Politalks.News/Delhi. उत्तरप्रदेश विधानसभा और देश में जारी मोदी विरोधी मोर्चा बनाने की कवायद को लेकर कई क्षत्रपों ने कमर कस रखी है. लेकिन सबसे अलग हट कर रणनीति जिस पार्टी की है तो वो समाजवादी पार्टी है, सपा विपक्ष में है लेकिन वह बाकी विपक्षी पार्टियों के तरह गठबंधन बना कर भाजपा विरोध की राजनीति में शामिल नहीं है. समाजवादी पार्टी अभी तो ‘एकला चालो रे’ की नीति पर काम रही है. सपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी को अकेले लड़ना है और जहां जरूरत होगी वह प्रदेश की छोटी प्रादेशिक पार्टियों से तालमेल करेगी. संसद के मानसून सत्र के दौरान सपा के नेता दिल्ली में होने के बावजूद विपक्षी राजनीति का हिस्सा नहीं बन रहे हैं. राहुल गांधी ने विपक्षी पार्टियों के साथ तीन बार बैठक की है और हर बार पार्टी ने प्रतीकात्मक उपस्थिति दर्ज कराई. पहले सपा ने राहुल गांधी की बैठकों में विश्वंभर निषाद को भेजा. हालांकि मंगलवार को सुबह राहुल की बुलाई बैठक में जरूर रामगोपाल यादव शामिल हुए पर वह भी प्रतीकात्मक उपस्थिति थी.
सपा की इस रणनीति को लेकर माना जा रहा है कि लालू प्रसाद का मुलायम सिंह और अखिलेश यादव से मिलना किसी बड़े एजेंडे का हिस्सा है. लालू और मुलायम सिर्फ चाय पीने या एक-दूसरे की तबियत का हाल जानने के लिए नहीं मिले थे और न उत्तर प्रदेश के चुनावी एजेंडे पर बात करना उनका मकसद था. सबको पता है कि उत्तर प्रदेश में लालू प्रसाद का कोई असर नहीं है और प्रदेश के यादव मतदाता पहले से सपा से जुड़े हैं. जानकार सूत्रों का कहना है कि लालू और मुलायम की मुलाकात का एक बड़ा मकसद कांग्रेस के प्रति सपा की नाराजगी को दूर करना है और सपा को मुख्यधारा के विपक्षी गठबंधन में लाना है.
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ये तो तय है कि समाजवादी पार्टी के बिना विपक्षी गठबंधन अधूरा रहेगा और दूसरी बात यह भी है कि अगर सपा ने कांग्रेस के गठबंधन से दूरी बनाई और तीसरे मोर्चे की राजनीति में शामिल होने की सोची तो उसका अलग नुकसान है. सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों शरद पवार, रामगोपाल यादव, शरद यादव और कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह इसी मकसद से लालू प्रसाद के घर गए थे. इन सभी नेताओं ने लालू प्रसाद यादव से विपक्षी गठबंधन और कांग्रेस के बारे में बात की थी. शरद पवार की लालू से हुई मुलाकात का ही विस्तार लालू-मुलायम की मीटिंग में दिखा है.
आपको बता दें कि पिछले दिनों ममता बनर्जी जब विपक्षी एकता बनाने के लिए दिल्ली आई थीं तब उनकी जिन नेताओं से मुलाकात नहीं हुई थी उनमें अखिलेश यादव और शरद पवार शामिल हैं. इसके बाद से सियासी जानकार इन दोनों की राजनीति पर बहुत बारीक नजर रखी जा रही है. शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि वे जो राजनीति करते हुए दिखते हैं असल में उसका उलटा कुछ कर रहे होते हैं. इसलिए यह कहना मुश्किल है कि इस समय वे किसके लिए और क्या काम कर रहे हैं. पर इतना जरूर है कि देश के बड़े विपक्षी नेता इस समय अखिलेश यादव को मुख्यधारा की विपक्षी राजनीति में लाना चाहते हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले यह काम करते हैं या उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव के समय?
पूरे घटनाक्रम से दूर अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ तैयारी में जुटे हैं. उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव 5 अगस्त को लखनऊ में साइकिल यात्रा निकालेंगे. अखिलेश यादव इस साइकिल यात्रा की अगुवाई करेंगे. सपा की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, ‘बेलगाम महंगाई, किसानों पर काले कृषि कानूनों की मार, बेरोजगारी से बेहाल नौजवान, आरक्षण पर “संघी प्रहार”, चरम पर अपराध और भ्रष्टाचार, आजम खां को जेल भेजे जाने के मुद्दों पर भाजपा की “डबल इंजन” सरकार के खिलाफ 5 अगस्त को सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लखनऊ में साइकिल यात्रा निकालेंगे.