सियासी चर्चा: पंजाब में कांग्रेस ला सकती है ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला, क्योंकि जरुरी है चन्नी-सिद्धू दोनों

पंजाब कांग्रेस में सीएम फेस की रेस, कांग्रेस लाई नया फॉर्मूला, ढाई-ढाई साल का झांसा और सीएम के फैसले की चाबी रहेगी आलाकमान के पास, क्यों जीत के लिए चन्नी है जरूरी तो सिद्धू भी है बहुत जरूरी, जाखड़ का साथ भी चाहिए कांग्रेस को, ऐसे में किसी एक नाम का ऐलान कर पैर पर कुल्हाड़ी मारने की स्थिति में नहीं है पार्टी, कैप्टन की विदाई की भरवाई है अभी बाकी

पंजाब में दो मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करेगी कांग्रेस!
पंजाब में दो मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करेगी कांग्रेस!

Politalks.News/Punjab. पंजाब (Punjab Assembly Election 2022) कांग्रेस (Congress) में सीएम फेस को लेकर घमासान जारी है. सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) और कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) में टक्कर है तो सुनिल जाखड़ (Sunil Jakhar) भी ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में पार्टी ने सेफ गेम खेलने की तैयारी कर ली है. सियासी जानकारों और कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि, ‘सीएम चरणजीत चन्नी और पंजाब कांग्रेस के चीफ नवजोत सिंह सिद्धू को ढाई-ढाई साल के लिए CM का चेहरा बनाया जा सकता है. सरकार बनने के बाद पहले CM कौन बनेगा? इसका फैसला चुनकर आए पार्टी के विधायक करेंगे. पंजाब चुनाव में वोट बैंक का गणित ऐसा है कि कांग्रेस किसी एक का नाम लेकर रिस्क नहीं ले सकती.

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पंजाब में कांग्रेस कल 6 फरवरी को मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा करेगी. इसके लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लुधियाना जा रहे हैं. राहुल लुधियाना से वर्चुअल रैली के जरिए दोपहर 2 बजे CM फेस का ऐलान करेंगे. राहुल की वर्चुअल रैली को पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा.

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ढाई-ढाई साल फॉर्मूला कैसे रहेगा कारगर?
अब जो ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला इसलिए लेकर आई है क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह की विदाई के बाद कांग्रेस में खींचतान मची हुई है. ऐसे में किसी एक चेहरे को आगे करना कांग्रेस के लिए पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. अब ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले के बाद नवजोत सिद्धू और चरणजीत चन्नी अपने समर्थक उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरा जोर लगाएंगे, ताकि वह पहले CM की कुर्सी तक पहुंच सकें. इससे कांग्रेस पूरा जोर लगाएगी कि सत्ता में वापसी की जा सके. पहले किसे CM बनाना है, इसकी चाबी कांग्रेस हाईकमान के पास ही रह जाएगी. कांग्रेस में यही परंपरा रही है.

क्या इसीलिए कांग्रेस सर्वे का तरीका नहीं बता रही..?
कांग्रेस के पंजाब इंचार्ज हरीश चौधरी ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में यह तो कहा कि, ‘कल राहुल गांधी CM चेहरे की घोषणा करेंगे’. लेकिन यह चेहरा कैसे तय किया गया, इस पर चौधरी खामोश रहे. साफ है कि सर्वे क्या हुआ, उसका परिणाम क्या रहा, इसका पता सिर्फ कांग्रेस हाईकमान को ही रहेगा. ऐसे में राहुल गांधी जो कहेंगे, वह चन्नी और सिद्धू को मानना ही होगा. दोनों पहले भी इसका भरोसा दे चुके हैं.

