सियासी चर्चा: कांग्रेस का पंजाब जीतना सबसे जरूरी क्योंकि अगर हारे तो होगी सबसे बड़ी बगावत….!

पंजाब का सियासी घमासान, कांग्रेस के लिए फिर से सरकार बनाने की चुनौती, चन्नी पर दांव खेल पार्टी है फ्रंट फुट पर, लेकिन भीतरघात का खतरा अभी बरकरार, इसकी वजह से अगर पार्टी हारती है चुनाव तो पार्टी के बड़े बड़े दिग्गज थामेंगे बगावत की राह...जो चंडीगढ़ से दिल्ली होते हुए जाएगी अन्य राज्यों तक

पंजाब चुनाव तय करेगा कांग्रेस का भविष्य!
पंजाब चुनाव तय करेगा कांग्रेस का भविष्य!

Politalks.News/PunjabElection. पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) के बीच ही सियासी गलियारों में कांग्रेस को लेकर एक बड़ी चर्चा जारी है. सियासी जानकार एक ओर तो कह रहे हैं कि कांग्रेस के लिए उम्मीदों का प्रदेश पंजाब (Punjab Assembly Election 2022) ही है. क्योंकि इस प्रदेश में कांग्रेस के लिए सबसे आदर्श स्थिति है. पंजाब में अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूट गया है और साढ़े चार साल तक मुख्यमंत्री रहे कैप्टेन अमरिंदर सिंह (Captain amrinder singh) कांग्रेस छोड़ चुके हैं, जिससे एंटी इन्कम्बैंसी से निजात पाने में पार्टी को काफी हद तक मदद मिली है. कैप्टेन के हटने से कांग्रेस को मौका मिला कि वह दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjeet Singh Channi) को मुख्यमंत्री बना कर और उन्हें सीएम का दावेदार बना कर चुनाव लड़ रही है. दूसरी तरफ चर्चा इस बात की है कि अगर कांग्रेस इस राज्य में चुनाव हार जाती है तो बगावत का बिगुल इसी प्रदेश में सबसे पहले फूंका जाएगा. जिसकी गूंज चंडीगढ़ और दिल्ली में तो सुनाई देगी ही साथ ही अन्य प्रदेशों में भी जाएगी. पंजाब में हाशिए पर बैठे नेता तो इसी मौके की ताक में बैठे हैं.

सियासी जानकारों की मानें तो पंजाब में जीत की आदर्श स्थिति के बावजूद पार्टी के रास्ते में कई बाधाएं भी है. सबसे बड़ी बाधा है तो वह कांग्रेस के नेता ही हैं. कांग्रेस के कई नेता भीतरघात कर रहे हैं, जिनके बारे में पार्टी के बड़े रणनीतिकारों को पता भी है. कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि, ‘पार्टी का पंजाब में जीतना दूसरे किसी राज्य में जीतने से ज्यादा जरूरी है क्योंकि अगर यहां कांग्रेस नहीं जीती तो पार्टी में बगावत की शुरुआत पंजाब से ही होगी.’ आपको बता दें, एक तरह से बगावत शुरू भी हो गई है. पटियाला से सांसद परनीत कौर खुल कर कांग्रेस के खिलाफ हो गई हैं. कौर अपने ‘बागी‘ पति अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और भाजपा के लिए वोट मांग रही हैं. कौर ने भले ही अब तक कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया हो, लेकिन वो अब कांग्रेस की सांसद भी नहीं है. ऐसे में पार्टी अब कब परनीत कौर पर अनुशासन का डंडा चलाएगी ये देखने वाली बात होगी.

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दूसरी तरफ आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी भी अब एक तरह से कांग्रेस से दूर हो गए हैं. तिवारी हाशिए पर बैठ कर तेल और तेल की धार देख रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि उनके यहां से कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ खबरें प्लांट करने की सूचना मिली थी, जिसके बाद उनको पंजाब में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं शामिल किया गया. जनवरी के आखिर में जब राहुल गांधी अमृतसर और लुधियाना के दौरे पर गए थे तब भी मनीष तिवारी उनके साथ नहीं थे. आपको बता दें मनीष तिवारी पहले लुधियाना से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं.

यहां आपको यह भी बता दें कि राहुल गांधी बीती 27 जनवरी को जब पंजाब दौरे पर गए थे तो कांग्रेस के पांच सांसद अमृतसर में उनके साथ नहीं थे. बाद में रवनीत सिंह बिट्टू ने बताया कि वे लुधियाना की सभा में हैं, इसलिए अमृतसर नहीं पहुंचे. उनके अलावा परनीत कौर, मनीष तिवारी, जसबीर सिंह गिल और मोहम्मद सादिक भी राहुल गांधी के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.

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ऐसे में अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर कांग्रेस पंजाब में नहीं जीतती है तो 2024 में अपनी लोकसभा सीट बचाने की चिंता में कांग्रेस के कई सांसद भाजपा, अकाली दल या आम आदमी पार्टी का रुख करेंगे. वहीं दूसरी ओर चुनाव अभियान समिति के प्रमुख सुनील जाखड़ अलग दुखड़ा रो रहे हैं. उनके साथ के लोगों का कहना है कि जाखड़ कैप्टन के साथ अपना राजनीतिक भविष्य देख रहे हैं. अगर कांग्रेस नहीं जीतती है तो जो भी जीतेगा उसके साथ जाने में कांग्रेस के कई नेताओं को दिक्कत नहीं होगी. यहां यह भी तय है कि एक बार अगर पंजाब से बगावत शुरू हुई तो उसका असर दूर तक होगा और देश के दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस हाशिए पर जा सकती है.

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