Politalks.News/UttarPradesh. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव सूबे के तमाम राजनीतिक दलों के लिए नाक का सवाल बना हुआ है. प्रदेश की भाजपा सरकार सत्ता में वापसी के सपने संजोए बैठी है तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वापसी के लिए पूरी कोशिश में जुटे हैं. अखिलेश यादव पहले ही चुनावी हूंकार भर चुके हैं और 400 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा ठोक चुके हैं. तो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी अब विधानसभा चुनाव के लिए सक्रिय नजर आ रही है. मायावती सत्ता में वापसी की पूरी आस लगाकर बैठी है लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इसकी आस कम ही लगती है. हालांकि मायावती चुनाव के लिए हुंकार भर चुकी है और भिन्न भिन्न घोषणाओं के जरिये जनता का दिल जीतने की कोशिश कर रही है. साथ मायावती ने ये भी कहा कि, ‘अगर प्रदेश में बसपा की सरकार बनती है तो, बदले की भावना से पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं को बंद नहीं किया जाएगा’.
शनिवार को बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशी राम की पुण्यतिथि पर शनिवार को पार्टी प्रमुख मायावती ने अपना चुनावी शंखनाद करते हुए घोषणा की और कहा कि, ‘अगर प्रदेश में हमारी सरकार बनती है तो इस मौके पर हम पिछली बार के मुकाबले सबसे ज़्यादा जोर यहां के गरीब और बेरोज़गार नौजवानों को रोजी रोटी के साधन उपलब्ध कराने पर देंगे और इसबार यही हमारी पार्टी का मुख्य चुनावी मुद्दा भी होगा’. मायावती ने आगे कहा कि, ‘प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर केंद्र और राज्य की जो भी योजनाएं चल रही हैं उन्हें बदले की भावना से रोका नहीं जाएगा’.
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बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में आयोजित एक जनसभा में विरोधियों पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि, ‘BJP, SP, कांग्रेस, AAP वोट के लिए जनता से वादे कर रही हैं जो हवा हवाई है. उनमें रत्तीभर का भी दम नहीं है. विरोधी पार्टियां चुनावी घोषणापत्रों में प्रलोभन भरे चुनावी वादे करने वाली हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने का इनका कोई इरादा नहीं है’.
तीनों कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि, ‘पूरे देश के किसान केंद्र के बनाए गए तीनों कानूनों को लेकर आज भी आक्रोशित हैं, प्रदेश और केंद्र सरकार आंदोलित किसानों का उत्पीड़न कर रही है और इसका ताजा उदहारण है लखीमपुर खीरी की घटना जो आपने हमने सभी ने देखी है’. मायावती ने आगे कहा कि, ‘भाजपा चुनाव के दौरान कोरोना नियमों के आड़ में हमारी पार्टी के लोगों को परेशान कर सकती है, इसे ध्यान में रखकर लोगों को कोरोना नियमों का पालन करना है’.
मायावती ने प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘चुनाव के नजदीक बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है और ऐसा भी हो सकता है कि जब इससे भी इनका काम नहीं चलने वाला तो तब ये पार्टी आखिर में इस चुनाव को किसी भी मामले में हिंदू मुस्लिम सांप्रादायिक रंग देकर फायदा उठाने का पूरा प्रयास कर सकती है’.
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मायावती ने अखिलेश यादव और पूर्ववर्ती सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘प्रदेश में एक पार्टी ऐसी भी है जो दूसरी पार्टियों के स्वार्थी किस्म के लोगों को अपनी पार्टी में शामिल कराके अपने कुनबे और परिवार को बढ़ाने में लगी रहती है. जिसके शासनकाल में प्रदेश की जनता खासकर कानून व्यवस्था के मामले में दुखी रही है, ऐसी पार्टी के बहकावे में बिलकुल नहीं आना है’. मायावती ने अपने संबोधन में कहा कि, ‘प्रदेश में 2007 में बसपा की बहुमत की सरकार थी उस वक़्त हमने उत्तर प्रदेश को बेहतरीन कानून व्यवस्था दी थी. ऐसे में मेरी उत्तर प्रदेश की जनता से अपील है कि भाजपा-सपा के पक्ष में मतदान कर अपना वोट खराब न करें’.
मायावती ने आगे कहा कि, ‘यूपी में जब बसपा की 2007 में सरकार बनी थी तब हमने यहां प्रदेश और आम जनता के लिए युद्ध स्तर पर चौतरफा विकास किया था. प्रदेश में बेहतरीन कानून व्यवस्था दी थी जिसकी पूरे देश में सराहना की गई थी, लेकिन आज ये सब विरोधियों को बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा इसी कारण आज यहां जातिवादी, संकीर्ण और पूंजीवादी पार्टियां एकजुट होकर बसपा को सत्ता में आने से रोकने में लगी है. इस वजह से बीते दो विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी सरकार नहीं बना पाई’.
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वहीं विधानसभा चुनाव से पहले आये चुनावी सर्वे को लेकर मायावती ने कहा कि, ‘चुनाव घोषित होने से कुछ समय पहले व वोटिंग होने तक भी हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए या बसपा के विरुद्ध प्रायोजित मीडिया भी हमारी स्थिति को जानबूझकर काफी कमजोर दर्शाता रहेगा. जिससे पार्टी के लोगों को गुमराह नहीं होना है’. मायावती ने आगे कहा कि, ‘इसको लेकर हमारी पार्टी मुख्य चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखेगी जिसमें किसी भी राज्य में जब चुनाव के लिए 6 महीने रह जाए तो तब से लेकर वोटिंग तक सभी एजेंसी के सर्वे पर रोक लगे, ताकि इससे चुनाव को प्रभावित ना किया जा सके’.