, जब राहुल गांधी को आप सीरियस लेते ही नहीं हो तो उनके बयानों से इतना क्यों घबरा जाते हो?
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सियासी गलियारों में चर्चा यह है कि, भगवा पार्टी के हिसाब से जब राहुल गांधी कोई हैसियत नहीं है, जनता ने उनको अनेक बार खारिज कर दिया, उनकी कमान में कांग्रेस 90 फीसदी चुनाव हार गई, उनको बातें समझ में नहीं आती हैं तो फिर राहुल की बातों पर इतनी बड़ी प्रतिक्रिया क्यों दी जाती है? क्यों इतने नेता उनके पीछे छोड़े जाते हैं? राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष भी नहीं हैं और न लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं. राहुल पिछला लोकसभा चुनाव अमेठी से हार गए थे और बकौल भाजपा किसी तरह से मुस्लिम बहुल वायनाड सीट से जीत कर सांसद बने हैं तो भाजपा उनकी अनदेखी क्यों नहीं कर देती है?
आपको बता दें, बीते बुधवार को राहुल गांधी ने लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा शुरू की और अपने भाषण में मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. वहीं राहुल गांधी के भाषण के जवाब में कम से कम आधा दर्जन केंद्रीय मंत्रियों ने प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी सारी प्रतिभा लगा दी यह साबित करने में कि राहुल गांधी को इतिहास का ज्ञान नहीं है. बात करें संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी की तो जोशी ने राहुल की समझदारी पर सवाल उठाया. साथ ही कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने राहुल पर हमला बोलते हुए कहा कि, ‘उनको न्यायपालिका और चुनाव आयोग से माफी मांगनी चाहिए. राजीव चंद्रशेखर ने भी राहुल पर हमला किया. भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने तो राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का ऐलान किया.
इसके साथ ही कभी दिग्गज कांग्रेस नेता और राहुल गांधी के करीबी दोस्त रहे केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी जमकर निशाना साधा है. शनिवार को रायपुर पहुंचे सिंधिया ने कहा कि, ‘राहुल गांधी कहते हैं कि देश दो हिन्दुस्तान में बंट चुका है. उनके इस बयान को सुनकर ऐसा लगता है कि जैसे वो 2014 से पहले के भारत की बात कर रहे होंगे‘. यही नहीं सिंधिया ने आगे बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि, ‘राहुल गांधी जिस तरह का बयान दे रहे हैं, उसे लेकर मैं यह कहना चाहूंगा कि उनके जैसा कोई भारत का नागरिक नहीं दे सकता. मेरा देश भारत है, मेरा देश एक है, मेरा देश एक परिवार है. मेरे देश में भाई-भाई की संस्कृति है. मुझे ऐसा लगता है कि राहुल का बयान मोदी से पहले वाले भारत को लेकर है. पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए सिंधिया ने कहा कि, ‘राहुल गांधी उस समय की बात कर रहे हैं जहां प्रगति नहीं होती थी, विकास नहीं होता था, भ्रष्टाचार का बोलबाला था‘. मजे की बात यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद भी UPA सरकार में मंत्री थे.
वहीं शनिवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गलवान घाटी संघर्ष का मुद्दा उठाते हुए यूपी में एक चुनाव सभा में कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भारतीय सैनिकों की वीरता पर भरोसा नहीं है, इसके बजाय वो चीनी मीडिया पर ज्यादा भरोसा करते हैं. हमने दुनिया को संदेश दिया है कि भारत अब कमजोर राष्ट्र नहीं है. हम सीमा पार कर सकते हैं और हमला कर सकते हैं’.
ऐसे में देश के सियासी गलियारों में चर्चा है कि राहुल गांधी के कुछ भी बोलते ही भाजपाई इतना तिलमिला क्यों जाते हैं. जबकि प्रधानमंत्री के भाषण पर विपक्ष भी इतनी प्रतिक्रिया नहीं देता है, जितना राहुल के भाषण पर भाजपा और केंद्र सरकार के मंत्रियों ने दिया है. चर्चा यह है कि पूरे देश में राहुल गांधी के अलावा दूसरा कोई नेता नहीं है जो कि भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर टक्कर दे सकता है. कोरोना काल के बाद राहुल गांधी की बातों को गंभीरता से लिया जाना जाने लगा है. ऐसे में राहुल की चिंता भाजपा तो करेगी ही.