चन्नी को छोड़ा तो छिटकेंगे 34 % दलित वोट!
‘दलित’ नेता चरणजीत चन्नी को CM चेहरा नहीं बनाने पर कांग्रेस को सीधे 34% दलित वोट बैंक का नुकसान होगा. अगर कांग्रेस ने चन्नी का साथ छोड़ा तो दलितों के बीच गलत संदेश जाएगा. इससे लगेगा कि कांग्रेस ने चन्नी को सिर्फ वोट बटोरने के लिए ही कामचलाऊ CM बना रखा था. कांग्रेस अभी चन्नी के 111 दिन के कामकाज पर ही वोट मांग रही है. इससे पहले साढ़े 4 साल की सरकार वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ गठजोड़ कर चुके हैं. अगर चन्नी ही चेहरा नहीं होंगे तो कांग्रेस किस आधार पर वोट मांगेगी?

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‘खिलाड़ी’ सिद्धू को लेकर जोखिम, कब उठा ले कोई कदम पता नहीं?
दूसरी तरफ पंजाब में ‘खिलाड़ी‘ नवजोत सिद्धू कांग्रेस के लिए बड़ा चेहरा हैं. सिद्धू पर दांव खेलकर ही कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से CM की कुर्सी छीन ली. सिद्धू के कहने पर ही कई सीटों पर टिकटें दी गईं. नवजोत सिद्धू को नजरअंदाज कर पंजाब में सीधे 19% जट्‌ट सिख वोट बैंक का नुकसान होगा. कांग्रेस यह संदेश नहीं देना चाहती कि वह पंजाब में सिर्फ दलितों पर ही दांव खेल रही है. इससे 69 सीटों वाले सबसे बड़े मालवा क्षेत्र में कांग्रेस का बड़ा नुकसान होगा. कांग्रेस को डर है कि अगर सिद्धू CM चेहरा न बने तो वह अचानक कोई ऐसा कदम उठा सकते हैं जिससे बीच चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगी, सिद्धू पहले भी DGP और एडवोकेट जनरल न बदलने के मुद्दे पर इस्तीफा देकर सबको चौंका चुके हैं. ऐसे में पार्टी को चुनाव में नुकसान होगा और विरोधी भी इस मुद्दे को खूब भुनाएंगे.

कांग्रेस के लिए दलित और जट्‌टसिख वोट बैंक जरूरी
कांग्रेस के लिए पंजाब में दलित और जट्‌टसिख वोट बैंक जरूरी हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदू वोट बैंक में कांग्रेस को बड़ी मुश्किल हो रही है. उनके बड़े हिंदू चेहरे सुनील जाखड़ प्रचार से दूर हैं. वहीं, कुछ दिन पहले उन्होंने उनके हक में 42 विधायक होने के बावजूद CM न बनाने की बात कह दी, जिसे विरोधियों ने मुद्दा बना दिया कि हिंदू होने की वजह से कांग्रेस ने जाखड़ को CM नहीं बनाया. वहीं शहरों में कैप्टन और भाजपा गठजोड़ भी कांग्रेस को हिंदू वोट बैंक का नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में कांग्रेस का चन्नी-सिद्धू की जोड़ी पर दांव खेलना मजबूरी बन चुका है.

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क्या आग से खेल रही है कांग्रेस?
सियासी चर्चा यह भी है कि कांग्रेस पंजाब में पहले ही कैप्टन अमरिंदर को हटाकर राजनीतिक नुकसान कर चुकी है. वहीं कुछ दिन पहले पंजाब में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह अमरिंदर सिंह के हटने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए उनके साथ 42 विधायकों का समर्थन जबकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ सिर्फ 2 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहे थे. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का एक वीडियो सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि ऊपर के लोग कमजोर मुख्यमंत्री चाहते हैं. सिद्धू मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे की ईडी द्वारा गिरफ्तारी के मामले में नैतिकता और ईमानदारी का हवाला देते दिखे हैं. ऐसे में अगर किसी एक के नाम के बाद मतदान से ऐन पहले कोई भी बगावत होती है तो जीत की संभावनाओं पर असर पड़ना तय है.

 

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