पीके का ‘कैप्टन’ के ‘प्रधान सलाहकार’ पद से इस्तीफा, कांग्रेस में ‘क्राइसिस मैनेजर’ बन सकते हैं प्रशांत!

प्रशांत किशोर का 'कैप्टन' के 'प्रधान सलाहकार' पद से इस्तीफा, बोले- 'ब्रेक चाहता हूं', सक्रिय राजनीति से कुछ समय के लिया ब्रेक या पीके के मन में चल रहा है कुछ बड़ा, हाल ही में काफी एक्टिव थे पीके, 'जर्जर' कांग्रेस की 'मरम्मत' का पेश कर चुके हैं खाका, पंजाब से मुक्ति पाकर दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी लेने की तैयारी में हैं प्रशांत

'ब्रेक' के 'बहाने' कुछ बड़ा करने जा रहे हैं प्रशांत किशोर!
'ब्रेक' के 'बहाने' कुछ बड़ा करने जा रहे हैं प्रशांत किशोर!

Politalks.News/Delhi. पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों में अपनी रणनीति का लोहा मनवा चुके प्रशांत किशोर को लेकर बड़ी खबर आई है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ‘प्रधान सलाहकार’ पद से इस्तीफा दे दिया है. प्रशांत किशोर इसी साल सीएम अमरिंदर के ‘प्रधान सलाहकार’ के रूप में नियुक्त हुए थे. पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रशांत किशोर ने साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के चुनाव अभियान की कमान संभाली थी. इधर चर्चा है कि प्रशांत किशोर को AICC में बड़ी भूमिका दिए जाने की चर्चा है. सूत्रों की माने तो लगातार जारी चर्चा के बाद सोनिया
गांधी जल्द ही इस पर कोई फैसला ले सकती हैं. पीके ने गांधी परिवार के सामने कांग्रेस के पुनरूद्धार का खाका पेश किया था. जिस पर लगभग सहमति बनने की खबर है.

पद छोड़ने से पहले क्या कहा प्रशांत किशोर ने?
प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने अपने फैसले की जानकारी देते हुए सीएम अमरिंदर सिंह से कहा है कि, ‘सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका से अस्थायी अवकाश लेने के अपने निर्णय के मद्देनजर मैं आपके ‘प्रधान सलाहकार’ के रूप में जिम्मेदारियों को संभालने में सक्षम नहीं हूं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे इस जिम्मेदारी से मुक्त करने की कृपा करें’,

प्रशांत किशोर ने इस्तीफा ऐसे समय पर दिया है, जब पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी साल मार्च में अमरिंदर सिंह ने किशोर को अपना प्रधान सलाहकार बनाया था. इसकी जानकारी सीएम ने ट्वीट करके दी थी. इसमें ‘कैप्टन’ ने लिखा था- ‘प्रशांत किशोर ने मेरे प्रधान सलाहकार के तौर पर जॉइन किया है. उनके साथ पंजाब के लोगों की बेहतरी के लिए काम करेंगे’.

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आपको बता दें कि प्रशांत किशोर ये बात जाहिर चुके हैं कि I-PAC की उनकी टीम सियासी समीकरणों को साधने का काम तो कर रही है, लेकिन बहुत लंबे समय तक उनका ये करने का मन नहीं है. इससे पहले प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने संबंधी प्रस्ताव पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं के साथ मंथन किया था.

क्या कांग्रेस का हाथ थामने जा रहे हैं पीके?
बीते दिनों प्रशांत किशोर काफी एक्टिव नजर आए थे. उनकी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मुलाकात भी हुई थी. इसके बाद कांग्रेस की एक बैठक हुई, जिसमें राहुल और पीके की मुलाकात का जिक्र किया गया था और प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री की संभावनाओं पर चर्चा की. यह बैठक 22 जुलाई को हुई थी, जिसमें कमलनाथ, मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा, अजय माकन, केसी वेणुगोपाल, अंबिका सोनी जैसे बड़े नेता शामिल हुए थे. बैठक में जो निष्कर्ष सामने आया था, उसके मुताबिक पीके का पार्टी में आना फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन उनका रोल तय होना चाहिए. जेडीयू के साथ जिस तरह से पीके का सफर रहा, उसे देखते हुए कांग्रेस अपने यहां उनके रोल को लेकर लकीर खींच सकती है. बैठक में शामिल एक अन्य नेता ने कहा था, ‘ये वो वक्त है जब नए आइडिया, रणनीति लाई जानी चाहिए. अगर प्रशांत किशोर को पार्टी में लाया जाता है, तो कोई नुकसान नहीं होगा, वह कैसे आएंगे इस पर चर्चा की जा सकती है. कांग्रेस के पास काफी टैलेंट है, अगर बेहतरी के लिए कुछ बदलाव होता है तो हमें सीखना चाहिए’

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कांग्रेस में ‘बड़ी भूमिका’ चाहते हैं प्रशांत किशोर
देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पारी शुरू होगी या नहीं और होगी तो उन्हें क्या भूमिका मिलेगी. इन सब सवालों पर जल्द ही कांग्रेस पार्टी फैसला ले सकती है. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि प्रशांत किशोर राष्ट्रीय स्तर की भूमिका के साथ ही पार्टी से जुड़े फैसलों में भी अपना रोल चाहते हैं. इसके लिए प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को कुछ सुझाव भी दिए हैं.प्रशांत किशोर पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका चाहते हैं. अंदरखाने यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले महीनों में कांग्रेस संगठनात्मक स्तर पर बड़े बदलाव करेगी, जिसके बाद कुछ नई नियुक्तियां तो होंगी ही, साथ में नई समितियां भी बनाई जाएंगी. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी जल्द ही इसको लेकर फैसला ले सकती हैं. इसको लेकर करीब डेढ़ महीने से बातचीत जारी है.

सूत्रों की माने तो प्रशांत किशोर ने यह सुझाव दिया है कि पार्टी को अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही एक स्पेशल एडवाइजरी कमेटी बनानी चाहिए, जो राजनीति से जुड़े बड़े फैसले ले. इस कमेटी में ज्यादा सदस्य न हो और यह गठबंधन से लेकर चुनावी कैंपेन की रणनीति तक हर राजनीतिक गतिविधि पर चर्चा करके ही आखिरी फैसला ले. जरूरी जमीनी काम पूरा करने के बाद यह पैनल आखिरी मुहर के लिए पार्टी में फैसले लेने की आला कमेटी यानी कार्यकारी समिति के सामने प्रस्ताव रखेगा.

 

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